पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/६०५

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गालकमल-गोलफल दाक्षिणात्यक उच्च थ गाकि ब्राह्मगा इन्हें शूद्र ममझते हैं। तक उनको राजधानी यहीं रही। बाहमणो वशक अधः इनका पाहार, व्यवहार और माजसज्जा देशस्थ ब्राह्मण पतनके बाद गोलकुगडा दक्षिण में एक वृहत समृद्धि ब्राह्मणों के जैसा है। देशस्थ ब्राह्मण देखा। शाली राज्य में परिणत हुआ था। १६८६ ई० औरङ्गः- टमा बाझोंक जैसे ये भी उपनयनादि म'स्कारके जबर्न इमे अधिकार कर अपने राज्य में मिला लिया था। अधिकारी हैं, किन्तु किमो स्थानमें ब्राह्मण इन्हें वेदपाठ ग्रंणाहट पर्वतके शिखर पर गोलकुण्डा दग स्थापित है। करने नहीं देते। यह शत्रु मे दुर्भद्य और पूर्ण मस्कृत है । इम दुर्ग से ६०० गोलकमल (हि.प.) चाँदी के पत्तर परको नकागो ठीक गजको दूरी पर प्राचीन राजाओंको बनाई हई बहुतसी करने को एक तरह की छेनी । 'चो ऊंचो मस्जिद हैं। ममय पाकर इनके बहुत अंश गोलकली (हिं. स्त्री० ) दक्षिण अओर मध्यभारतमें होन टट फट गये हैं। दग चारां और कंगुरेदार पत्थरको वाला एक तरह का अंगूर ।। दोवारांसे घिरा है। इसमें पाठ दरवाजे लगते हैं जिनमें गोलकुण्डा-(गोलगोगडा) मन्द्राजमें विशावपत्तन जिन्ने के आजकल कंवन्न चारही काम लाये जाते हैं। इसके अन्तगत गवर्म गट । एक ग्वाम तालुक । यह अक्षा० चारों और पानोमे भरा हुआ बंदक है । दर्गमे आध मोल १७२२ तथा १८४ उ. ओर देगा. ८२. एवं ८२ दक्षिणमं कुतब शाही राजाांक ममाधि-मन्दिर हैं । इनके ५. पृ० मध्य अनस्थित हैं । इम तालुकमें ५१७ याम बनानम बहुत रुपये खर्च हुए थे और उम ममयकी चमक लगत और १५७४३६ मनुष्यों के वाम है। क्षेत्रफल प्राय: दमक अपूव था। किन्तु औरङ्गजेवको चढाई के समय १२६३ वर्ग मोल है । यह तान्नक पर्व तमे घिरा है और उनका अधिकांश तहम नहस हो गया । दर्ग के दक्षिण में लगभग ७३८० वग मोल गवर्म गटका वनविभाग है। मुमो नामको नदो प्रवाहित है। यहां भाजकल तोपखाना पहले यह जयपुर राजाके करद गज्यको भूमम्पत्ति थो। है और रक्षाके लिये अरवो मेना रखो गई । पर ही १८३५ ई में रानो हत्याकागड़ के बाद गवमंटन इमे अभी निजाम राजके कोषागार और राजकार दखल किया था और जमीन्दार भी कागगार भेज गये व्यवहत है। थे । दमर वर्ष गवर्मटने नोनाम पर इमे खरीद किया। गोलक्षण ( म० लो०) गोल क्षण', 'तत । गोका प्रभा. १८४५ ई में स्थानीय मर्दार विद्रोहो हो तोन वर्ष तक शुभ मूचक चिन्ह विशेष । गा देखा। गोलगडा को अपने अधिकारमें रखा था। फिर भी गोलगप्पा (हिं. पु. ) एक तरह का खान का पटा जिसे १८५७५८ ई०में उनके विरुद्ध सेना भजो गई और जमी- खटाईके रम में डुबा कर खाते हैं। दारा गवमटके ताल क भुक्त हुई । नापत्तनमें इमको गोलत्तिका ( म स्त्रो०) गवि भूमी लत्तिकेव। वन वर मटर अदालत पार पुलिम है । इम ताल कर्क एक ट्रमर स्त्रीजातोय पशुविशेष, एक तरहका जंगलो माटन प्रधान नगरका नाम गोलकुण्ड़ा है। यह अक्षा. १७४० पशु । ४.उ. प्रार देगा ८२ ३०५० पू० में अवस्थित है। गोलदार ( फा. पु० ) दुकानदार, क्रय और विक्रय करने गोलकण्डा -निजाम राज्य के अन्तर्गत एक व मावशिष्ट वाला। नगर और टुग । यह अक्षा. १७२३° उ० ओर देशा० गोलदारो ( फा० पु. ) गोलादारका कार्य । ७८२४ में हैदराबाद नगरसे ७ मोल पथिममें अव. गोलन्दाज (फा० पु.) तोपमं गोला रख कर चलानेवाला। स्थित है। यह दुर्ग वरङ्गलके राजासे निर्माण किया गोलन्दाजी (फा पु०) गोला चलाने का काम या विदया। गया था। राजाने १३६४ ई में इसे गुलवर्ग के मुहम्मद गोलपंजा (हि. पु. ) मूडा जता । शाह पाहमनी पर मौं । दिया । कुछ काल तक यह मुह- गोलपत्ता ( हि० पु. ) सुदरवन में पाये जानेवाला गला प्रद नगर नामसे प्रसिद्ध था। १५१२ई में यह बाह- नामक ताड़। मनी राजासे सातवशाहो के हाथ चला गया। कई वर्षों गोलफल ( स० पु.) मदनाच, मामाका पड।'