पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५२७

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गोर-गौलाक 11 गोर (हिं ) गौर देखो। आते हैं। प्रति वर्ष फरवरी माम मेला लगता है। रामा. गोटा (फा०प०) गलचर, गुठभेदिया, जो गुलरूपसे यण और महाभारत दोनों ग्रन्याम गोकर्णका उल्लेख है। गोपनीय संवाद संग्रह करता है। इम पुण्यक्षेत्रका उल्लेख कूर्म, गरुड़, नारगखगड प्रति गोइनका (देश) मारवाडो वैश्यों की एक उपाधि। पुराण तथा वस्नीलतन्त्रमें किया गया है। स्कन्दपुरा- गोइयां (हिं स्त्री०) साथी, सहचर, साथम रहनेवाला। गीय तापोखगडम और नारदपुराणमें ( उप० ७४ अ.) गोइयार (देश. ) एक छोटा पक्षो जिसका वर्ण खाकी इमका माहात्मा मविस्तर वर्णित है। भागवतके मत- रंगका होता है। से इम तोर्थमें सर्वदामे शिव अवस्थान करते हैं। हिन्द गोइलवाला (हिं० पु.) व श्योंकी एक उपाधि । तीर्थ यात्रीगण यहाँक गोकर्ण खर और महाबलेश्वर शिव गोऊ (हिं० वि०) चुरानेवाला, हरण करनवाला, छिपाने- लिङ्गके दर्शन के लिए आया करते हैं। रावण तथा कम- वाला। कर्णन इमो स्थान पर तप किया था । १८७० १०को गोमोपदेश (सं० त्रि.) गाव ओपशाः समीपवर्तिन्य. यस्य, म्य निमपालिटी हुई। यहां महाबलेश्वरका मन्दिर, २० बहुव्री। जिमके निकट गाय मोई पड़ी हो। क्षुद्र मठ, ३० लिङ्ग और ३० नहानका घाट हैं। स्मात गोकगट ( मं० पु०) गो पृथिव्याः कण्ट्र इव । गोक्षुरवृत्त, और लिङ्गायत उनको श्रद्धा भक्ति किया करते हैं। गोखरूका पेड़। धुधकारोके एक भ्राता का नाम जिममे भागवत गोकगटक ( मं० पु०) गोः पृथिव्याः कण्टक इव । १ गोक्षुर सुन कर धुधकागे उद्धार हो गया था। १० एक मुनिका वृक्ष, गोखरूका पेड़। इसका पर्याय-गोक्षुर, गोक्षुरक, नाम । ११ गायका कान। १२ नृत्यम एक प्रकारका त्रिकण्ट स्वादकगट, गोकगट, प्रवदंष्ट्रा और इक्षुगन्धिका हस्तक। १३ नीलग्राम। १४ अश्वगन्धा (वि.) १५ है। गोपादक सुर, गाय पेरका खर ३ गाय या जिमके गोके ममान लम्ब कान हो । बल जानका रास्ता। ४ गो खरका चिह्नित स्थान | गोवा ( म० स्त्री. ) अश्वगन्धा। . ५ विकण्टक वृक्ष, एक तरहका पेड़। ६ माष तेल। 'गोकण ( म स्त्री० ) गाः कर्ण इव पत्रमम्याः बहुव्री। गोकण्टी (सं० स्त्री०) गोपघण्टा । डीप । १ मुरहरी, चुग्नहार । २ मानता । मर्जा देखो। गोकन्या ( मं० स्त्री०) कामधेनु । ३ वाजिवलगभेद । ४ तृणविशेष । ग.कर (सं० पु० ) सूर्य, भानु, रवि । गोकर्णेश्वर---१ गोकर्ण तीर्थ म्थ एक शिवलिङ्ग । तापी गोकर्ण ( सं० पु० ) गौर्नेत्र कर्ण यस्य, बहुव्रो०।१ मर्प, खण्ड और नारदपुराण में इसका माहामा लिखा है। २ मॉप। गोरिव कर्ण यस्य, बहुवी०।२ अश्वतर, खच्चर। नेपालस्थ एक पवित्र लिङ्ग । स्वयम्भ पुराणमें इमका ३ कुलचर, मृगविशेष, गोहरिण । दुमके मासका गुण - मधुर, स्निग्ध, मृदु, कफनाशक गोका (म० स्त्री० ) गॉग्व गो स्वार्थ कन् टाप । गोरु, और रक्तपित्तनाशक है। ४ शिवजोके एक गणका नाम। गो, गाय । ५ परिमाणविशेष, बालित, बिना। ६ काशी स्थ एक गोकाक-बम्बई प्रान्तकं बलगांव जिलेका पूर्व तालुक। शिवलिङ्ग । ७ काश्मीर देशकै एक प्राचीन राजा, गोपा यह अक्षा० १५.५७ एव१६३० उ० और देशा० ७४ दित्यके पुत्र । ३८ तथा ७५.१८ पू०के मध्य अवस्थित है। क्षेत्रफल ८ बम्बई प्रान्तके उत्तर कनाड़ा जिले में कुमता त लुक.६७१ वगमोल है। इसमें एक नगर और ११३ ग्राम बसे का नगर। यह अना० १४.३२ उ. और देशा० ७४ है। लोकमख्या प्रायः ११६१२७ है। मालगुजारी १५ १८ पू. में कमता नगरसे १०मोल उत्सर पड़ता है। जन- लाख बार सेम १३०००, क. पड़ती है। प्राबहवा बहुत संख्या प्रायः ४८३४ है। यह हिन्दुओं का एक पवित्र खराब है । जाड़े में मलेरिया बुखार बढ़ता और गर्मी में तीर्थस्थान है। समस्त भारतवर्ष साधु देवदर्शनको जो घबराने लगता है। बलुवे पत्थरके पहाड़ोंसे शोत. Vol. VI. 132