पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४५८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

४५० गुरुगुलुगुल्म परम ज्वरो आदिको पूजा करते हैं। हजारीबागमें पत्थ- | से वायु, पित्त तथा कफ अत्यन्त दूषित हो गुरुभरोग उत्पा- रके एक ट कड़े को पांच बुदको सिन्दूर चढ़ा 'दामू" | दन करते हैं। एमका कोई ठिकाना नहीं, पेटमें किस नाममे पूजते हैं। जगह गांठ पड़ेगी। हृदयके नोचेमे वस्ति पर्यन्त कहीं इनमें बालविवाह प्रचलित है। स्त्रियां बड़ी मच्च- भी गुल्म उत सकता है। यह गोली जसा निकलता है। रित्रा होती हैं । व्यभिचार नहीं जमा है । पुरुष अवस्था- यह गुल्म रोग प्रधानतः पाँच प्रकारका होता है- नुमार बहुविवाह कर सकते हैं। पतिके मरने पर विधवा वातज, पित्तज, कफज, मानपातिक और गुल्मविशेष । अपने देवरम विवाह कर लेता है । पञ्चायतम पूछ लेने प्रथमोक्त चार प्रकारका गुला तो स्त्री पुरुष दोनोको हो पर दूमर आदमोके साथ शादी करनमें भी कोई अड़चन | जाता है, किन्तु शेषोक स्त्रियों को प्रावि रक्त दूषित होने- नहीं। से निकलता है। यह पुरुषको हना कम सम्भव है। किमोके मतमें पाश्वय, हृदय, नाभि और वस्ति पाँचो यह मृत देह को भूमिमें गाड़ देते हैं । गोम'म गाह गुल्मस्थान जैसे निर्दिष्ट हैं . समझा जाता है । इनकी स्त्रियां दांतका कीड़ा नका. लतों और बात अादि रोगांको अच्छा कर मकती हैं। हृदय एवं वम्तिक मध्यस्थलमें मबल वा निश्चल गोला- कार गुटिका निकलने और उसके घटते बढ़ते रहनका गुला लु ( म० पु० गुग्गल। नाम गुल्मरोग है। गुल्फ ( मं० पु० ) गल-फक अकारस्य उकारः। १ पाद: ग्रन्थि । एड़ी के ऊपाको गाँठ । गुल्म उठनमे पहले अधिक उदगार, मलका कठिनता, गुल्फजाह ( मं० ) गुल्फस्य मूल गुल्फ जाइच । पाहारमें अनिका, उदर, वेदनाक माथ गुडगुडाहट, गुल्फमूल । बलका लाघव, उदरामान, मुक्त द्रव्य का अपाक और शूल गुल्म ( मं० पु०) गुडति वेष्टयति, गुडकरण बाहुलकात् हुआ करता है। ..... . . मकत म्य लकार। १ प्रधान पुरुष वा अधिनायक हारा सब तरहके गुलमर्म अरुचि, मल एवं मूत्रका कष्ट के परिचालित सैन्य की एक संख्या, कोई फोज । साथ निर्गम, पटमें गुड़गुड़ाहट और अधिक उद्गार ___एक रथ, एक हाथी, पांच पदातिक ( पैदल ) और | होता है। तीन घोड़ोंके समुदायको पत्ति कहते हैं। तीन पत्तिका रुक्ष अन पानीय, विषम भोजन, अतिशय भोजन. सेनामुख और तीन सेनामुखका एक गुल्म होता है। बलवान्क माथ युद्ध प्रभृति विरुद्ध चेष्टा, मलमूत्रादिके अर्थात् ८. रथ, ८ हाथी, २७ घोड़ा और ४५ पैदलकी | वेगधारगा, शाकप्रयुक्त मनःक्षोभ, विरेचन आदि हारा फौजका नाम गुल्म है । ( भारत १॥२॥१५-२०) अत्यन्त मल क्षय और उपवासमे वायु कुपित हो वातज २ घट्ट देश, थाना, चौकी, घाटी। ३ चौकी या गुल्मरोग उत्पन्न करता है। यह कभी कभी घटता बढ़ता, घोटीकी फौज । ४ रक्षासमूह, मिपाहियोंका बेड़ा। गोल या लम्बा पड़ता और पार्श्व आदि वा नाभिदेश (मन ७ ११४ । ३ प्लीहा, लरक। एक मूलमें गुच्छाकार पहुंचता है। उममें जब तब वेदना भी ह तो है। मल उत्पन्न टण वशेष, जो घास एक ही जड़में गुच्छे जेसी और वायु तथा अधोवायुको वह रोकता और गले या लगती हो । (मन १६४८) काण्डशून्य वृक्ष जाति, पेड़ मुहको सुखाता है। शरीर काला और सुख पड़ जाता, जिसमें तना न रहे। ७ आड़ी। ८ ग्रन्थिपर्णवृक्ष, गंठ- शोतज्वर आता और हृदय, कुति, पाय, अङ्ग तथा शिरो- बन | ६ उदरज रोगविशेष, पेटकी एक बीमारी। देशमें वेदनाका प्राबल्य दिखलाता है। भुक्तान जीण ( A chroionic enlargement of the spleen or होनेसे वह बढ़ता और भोजन करनेसे कितनाही असा glandnlar enlargement of the abdomen. ) रहता है। रुक्ष, कषाय, तिक्त तथा कटुरसयुक्त अब भावप्रकाशके मसमें अनियमित पाहार और विहार | सेवनमे उसको वृद्धि होती है।