पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/८८

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खोलवौ-खौरा खोलवी-मध्यभारतके अन्तर्गत एक क्षुद्र ग्राम। या आजकल यहां प्राय: ५३७३ मनुष्ध रहते हैं । मागरा नगरसे १५ कोम उत्तर-पश्चिम अवस्थित है। मोलि (स. स्त्रो० ) वोल-इन्। तृणा, घास। इस ग्रामके उत्तर-पूर्व लाल पत्थरका एक पहाड़ देखा खोलिया ( हिं॰ स्त्री० ) सक्षयन्त्रमेद, एक पनालोदार जाता है। ममतन्न क्षेत्रमे यह पहाड प्रायः २०० हाथ रुखानी। इमसे बढ़ई लकड़ी पर बेलबूटे बनाते हैं। अंचा है। बोद्ध लोगांने अजण्टा और कार्लोकी तरह खोल्म ख ( मं० पु० ) व आकाशे उन्ल.मुख इव रतवर्ण- इस ग्राममें पव त काट कर बहुतसे म्त प, चैत्य त्वात्। मङ्गलग्रह। और गुहा-मन्दिरादि निर्माण किये थे। स्यानोय बोवई -आसामको एक नदी। यह त्रिपुरा राज्यसे अषक और ब्राह्मण कहते हैं कि पागह तनय भोम, निकल श्रीहट्ट जिलाके हबीगञ्ज उपविभाग होकर अजुन प्रभृति पाण्डवनि इन ममस्त गिरिगुहाांको उत्तर-पश्चिमको ओर बहती हुई हबीगञ्जके निकट काटा था। आजकल भी अधिवामी दो, एक गुहानी- बराकम गिरती है। नदीकी लम्बाई लगभग ८४ मील को अजुनह, भीमटर जमा कहा करते है। होगी। इस खोलवी पहाड़के दक्षिण भागर्म बड़े बई ११ गुहा- खोवा, खोया देखो। मन्दिर हैं जिनमें एक या दो घर हैं। घर के बाहरी खोषाज (म० पु०) जीवशाक, एक सब्जी । पौरभीतरी भागका आयतन क्रमश: २२७ और ११६ खोह ( हि स्त्री० ) १ गुफा, कोल, दराज २ पर्वत- फुट है। यही अज नगह है। दूसरा घर भीम- मध्यस्थ गभीर गत, पहाड़का गहरा गड़ा । ३.दी मन्दिर कहलाता है, जिमको लम्बाई ४२ फुट और पव तीका मध्यस्थ मङ्कोण स्थान चौडाई २२ फुट है। एक और मन्दिर है, जिममें वुड- खोही ( हि स्त्रो० ) १ पत्रछत्र, पत्तीका छाता । देवको चार मूर्तियां है। इसके अतिरिक्त पहाड़ की २ख ' वा, घोधी । उत्तर और पूर्व दिशाम कई एक बोहम्त पादिका ध्व'मा- खों ( हि• स्त्री० ) १ गत, गट्टा । २ खत्ती, अनाज वशेष देख पड़ता जिमका गठनकौशल आचर्यजनक रखनका गहरा गडा। है प्रत्येक स्त प पर्वत पर हो गठित है। अन्यान्य भौंचा ( हि पु० ) १ माध षड गणना भेट, माढ़े छहका खानीको भांति इमका अन्तर्भाग किमो गुहासे मंलग्न पहाड। २ कोई मन्दक। इसमें मिठाई आदि खाद्य नहीं। इस स्थानको म्त पभित्तिका निम्न ग्रह खोद द्रव्य रग्वत हैं। करक निकाम्लम पर देखा गया है कि समग्र स्तप खोफ ( आ. पु० ) भय, दहशत, डर । मन्दिर-जमा है और उसमें बुहदेवको प्रतिमूर्ति प्रतिष्ठित खौर ( हि स्त्रो० ) १ 'त्रिपुण्ड, चन्दनका भाड़ा टीका। है। डाकर कनिङ्गहाम साहबके मतमें खोलवीके व २ स्त्रियोंका कोई अलङ्कार, औरतोंका एक गहना। यह स्त प ७००से ८०० ई के बीच निर्मित दुवे ।। प्राडी खोर जैसी मोनेकी बनती और मत्ये पर लगती है। सोलापुर --बरार-अमरावतो जिम्लार्क अन्तर्गत एक नगर । ३ किमी किम्मका जाल। इसमे मछलियां पकी यह अक्षा० २०. ५७ उ० और देशा• ७७° ३३ पू॰में आती हैं। अमरावती नगरीसे ८ कोम पश्चिममें अवस्थित है। एक खौरना ( हि क्रि० ) खोर लगाना, चन्दनका टीका समय यह स्थान 'रेशम'के व्यवसायके लिये प्रसिह था। बनाना, तिम्लक निकालना। १८०८ ई.मे एलिचपूरके सूवादार विठलभाग देवने खौरहा (हिं. वि. )१ गजा, जिसके सरके बाल उड़ इस नगरसे एक लाख रुपया मांगा, परन्तु उन्होंने अपना गये हों। २ खजहा, जिसके खुजली हो गयो हो। प्रादेश ग्राह्य न होने पर, मसैन्य नगर आक्रमण किया खौरा (हि पु०) १ कण्ड भेद, किसी किस्मको खाज । पहिले यहां प्रतिवर्ष राजपूत और मुसलमान लडते इसमें चम रुखा पड़ और बाल झर जाता है रहे। इसी उत्पानसे इम नगरका हास होने लगा. कत्त बिल्लीको भी होता है। (वि.)२ खौरहा।