पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/८७

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सा खोबा-खोलपेटमा जनसंख्या ५१५ है । यहां पेनिन्मुला रेलवेको एक शाखा ग्राम पाटन सोमनाथसे १२ मोल उत्तर-पश्चिम पड़ता है। १८॥ एकर क्षेत्रफलका एक उत्तम जलाशय होनेके | है। लोकसंख्या प्रायः १०६६ है। कहते हैं चोरवाडके कारण यह स्थान प्रमिद्ध है। पेशवाकै मन्त्री नाना- नागनाथ महादेव मन्दिरमें जो शिलाफलक रखा है, निमित एक शिवजीका मन्दिर है। खोराममेही वहां गया था। उममं संवत १४४५ (१३८८ ई.) सोलाप) थापी, गच या पलम्तर कूटनका एक | पड़ा और एतिहामिक वृत्तान्त लिखा है-खोरासके कोटी और चपटी मुगगे। सूयमन्दिरका जीर्णोद्धार माल नामक किमी व्यक्तिने कोभार (हिं पु०) गतविशेष, एक गट्टा इममें कूड़ा कराया था। माल मकवानाजातीय रुहेला क्षत्रिय ककट और झाइन मदन डाला जाता है। रह। युवराज शिवराजम उन्हें बोरामका स्थानीय खोय ( हि स्त्री०) ख, आदत, स्वभाव बान टेव। शामक बनाया। रम ग्रामक दक्षिण कालीपात नदी खोया ( हिं० पु. ) मावा, खोवा, लोईको शक में प्रोटा वहती है। खोराममें २ मरोबर हैं। उनमें एकको हा दूध पहा, बरफो और लडड खोयमे बनते हैं। यह जाम्बवाल कहा जाता है। खानमें मधुर और पुष्टिकारक होता है। | ग्बोरि (हि. स्त्रो. ) १ मङ्गीर्ण पय, तङ्ग राह । २ दूषण, खीर ( स० त्रि.) सोर-अच । खञ्ज, लंग। नुक्स। खोर (हि. स्त्री० ) १ मङ्गीणपथ तङ्ग गलो, कूचा २ | म्वोरिया (हि. मो० ) १ बेलिया, कटोरिया । पात्रविश ष, कोई नांद। इममें पशुओंको चारा डाल २ अबरक वगैरहक छोटे छोटे बुन्दे। यह चमकीलो करके खिलात हैं। रहती और स्त्रियों और स्वांग रूपांक मुखपर शोभाके वीर (हि.प.) वृक्षविशेष, एक प:। यह मिन्ध- लिये लगती है। ३ कूए को पैढ़ौका मध्यभाग। यह प्रदेशको मरुभूमिमें उपजता और देखनमें ऊ चा तथा तरमा खींचनमें बैलोंकि पहचनसे कूपर्क मुखपर पा सुन्दर रहता है। खोरका काष्ठ पोतख तवण, गुरु तथा | उपस्थित होता है। कठिन होता और परिष्कार करने पर अति चिक्कण निक- सोल ( सं. लि. ) खोन-अच् । खन. लंगडा। लता है। इमको कषियन्त्र-निर्माणम व्यवहार करते हैं। खोल (हि.स्त्रो.), गिलाफ, झल। कोट साटिका खोरका अपर नाम 'साहोकांटा' और 'वनरोठा' भी है। । उपरि चर्मावरण । यह समय समय पर बदल जाती है। खोरक ( मं० पु० ) खोर स्वार्थे कन्। गर्दभज्वर, गधेको | ३ मोटी पिछोरी या चादर । चढनवाला बुखार । खोलक (मं. पु.) खोन-अच् संज्ञायां कन् । पात्रविशेष, सोनी स्त्रिी० ) भडभंजेकी एक लकड़ी। इससे | डंगची । २ वल्मीक, दीमककी पहाड़ो। ३ शिरस्त्राणा, भाइमें झोंका जानेवाला बचा खुचा ईधन, उसमें जलन पगड़ी, टोपी। ४ पूगकोष, सुपारीका छिलका । के लिये भीतरको मरका दिया जाता है। खोलना (हिं. क्रि०) १ उद्घाटन करना, अवरोध पटाना, दोश (हि.प.) १ पात्रविशेष, कटोरा। (वि.) उघाहना। २ छेदना, बिगाड़ देना। ३ तोडना, काटना। २ विकृताङ्ग, लङ्गडा, ल ला । ४ मुक्त करना, छोड़ना। ५ नगामा, ठहराना । ६ जारी खोराक (फा॰ स्त्री० ) १ ग्वाद्यट्र ग, ग्वानकी चीज । | करना, चलाना ७ स्थापन करना। ८ प्रारम्भ करना। २ आहारको मात्रा। ३ औषधमात्रा। ८ प्रकाश करना, बतलाना। १० पूछना, प्रश्न करना। बोगकी (फा०वि०)१ अधिक मात्रामें भोजन करने | खोलपटा-वङ्गम खुलना जिलामें प्रवाहित एक वाला, पेट, जो ज्यादा खाता है। नदी। प्राशासूनीक निकट कपोताक्षसे यह नदी खोगकी (हिं. स्त्री० ) खोराकका दाम, खानेके लिये निकली है। पहिले यह मदो कुछ पश्चिम ओर जाकर दिया जानेवाला पैसा। वढाढागानमें मिल गई है और उसके बाद दक्षिण मुंह खोरास-मम्बईके काठियावाड प्रान्तका एक गांव। यह | होते दुवे सुन्दरबनमें फिर भी कपोताचनदीमें गिरी है। VoI. VI. 22