पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५२५

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गोपा २२३ प्रधान अधिकारी तो हैं, परन्तु वह विना पोर्तगाल मर- | मणके पहले यहीं पर राजधानी थी । अभी पूर्व अट्टालि- कारको आज्ञाकै नया कर नहीं लगा सकते, वर्तमान कर कानोका चिन्ह मात्र भी नहीं है। २रा पोर्त गोजों को नहीं उठा सकते, ऋण नहीं ले मकते, नई नियुक्तियां प्रथम अधिक्कत गोत्रा नगरो, जो अभी पुरातन गोपा नहीं कर मकत, पुरानी जगहको तोड नहीं सकते ।। नाममे विख्यात है। १४७ ई०को मुसलमानौने डम नौकरीको तनखाहें नहीं घटा मकते, काननके खिलाफ | गोपाको स्थापन किया था। यह कदम्वराजधानो गोपक- कोई खर्च नहीं कर मकते और न किसी प्रकार अपना पुरीमे प्रायः ५ मील उत्तरमें अव स्थत है । १५१० ई०को प्रान्त छोड़ मकत हैं। आल्वुकार्कने डम नगरको अपने अधिकारमें लाया था प्रबन्ध गवर्नर जनरलको एक कौंमिन्न, जिममें | और ए मयास्थ पतंगोजीको राजधानी रूपमं परिणत चीफ सेक्रटरी, गोपाक बर्ड पादरी, हादकोट के जज, हा । १६वीं शताब्दोमें यह उन्नतिको चरम मोमा तक गोआक दो बड़े फौजी अफमर, मरकारी वकील, इन्मप. पहचा था, और यह भारतका एक प्रमिड वाणिज्य थान कर, स्वास्थ्य विभागके अफसर और म्यु निसपान्निटोके ममझा जाता था इमके वाद पोत गोजीक प्रवल प्रताप मभापति रहते हैं, माहाय्य करती है। दूमरो भो पाँच | खव होने पर यह स्थान ईमाई धर्म मडलोका एक कोमिलें होती हैं। किन्तु गवर्नर जनरल इनके प्रस्तावोंको प्रधान अडडा बन गया। बार बार प्लेग होनमे यहांके तब तक स्थगित रख मकत हैं, जब तक पोतंगाल मरकार अधिवामियोंने इस नगरको परित्याग कर दिया था। से उमके बाग्में पूछ न लिया जाये । गोत्रा प्रान्त पुगने इमके बाद पंजीम् या नये गोप्रामं राजधानी अान पर और नये अधिकार दो भागों में विभक्त है। परान अधि पूर्वतन ममृद्धिशालो गोप्रा नगरो एक वाग्गी योहान हो कार या वैनहाममें ३ जिले और ८५ परगने हैं । पुराना गई थी। इस ममय प्रधान गिर्जा और ईमाई मठममूहमें अधिकार ७ भागांमें बंटा हुअा है। प्रत्यक जिले में अति सामान्य मनुषा रहते हैं। परिव्राजक यहांक प्राचीन म्य निमपानटी है । उसको सालाना आमदनी लगभग अस्त्रागार, वोम जिसको मृहत् गिर्जा, मेण्ट फामिमका १॥ लाग्व रुपया होती है। जजका इजलाश हफ में दो डठ, सेण्टजेभियरको ममाधि, सेण्ट कईटानीका कथि बार लगता है। उनकी अपील हाइकोट में होती है। । अन्न, संगटमणिकामठ प्रभृति देखने आते हैं मणिका वाषिक आय प्रायः२० लाख और व्यय भी लगभग | मठमें कई एक द शीय ओर पोत गोज कुमारी आकामार उतना ही है। गोआम टकमाल नहीं है। १८७१ ई०के ब्रह्मचारिणी हो ईमाइ को सेवामे दीक्षित हैं, जिधर ये पहले यहां देशी सेना बहुत थी। किन्तु इमो वष विद्रोह रहती है उधर पुरुष जा नहीं मकत। १६०६ इको उठ खड़ा होनमे वह तोड़ दो गयो और पोत गालमे | यह मठ बनाया गया था । मेगट कइटानी कथिइनमें केवन युरोपीय फौज भी हो करके आयो। मन मिला पोत गोज शामनकर्ताओं का अभिषेक होता और मृत्य कर कोई २७३० फौज और ३८० पुलिात है। उसमें कुल होने पर पातगाल पठानेको पूर्वावधि तक मृतदेह रक्षित १ लाख वार्षिक व्यय होता है। रहता है । यहांके गिर्जाम हमें ईमाई याजकीका जैमा कुछ मालसे गोत्रामें शिक्षा प्रचार बढ़ गया है। पोत. मूल्यवान् पोषाक है, भारतके किमो दूमर गि म वैमा गीज भाषाके कितने है। अखबार निकलते जिन्हें दशी दखा नहीं जाता है। एक एक बस्त्रका मल्य ४५ लाख लोग लिखते हैं। रुपये होगा। उपरोक्त गिर्जाके अलावा मेगट प्रगष्टिन, २ पोर्तगीजके अधिकृत उक्त गोप्रा राजाका एक | मेण्ट जन हि तिउम, और मेगट रोजारो भो बड़े बड़े प्रधान नगर । यह अक्षा० १५.३० उ० और देशा०७३ मठ और गिर्जा रहे थे जो अभी भग्न अवस्थामें पड़े हैं। ५७ पू०के मध्य अवस्थित है। इस नामको तोन नगरो पूर्वोक्त गिर्जाओंको छोड़ प्राचीन गोगामें अब वामग्रह हैं, पहली कदम्बराजाओं द्वारा प्रतिष्ठित प्राचीन गोपक नहीं हैं। प्रभो चारों ओर नारियलका वागान शोभा दे पुरी, जो नदीके किनारे अवस्थित है। मुसलमानापाक- | रहा है।