पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४५५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गुलाबा-गुलाम हुसेन खां है। इसमें मभी मनुष्य गुलावो रंगके कपड़े पहनते हैं।। १७७३ ई में मगे। इनके बनाये हुए "नान् कन्ले " गुलाबा ( फा० पु.) एक तरहका पात्र । और 'नानहलुयो" ग्रन्थमें प्रन्यु त्तर रुपमे लिखा गया है। गुलाबी ( फा. वि.) १ गुलाबके रंगका । २ गुलाब गुलाम-गदिश (फा० स्त्री०) १एक तरहको छोटो दोवार सम्बन्धी। ३ गुलाब जलसे सुगन्धित किया हुवा । ४ थोड़ा जो परदेका काम देती है। यह इस तरह बनो रहती हलका । स्त्रो०) ५ म दरा पौनेका पात्र । ६ एक तरह की है कि स्त्रियां प्रांगनमें घम फिर मकती है और बाहर- मिठाई जो गुलाबको पखड़ियोंसे बनाई जाती है । ७ एक के मनुष्यको दृष्टि उनपर नहीं पड़ सकती है। २ नोक- तरहको मना। यह मधा एसिया और युरोपमें पाई रोक रहने के लिये महलके चारो ओरका बरामद । जाती है, यह समूह के समूह एक माथ रहती है। ग्रीम गुलाम नबो-युक्तप्रान्तक हरहोई जिलेमें बिलग्रामक रहने- कालमें यह पर्वतों पर चली जाती है। यह चार पांच वाले एक हिन्दी कवि। वह ममनमान थ। उपनाम अण्डे एक समय देती है। रमलीन रहा। मिवा अरबी और फारमोमें विहान होने- गुलाम ( अ० पु० ) १ खरोदा हुअा भृत्य। २ साधारण के मेयद गुलाम नबी हिन्दो उर्दू भी ख ब जानते थे । संवक। ३गंजीफे का एक रंग। ४ ताश के पत्तोंमेंमे उन्होंने ( १६२७ ई. ) अगन्दर्पण नाव मिग्व प्रौर (११४१ एक। यह दहलेसे बड़ा और बेगममे छोटा होता है। ई० ) रमप्रबोध नामक हिन्दी भाषाका अन्लङ्कार ग्रन्थ लिम्वा । गुलामअली-एक मुमलमान ऐतिहासिक । इन्होंने 'शाह आन्नमनामा" नामका दिल्लीश्वर शाहआलम और उसके गुलाम महम्मद-टीपू सुलतानकै नातो। लगभग १८०१ राजत्व कालका इतिहास बनाया है। ईमें ये अङ्गारेजके हाथमे वन्दी हए थे। इसके बाद १८७१ ई० में इन्हें टिा गवमै गटसे नाइट कमाण्डर गुन्नामकादर खा-एक रोहिला मर्दार । ये जाविता ओफ दो ष्टार अफ इण्डिया ( K. C. S. I)को उपाधि ग्वाँक पुत्र और रोहिला मर्दार नाजिब उहीलाके पोत्र थ । मिलो थो। ११वीं अगम्त १८७१ ई०को ७८ वर्षको यह सम्राट शाह आलमके दरबारमें रहते थे। अन्तमें अवस्थामें इनका देहान्त हुधा। विश्वासघातकतामे इमने रोहिताश्रीको सम्राटको आवं गुलाम हमन खों-१ एक मुमलमान एतिहामिक ओर निकाल लेनका आदेश किया था। १७८८ ई०क १० विख्यात पगिड़त। इन्हान १७८० में जोज़ उदनी वो अगम्तको वह जघन्य आदेश प्रतिपालन किया गया। माहबक अनुरोधमे "ग्यिज उम मलातीन" नामक बल दिल्लीश्वरक प्रति एमा अत्याचार करने के बाद गुलाम देशका इ तहाम पारसी भाषामें रचना की थी। इनको कादरन मुहम्मद शाहके पौत्र और अहम्मद शाहर्क पुत्र बुद्धिमता देख मुग्ध हो नवाब इब्राहिम खाँन इन्हें निजा- 'वैदर बकत' को दिल्ली के तवत पर बैठाया। मत अदालतके एक मभ्यपद पर नियुक्त किया था। ___ बाद एक दिन वे अपने राज्य घोषगड़की ओर जा २ नवाब मैयद गुलामह मेन नामसे प्रसिद्ध । इनका रहे थे, रास्त में महाराष्ट्रमैन्य उन पर टूट पड़े। उन्होंने दूमरा नाम तिवा तिवाई था! ये हिदायत अलो खो गुलामकादरके नाक, कान, हाथ, पांव खगड़ रगड़ कर बहादुर आमदजङ्ग पुत्र छ । पहिले ये मुर्शिदाबादके दिल्ली भेज दियं । थोड़े समयके बाद गुलामका देहान्त नवाब समय अमोर रूपम् गण्य रहे, इसके बाद इष्ट हो गया। आगरा जिल्लाकै अन्तगर्त आडल नामक स्थान इण्डिया कम्पनी ममयम भी बड़े लाटमे मम्मानित हुए। में गुलामकी कब्र है। १७८० ई० में इन्होंन “मियार उल मुताखिरोन्" नामक गुलाम कुतबुद्दीन शाह-इलाहाबादवामी एक प्रमिङ पारमो भाषामें मुमलमान नवाबींका इतिहास प्रणयन कवि। यह शाह मुहम्मद फकोरके पुत्र थे। कवितामें किया था। इम ग्रन्थमें उम समय के बङ्गको अवस्था अति इन्होंने 'मुसीवत्' नामसे आत्मपरिचय दिया है । १७२५ सुन्दर रूपसे वणित हुई है। वङ्ग के एतिहामिक मात्र ई०के २८ वीं अगस्तको ये पैदा हुए थे और मक्का जाकर ही इस ग्रन्थका अादर किया करते हैं, इसमें अङ्गरज Vol. VI. 114