पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/६७

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खूनखराबा-खेकसा खूनखरावा (हिं० पु.)१ लपात, मारकाट । २ किसी और उसमें कुछ कुछ पीड़ा होती। खरनसे किम्पका रगया वार्निश । यह साड़ी पर चढ़ता है। हाथी सा करने सगता है। खूनी (फा० वि०) १ हिंसाकारी, कातिन । २ निर्दय खमट ( हिं• पु.) १ उलू क, धुगधु । (वि.) बेरहमाकर, बदमाथा४पत्याचाग, दस्तन्दाज। २मवार, बसमझाडोकरा, गया गुजराबुहा। ५रता, साल। खगन (वै० क्लो०) तनुवाण, शरीररक्षक । ( पथरार) खच (फा• वि० ) १ पच्छा, बढ़िया। (क्रि. वि.) खष्टान, ईसाई देखो। २ पच्छी तरा, भली भांति, सफाईसे। खष्टीय (हिं. वि०) ईसवी, ईसाके मुतालिक । र व कलां (फा० स्त्रो.) खाक मोर, किसी घासका दाना : खेउरा-सका नाम मे उखान ( Mayo mines ) है। यह किमी घासका, जो फारसमें जगती, पोस्त-जैमा पत्राव झेलम जिलाक पिण्डदादनखाँ में एक विस्त गुलाबी वोज है। सवण की खान । यह प्रक्षा० ३२३८ १०और दशा. खवचन्द-मारवारके एक हिन्दी कवि। दरगान ७३.३०म पस्थित है। गम्भीरशाहोकी प्रशंसाम इन्होंने एक काध्य बनाया था। यहां नमकका पहाड़ नामको जो गिरियणी है, उसी- ख बचद्रमोधिया-हिन्दोके एक अच्छ लेखक । इन्हीं के बीच लाल चिक्कण मृत्तिका और रेतीले पत्थरके अपर “मगृहस्थ" नामक एक पुस्तक लिख है। उठा हुआ कच्चा नमक देखा जाता है। यहां मागे जगह- खू चड़ खाबड़ (हिं० वि०) असमतल, नीचा ऊंचा, चढ़ा में तह तह पर लवण आकर है। यह पर्वतर्क आकार सतार को नमकको खान कई मौ वर्षसे मनुष्थक व्यवहारमें मा- ख बसूरत (फा०वि०) सुन्दर, महावमा । रही है। तोभी इसका कोई अंश घटा नहीं। मालूम ख बसूरती (फा. सो.) मौन्दर्य, रोनक, चमक दमक । पड़ता है। अकबरके समयमै यहां पर गट्ठा बना करके ख बानी (फा० स्त्री०) फसविशेष, किसी किस्म का मेगा नमक निकाला जाता था। मिख राजाके शासनकालमें इसका ट्रमरा माम जरदाल भी है। या काबुनके यहां के मनुष्य जहां पर सुविधा देखते, गट्टा करके नमक पहाडों में उपजतो है । ख बानी सूखी और ताजी भी संग्रह करते थे। वटिश गवर्मेण्टका अधिकार होने पर खायी जाती है। इसका सेन 'कड़वे बादाम का तेन अब मामूली लोग नमक निकाल नहीं सकते। कहलाता है ।ख गनौसे कतीरे-जैसा गोंद मी निक यहांके लवणका भी उसने अपने एकाधिकारमें कर लता है। ख बानौ मई में सितम्बर तक पक जाती है: लिया है। लवण उठानके लिये नानाप्रकारके यन्त्र और लोग इसकी गुठली का बादाम भी फोड़ कर ख. राजकर्मचारी नियुक्त हैं। आजकल खेउराको सिर्फ डालते। वग्गी और सुजावलखानमें काम होता है। प्रति वर्ष खूबी ( फा• स्त्री. १ गुण, सिफत । २ भलाई, अच्छाई एक लाख मनसे भी अधिक नमक संग्रह किया जाता ३ समदगो, सकार: है इससे सरकारको प्रायः सताईश लाख रु०को आम- खमड़ा-युक्ताप्रदेशको एक मुसलमान जाति। पहले दनी है। यह हिन्द रहे, पीछेको मुसलमानो गये। वैमों पर १८७० ई०का बड़ लाट मेरो यहां आये थे, इसी पत्थरकी वियां साद करके बेंच से फिरना इनका प्रधान लिये इसका नाम मो-खान पड़ा। व्यवसाय है। रामपुर रियासतमें या चटायां पोर खेम (हि.पु.) वयष, एक बड़ा पड़। या पर भी बनाते हैं। बिजनौर और मुरादाबाद जिले में ब्रह्म श्याम और मणिपुरके जानौम सत्या सेता एनको संसा अधिक है। है। इसका काठ उत्तम निकलता और रस बने बनाये खरब (कि. मी.) अस्तिपादगत रोगविशेष, हायोके जैसा लगता है।

पैरवी एक बीमारी । इसमें हाथोके नख फट जाते खेकमा (11. पु. ) एक फाल। या प्रवर जैसा

Tal. VL 17