पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/११२

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- पहम्मद शाह १म-पहम्मद शाह - महम्मद शाह (१म)-गुजरातके एक अधिपति इनका राजा बहादुर शाहने मालव राज्य पर अधिकार कर महा प्रकृत नाम वेकार थे । ये महम्मद शाहके पुत्र एवम् / म्मद और उनके सात पुत्रौंको कैद किया और अपने . कुतुबुद्दीन वा कुतुब शाहके भाई थे। अपने चचा दाऊद कारागारमें रखा। अन्तमें चम्पारन दुर्ग भेजते समय । . शाहके मरने पर १४५६ ई०में पे गुजरातके सिंहासन पर रहमें उनकी मृत्यु हो गई। यह मृत्यु स्वाभाविक : बैठे। १४८७ ई०में अमदावादके चारों ओर इन्होंने कारणसे हुई या किसी गुमघातकसे, इसका कोई प्रमाण दीवार तथा वुर्ज बनवाया । नगरको सुरक्षित कर नहीं मिलता। पोछे मालयदेश गुजरात राजाके हाथ फाटकके ऊपर एक शिला पर इन्होंने इस प्रकार लिखवा लगा। यहादुर शाहके वाद कादिर खां तथा शूजा पां. दिया था, "इसके अन्दर रहनेवाले व्यक्तिको किसी भी | ने क्रमानुसार मालयाका शासन किया। शुजाके बाद । विपत्तिको आशंका नहीं है।" दक्षिणप्रदेश जीतनेके लिये इनके पुत्र यहादुर १५:०३० तक राज्य करते रहे। इसी . । दो बार इन्होंने यात्रा की थी। ५५ वर्ष राज्य कर यह समय सम्राट अकबरने पूर्णरूपसे मालया पर अधिकार । ' .. १५११ ई०में परलोकवासी हुए । अमदावादके समोप ! कर लिया। मरकिज नामक स्थानमें इनका मकबरा बनाया गया। महम्मद शाह-दिल्लीका पक यादशाह, औरङ्गजेबका पोता . पीछे इनका श्य पुत्र मुजफ्फर शाह सिंहासन पर धैठा।। और जहानसाहका लड़का। इसका यथार्थ नाम, महः । महम्मद शाह ( २य )-गुजरातके एक मुसलमान राजा। म्मद रोशन अरयतर है। महानदार शाहको मृत्युफे वाद . इनका नाम नासिर खां था। ये श्य मुजफ्फर शाहके वालक रोशन अखतर अपनी यालिदा माता मरिया मुका. . तृतीय पुत्र थे। अपने ज्येष्ठ भाई सिकन्दर शाहको मार | नियोंके साथ दिल्लीफे फिलेमें ही रहता था। पाल्य- .. फर १५२६ ई० में ये गद्दी पर बैठे। इन्होंने केवल तीन | फालमें ही यह अपनी गुण-गरिमासे सभोफे प्रियपात .. मास राज्य किया था। इनके भाई बहादुर शाहने जीन- | बन गये। पुरसे लौट कर इन्हें गद्दी परसे उतार दिया और आप ___रफो उल्लाने कुल तीन महीने दो दिन हो राज्य कर गद्दी पर बैठे। १५२७ ई०में इनकी मृत्यु हुई। अपनी इहलीला समाप्त की। उस समय अवदुल्ला और महम्मद शाह (३य)-गुजरातके एक राजा, वहादुर शाहके | हुसेन ये दोनों सैयद भ्राता मुगलराज्यके मालिक थे। भाई और लतीफखांके पुत्र । १७३७ ई०में मोरन महम्मद सैयद अबदुल्लाने शीघ्र ही महम्मदको घुलाने के लिये शाहके मरने पर ये सिंहासनाधिकारो हुए। पुत्तंगोज लोग आदमो भेजा। १५वों जिलकदा सन् १९३१ दिजरीमें समुद्रतीरवासी मुसलमानों पर प्रायः आक्रमण किया (१७२६ में १८ वर्ष की उम्र में ) महम्मदने सिंहासन.. करते थे । अतएव १७४० ई० में इन्होंने सूरतदुर्गका निमाण लाम किया। अबदुल मुनपर नासिरहन मदम्मद किया। १५५३१०में राजाफे अपने धर्मोपदेशकने दौलत | शाह वादशाहे-गाजी' नामले सिमा तयार होने लगे। नामक एक व्यक्तिसे इन्हें सुप्तावस्थामें मरवा डाला। इस बादशाहकी मां युद्धिमती तथा राजकार्यमें बटो .. इन्होंने १८ वर्ष राज्य किया था। इसी साल दिल्लोके राजा दक्ष थी। उसको माशाले यह स्थिर हुमा, कि फरमा. सलीम शाह तथा अहमदाबादफे सुल्तान निमाम शाहको सियरके राज्यच्युत होने के बादसे महम्मद शाहके सिंहा. मृत्यु हुई थी। उक्त घटना आज भी मुसलमानसम्मा। सन लामकी तारोन.गिनो जायेगी। वादशाहको माताके. दायमें "जवाल खुशरोयल" अर्थात् 'राजसंदार' नामसे | लिये १५ हजारको मृत्ति नियत हुई। मशहर है। इनके वाद २य अझर शाद सिंहासन पर सैयद मग्दुल्ला नौकर ही पूर्वयन, राजकार्य चलाने लगे। न कोई निकाला गया और न कोई भी हो । महम्मद शाह (२५)-मालयाके एक मुल्तान, नासिक- किया गया। और तो क्या वादशाहके देह-रसा भी होनफे तृतीय पुत्र। महम्मद शाह अपने पिताके मरने | अदुल्लाके दो नौकर थे। सैयदको भालाफे विना वाद- पर १५११ ई०मैं गद्दी पर बैठे। १५३१ ई० में गुजरातके शाह कोई काम नहीं कर सकता था। ....