पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/७३

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खेयोङ्गया-घरवाल ( खड़वाल ) १ देते हैं. और पुरोहित आकर विवाहकै मन्त्रादि पाठ खेरकरिया-भूटानमें लक्ष्मी नदीका निकटस्थ एक ग्राम । करते हैं। उमके वाद मात वार लड़का और लड़कीके यह दरग जिलाके उत्तर प्रान्तमें अवस्थित है। यहां हाथमें भात रखा जाता है और लड़केका दाहना हाथ प्रतिवर्ष एक बडा मेला लगता है, जिमम दूर दूर देशके उठा करके लड़कीके हाथ पर रखते हैं और पुनर्वार मनुष्य आते हैं। कितने ही रुपयोंका माल बिका मन्त्रादि पाठ किया जाता है। इसके बाद विवाह शेष हो जाता है और बरात बड़ी धूमधामके साथ भोजन | खेरडी काठियावाड. प्रान्तकं राजकोट राज्यका एक करती है। ग्राम। यह राजकोट नगरसे ८ मील पूर्वको अवस्थित ये मुग्दीको जन्नात हैं। अपनी जातिक किमी मनुष्य और सुप्रमिड लोमा खुमानक निवामस्थान जैमा परिचित के मरने पर उनमेंसे एक व्यक्ति ढोल बजाता और स्त्रियां है। इन्होंने गुजरातकं सुलतान मुजफ्फरको आश्रय दिया, उचैस्वग्मे रोती हैं। ढोलकी आवाज सुनने पर सब जिन्होंने अकबर बादशाहक तत्प्रान्तीय सूबेदारसे अपने पड़ोमी एक जगह इकट्ठे होते हैं और मुर्दाको जलाने आपको किपा लिया था . 'मोरात मिकन्दरी में उमको लिये ले जाते हैं। हम काममें इन्हें २४ घंटे लगते हैं । मरदार परगनका गांव लिखा है। विश्वामघातकतासे जव वै शव जलानक लिये जाते हैं, तो आगे आर्ग पुरो लोमा खुमान नवानगरमें मरने पर मालम होता है हित, उमक वाद शिष्यगण, उनके पीछे कुटुम्बादि और कि उनके वंशधरीने खेरडीका अधिकार गंवा दिया और मवर्क पोछ शवको लिये हुए मृत मनुष्यके जातिवर्ग जाम माहबने उन्हें निकाल बाहर किया। फिर वह रहते हैं। एक निकट आत्मीय मुर्दाके मुखमें अग्नि थोड़े दिनों जमदानमें गह। परन्तु १६६०-६५ ई०को देता है। मुर्दाक जल जाने पर उसका भस्म मट्टीमें गाड़ा वीका खाचरने लोमाखमान भ्राता भोकार्क पौत्र जश जाता है और हम कब ऊपर वांसमें निमान् बांध कर खुमानसे जशदान विजय किया और यह लोग लोलि- खड़ा कर देते हैं। मग्नक मात दिन बाद पुरोहित यानाको पीछे हट गये। खेरडी नगरको लोकसंख्या श्रा मृतवाति कल्याणार्थ स्वम्तायन करते हैं। प्राय: १३४८ है। ___ यह लोग आराकानी भाषामें बातचीत करते और खेग्वा ( हिं० पु० ) मामुद्रिक नाविक, समुद्रमें जहाज- ब्रह्मदेशीयोंकि जैसे अक्षरों में लिखते पढ़ते है। रानी करनेवाला मलाह। एक ममय यह जाति बहुत प्रबन्ल हो गयी थो। खरवाड़ -१ मऊ विभागको एक छावनी। यह प्रक्षा. इनका अत्याचार आज भी वनवासियों खास २३.५८उ. और देशा० ७३ ३६ पूम उदयपुर बङ्गाल और चट्टयागके लोगोंको नहीं भूलता। नगरसे ५० मील दक्षिण गोदावरी नानी क्षुद्र नदीके ___ उस समयकं मघ राजा वा राज राजादेशसे ती पर अवस्थित है। लोकसंख्या प्राय: २२८८ होगी। नहीं करते थे। वे दल बांध बांध कर लटते और देश १८४० और १८४४ ई०को सडी की हुई मेवाड भोल जलाया करते थे। इसी कारण सुन्दर बनके कुछ अंश और वाखरगञ्ज, चटग्राम प्रभृति स्थानाम बहुत | सेनाका यह सदर मुकाम है। मनुष्य प्राण लेकर भागे। मघोंके दौरात्मासे घबरा खेरवाड़ी छोटानागपुरको एक भाषा । इसकी करके १६६४-६५ ई में बङ्गालके शासनकर्ता शायस्ता- बहुतसी शाखाएं भ्रमवश स्वतन्त्र ममझी जाती है। खाँ आराकान राजाके विरुद्ध युद्धके लिये अग्रसर हुए उनके नाम हैं - मन्ताली, मुण्डारो, भूमिज, विरहार, उस समय चयाम मघ राजाके अधीन था। कोडा, हो, तरी आसुरी, अगरिया और कोरवा। इस युद्ध में मव पूर्णरूपसे पराजित होकर भाग गये और खं रवाल (खेड़वाल) गुजरात ब्राह्मणांकी एक शाखा । चटग्राम फिर बङ्गालके अधीन हो गया। इस समय वगा। यह खेड़ा जिले में बहुत पाये जाते हैं। इनका बड़ा स्थान mr मी मामास पात्र मन को मानन्ट उपविभागके उमरेठ ग्राममें है। यह अपनी