पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/६२

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खुल्लम-खुत्रा परवीन बड़ा कष्ट दिया। धनपति वाणिज्य करके लौट पाने पण मुश्ताक तुझ दरसका एक चमनमें है। बनाको बहुत चाहने सगे । इनके पुत्र का नाम | जलवा तेरे खुशतका दर गुलमें है झलखता। - रशाष वर्ग कहता दसा गुलोंमें तू है।" श्रीमन्त था। ( कविवरण-चसो) स्नुशम ( स. पु०) खमेन मीयते, मा बाहुल कात् क । | .. | खुशह-हिन्दी के एक कवि । इनकी कविता बहुत मोठी होती थी। पथ, गह। "बहुत रसो बाबुल घर दुलहिन चल तोरे पोने बुलाई। ख.लमखुल्ला ( क्रि० वि ) प्रकाश्यरूपसे, खुले तौर | बहुत खेल खेली सखियनसों पन्त करा लरकायो। पर, सबके सामने। महाय धोयके वस्त्र पहिरे सव ही भार बनायो। खग ( फा०वि०) प्रोत, प्रसन, जो दुःखी न हो। विदा करमको कुटन्य सब पाये सगर लोग लोगायौ ॥" सुकिस्मत (फा० वि०) भाग्यशाली, पच्छे नसीबवाला।। खुशकिस्मतो ( फा० स्त्री० ) सोभाग्य, पच्छा नसोध । गहलो गहली कोलतो चांगम मा पचानक पकरवठायौ। वैठत मलमल कपर पहनाये कैसर तिलक लगायि॥ खुपखत (फा०वि०) सुलेखक, अच्छा सिखनेवाला। गुवनको एक पवगण बहुतेरे कैसे नौशा रिझायो । खुशखबरी ( फा० स्त्री० ) पछी खबर, भला समाचार । खुश परी ससुर री सजनी सङ्ग नही कोई पायो सुपदिन ( फा०वि०) १ प्रसन्नचित्त, मिझती। २ दिखागी " खुश प्रमौर ( प्रमौर खुशक ) दिमोके मुसलमान वाद. बाज, इंसैया। शाहों को सभामें रहनेवाले एक विख्यात कवि। यह जाति- सशनीम (फा०पु०) सुलेखक, पच्छा सिखनेवाला। के तुर्की रहे । ख शरू के बापका माम प्रमौर मुहम्मद सैफ खु गमगेमो ( फा० स्त्री.) सुलेख्य, पच्छे पचरीकी उद दीन था । वह वान्त्रीक देशसे भारत के उत्तर-पश्चिम लिखावट । पटियाला नगरमें पाकर बस गये। १२५३ ई.को खुशमसीब, खुशकिस्मत देखो। जन्म पुपा। जब बादशाह गया उद-दीन तुगलक खुधम मोबी, खुशकिस्मती देखी। भारतके सिंहासनको सजलाते थे, इन्होंने 'गलकमामा' खुशनुमा ( फा० स्त्री० ) देखने में अच्छा लगनेवाला, जो नामक एक इतिहास बनाया । खुशरूमे सब मिलाकर उम्दा देख पड़ता हो। ८८ किताव लिखी हैं। उनमें इस्तीबिहिन, सिकन्दर. ख शनुमाई ( फा० स्त्री.) देखने की बहार, सजावट, मामा पादि कई पोथियां मुसलमान लोगों में बड़ी इज्जत सुघगई। पाती है। सिवा इसके पहोंने कछछोटी छोटी कधि- खगबू ( फा० स्त्री० ) सुगन्ध, प्रच्छीसी गमक। साय भी बनायी है। खुशरूरचित कतिपय पुस्तकों के खुशबूदार ( फा• वि. ) सुगन्धि, खूब महकनेवासा। नाम यह हैं-पनगन, लेखा-मजन, औरोन्, ऐजाज खुगरा ( फा० वि० ) १ ब रङ्गदार, पच्छ रजवासा, खुशरोबी, भाईना सिकन्दरी, खिबखानो, नया समोर चटकीला। (पु.) २ देखने में अच्छा समनेवाला। खुश, जवाहिर-उल-बहर। ___ लोग कहते हैं कि उनकी और वोरवलको पापस सुपर-हिन्दी के एक प्राचीन कवि । रनको कविताका में खूब होड़ा होडी शेती धो, परन्तु वोरवन के सामने नममा नीचे लिखते है- छमें शरमाना से पड़ता था। कोई कोई पहें पकबर "गुलशन में देखता ईसबगुलरबमि तू। बादशाका साला भी बताता है। परन्तु या निश्चित तुझ गुलबदमको प्यार मार चमनमें नहीं-वायही खुपद थे या कोई दूसर। मिस गुणको तूने चालकिया खूबोसे मामूर। ख्नुपरू परवीज-गासन घराने के ईरानो बादशा पर फल पोवाली में गुलगू सभीमें है। इस सफत एचमममें गुल तस तसव। परमजके सरके। इसके बापके मरने पर सेनापति सबमार तेरा सब रतियोम ॥ बारामने मुल्खाको पपने बारे में किया था। यह रोमब- माननी तु ऐसा मानी तेसम बोई। सम्बाट मरीसकी मदद से सिपहसालारको रा ..