पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

खौचोचोहान किया । ज्येष्ठ भ्राता नि:सन्तान था। छोटेको चड़पाल | साठ साख हिन्दू पोर पठारह सा मुसलमानके हपर नाम का एक लड़का था जो माउमदयानमें राज करते शासन करते थे। उनके बाद इसी वंश के सात मनुष्य छ । सिंहराव, रतनसिंह और मलसिंह ये तीनों चूड़ | राजा हुवे । यथा सातावजी, हेमनी, प्रासलजा, रा. पालक वंशधर थे। मल्लसिंहने अपने तीन लड़कोंके बीच | मन, गेहितास, दुर्गादास और हामिरसेम : इन सात राज बांट दिया । बड़े जत्याल या चैत्यालके हिस्सा | राजापों के समय कोई घटना में हुई थी। राजा गागरोम, मध्यम अदलजीके भागमें अमलबाद और हामिरका सडक नारायणदासने मायू की सहायता छोटे विनामकै भागमें गमगड़ पड़ा। छोटे लड़के विला की थी इसलिये उन्हें प्राव हमार मसन्दवार का पद सके कोई पुत्र नहीं होने के कारण उसका हिस्मा दोनों मिना था। अकबर बादशाहने उनके सड़क शनिवाहन भाइयोंके बीच बराबर २ बांट लिया। अवुलफजलने को पामिरगढ़ दिया था। शासिवारनका सहा आइन अकबरीमें लिखा है कि जैत्यालने कमाल उद्दीन दीपशाह था। सम्राट, शाहजहां दोपचारको बहुत का नाश कर मालवराज्य ( १३२४ ई० में ) अधिकार मानते थे। सनीने दीवको बारह जनाकी जागीर किया था। और मुलतान पधिकार प्रदान किया था। दीशाहक जैत्यालके उत्तराधिकारी पांच मनुष्य थे--१ मावतसिंह, साड़ के गरीबदास को दो सड़के थे। बड़े साससिंहमे २ राव कण्डवा, ३ राजा पिपाजी, ४महाराज हारिका- | १६७०१०में राघवगढ़ स्थापित किया। : नाथ, ५ महाराज अचलदास । अचलदासके राजत्व कालमें लालसिंहके तीन लड़के थे-धीरत. म मुसलमानों ने गागराम्पर पाक्रमण किया,। परसदा केशरी, ये तीनो भाई क्रमानुसार राघवगड़, रामनगर, खिरिराजको पुगनी गजधामा खिचीपुरपाटन प्रात्म और गड़ामें राज्य करते थे। रक्षाके लिये भाग गये लेकिन विराज्य की रक्षा धोरतके दो लड़के-गजसिंह और विक्रमादित थे । के लिये १४४ : ई० ये रणस्थल गये और मुसल | औरङ्गजवके राज्यकालके अन्तिम समयमें जब सब वीर मानायसे मार गये। मौके साथ साथ गागरोन- राजपत उनके विवसमें थे और जिम उगमें बारपार केट खोचो राजवंशमा भी शेष हो गया। की मृत्य, हुई थी इस समय राजा गनसिंह भी इस त्यालका छोटा भाई पदलोक सड़के का नाम षडयन्त्र में लिप्त थे और अपना पिसिंहासम छोटे भारणी था। ये पलाउहीन धारक समसामयिक थे। भाईको पक्षण कर अपने राज्य के संपामसिंहके यहां खीची बंगामें धारुनी सविशेष भलि पोर बहाके पान पात्रय लिया था। .. थे। राजपूत भाट पाज तक भी उनका कीतिगाम करते. विकमादित्य के दो सड़के-बलभद्र और बुधसिंह हैं।भा प्रबमें लिखा है कि प्रधान प्रधान गजपूत थे। वलभद्रने पितसिहांसन पाया और वुधसिनम ..राबागण सुलतान पसाब्दीमके साथ अपनी अपनी सड़- रंगागड़की जानीर। पामताभोरयाग बुधसिके कियोका पादाम प्रदान करते थे। किन्तु धारुनी प्रवन्न अधरी प्राधीन है। राजा वलभद्रका पुत्र बलवन्त प्रतापी सुलतानके पादेशको नहीं मानते थे। इमोसे सि.और इसका बड़का जयसिह था। जयसिक . रात्रा धाबजा पपना गन्ध खोकर वनवासा हो गये राज्यकाब में महाराष्ट्र मनाने खोवीराज पर चढ़ाई की। घे। पन्त, सुलतानने उन पर सेतुष्ट हो कर खोपी- उनसे जयसिंहने ५२ वार सड़ाई की। १८१०१.को . बारके २४, बिहार प्रदान किये। उनके बारह समापति बप्तस्ता पंच बार अश्वारोही पोरदस मरके थे। जिसमें से परिसिंह ज्येष्ठ था।रके शासन- दस सिपाही पारबहुत गोसागोली लेकर बजरगढ़ मासमें खो गार राज्य दक्षिण में, पारगापूर पोर पौर अपनगर पर अधिकार जमाया और उसके बाद .सजासपूर तक पौर. पूर्वम भिलमा तक फैका गया राघवगढ़ के राजा जयसिपके विरुण पपसर ये । वोर. काया राजपूत भाव एम सामने है कि-रिसिंह बार चोहान राजाने पदम्य साहससे क्षुछ समय तक