पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५०६

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गैस-गाड़ चलते समय उन पर थोड़ा थोड़ा पानी किडका जाने और उसका मुह पानीसे कुछ अचा रहता है। कार- लगा। उम पानीके माथ मिर्फ पामोनिया तो मिली, पर खानोमें गैस बन कर जब इस नलक मुखसे बाहर निक- हाइड्रोकारबीन नष्ट नहीं हा । परन्तु गैससे आमोनिया लतो रहती है तब लोहका पात्र उतार दिया जाता है। पृथक करन लिए और एक व्यक्तिने रममे भी बढ़िया इमके चारों कमारे हौदके पानी में डब जाते हैं। मलके युक्ति निकालो। एक नये प्रकारको कल निकाली गई, मुहम गैस निकल निकल कर उस पात्रमें भर जाती है। जिमके नन्नामें कुछ चक्क लगे हुए हैं। इन चक्कों पर इसके चारो किनारे पानी में उबे हुए रहते हैं, इसलिए ब्रुस लगे हुए हैं । चक्क घूमनेके माथ माथ ब्रुस भी पानो गैस बाहर नहीं निकलने पाती। यह गैस फिर आवश्य- में भीग जाया करते हैं इसके भीतरके गम जाते समय कतानुसार नलों द्वारा लोगों के मकानों और रास्ताकि उसके पानी में आमोनिया लग जाती है। इसका मूल्य लिए छोड़ी जाती है। लगभग ४५.००० रुपये हैं। परन्तु मूल्य अधिक होने पर विलायतमें गमके लिए प्रतिवर्ष तीस करोड मन भो इमसे लाभ ज्यादा होता है। इससे निकाला हा कोयला खर्च होता है और सिर्फ एक लण्डन शहरमें पामोनियाका पानी बाजारों में बिकता है। इससे लोग हो पाँच करोड़ रुपयेको ग म बिकती है। बम्बई और नौमादर बनाते हैं। जिस कारखार्ममें ४५००० रुपयेकी कलकत्ता आदिमें भी गमका खर्च कुछ कम नहीं है। मशीन काममें लायी जाती है, उम कारखानमें इतना | गांवठा (हिं. पु० ) गोवरका शुष्क चिप्पड़ जो जलानके नौमादर पैदा हो मकता है, जिससे साल भरमें उम | काममें लाया जाता है। मशीनक दाम बसूल हो जाय। गोरड (हिं. पु०) ग्रामका किनाग, ग्रामकी मौमा, गॉव गममे आमोनियाकै पृथक होने पर इमसे फिर की आस-पामको जगह । गन्धक और कारबोनिक एमिड निकालनी पड़ती है। गांईया (हि स्त्री० ) गोइया देवा । कारबोनिक एमिड थोडी ही रहती हैं, और वह ज्यादा गाई (रि स्त्री० ) बेलीको जोडी हानिकर भी नहीं होती। परन्तु गन्धक अत्यन्त अपकारी गांगवाल (देश) वैश्योंकी एक जाति । है । गन्धक होनेसे गैससे बहुत वुरी बदबू निकलती है गौच (हिं० पु० ) गोचन्दना, जांक । और उससे घरको चौजें भी बिगड जाती हैं। सर्वथा गौच (हिं स्त्री०) गस्लमोछा, गलगांछा। । गन्धक दूर करना तो दु:माध्य है, परन्तु चूनक मौतरसे गोंटा-उत्तर भारतवर्ष, पैशावर, भूटान, दक्षिणभारत गैस चलाई जाय तो गेसको छोड़ कर गन्धक चुनेके तथा जावामें पाये जानेवाला एक तरहका छोटा पेड़ । साथ मिल जाता है, यह निश्चित है। कारबोनिक एसिड वर्षा समयमै इम पर छोटे छोटे पुष्य और जाकि समय- भी चनक साथ मिल जाती है। इस तरकीबमे भी बहुत में कृष्णवर्गके छोटे मोठे फल लगते हैं जो खानमें बहुत से लोग गमको साफ किया करते हैं। लोहे की चरक | मोठे मालम पड़ते हैं। भीतरसे गेम पृथक करनसे भी गन्धक अलग हो । गोठ (हि. स्त्री० ) गोष्ठ, कमर परको धोतीको लपेट । जाता है। गोठनी (जि. स्त्री०) लोहे या पीतलका बना एक हथि- इस प्रकार गैसके साफ होनेके बाद उसे इकट्ठी कर यार। सुरक्षित रखना पड़ता है। गोंड़--मध्यभारतके पहाड़ी देशोंको बोलो। बहुतसे गम रखनेका पात्र लोहेमे बना हुआ बकस जैमा गोडोंने अपनी भाषा छोड़ हिन्दोको अपनाया है। प्रकत गोल होता है। इसका नोचेका भाग खुला रहता है। गोड भाषा द्राविड़ तथा आन्ध्रको मध्यस्थानीय हैं। इसमें यह पात्र एक जगहसे उठा कर दूसरी अगह भी रक्वा कई जबान है। उसकी लिखा नहीं जाता और न जा मकता है। इसके तल भागमें एक बड़ा पानीका हौद| कोई साहित्य ही देखममें जाता है। रहता है। उसहोदके भीतरसे गेसका नल पाता है। गोंड, मध्यप्रदेशकी एक असभ्य माति । वत्तमानमें