पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४५३

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गुलाबसिह मिहने देखा कि अब विपद नजदीक आ गयो । दुर्दान्त का आज्ञा दी। गुलाब के ऐसे मोठं बचन और अर्थ सिम्खनना महजम हो उन्हें छोड़ लोट नहीं जावेगा। मोहिनो शक्तिसे अधिकांश खालमा सनी उनको जीवन उनन कहला भता कि यदि श्यामसिंह मैजेतिया, फरीसिह रक्षा करने के लियं कटिवडहए। तब चतुर गुलाब मान, वार सुलतान मुहम्मद आ उन्हें अभयदान दें तो वे वन्दीरूपमे लाहोर आर्य ओर दरबारमें उपस्थित हो लाहोर दरबारका आदेश पालन कर सकते हैं। परन्तु अपनो जागीरक सिवा ममस्त अधिकृत प्रदेश और दगड कोई मर्दार पहल पहल उम महाबली जंबु राजाके निकट स्वरूप ६८००००० रुपयं द ना स्वीकार किया। यहां जा अपन जौवनको सङ्कटम डालने के लियं मम्मत न थोड़े दिन ठहर कर विपदको आशकाम स्वराज्यको हुआ। अनेक तर्क वितर्कके बाद रणजिसिहक समयका लाट गये वृह मेनापति फमिह मान गुलाब के पाम जानको राजी थोड़े दिन बाद दर्दान्त खालमा मन्यन मंत्री जवा- हुआ। जवपत गुन्नाबामहने उम वृद्धवीरका यथेष्ट हिरसि हको मारडाला। तब प्रधान प्रधान मर्दाराने मम्मान किया और कहा, कि हम तोन करोड़ रुपये कहां गुलाबसिंहको लाहौर आने और मन्त्रीका पद ग्रहण कर पावेंगे । हां : होरामिह ओर सुचेतमिहको जो सम्पत्ति है नका पुरोध किया। किन्त धूत गुलाबमिह म्वाधी- व: ममम्त वे लाहोर दरबारमें अपंगा करनको प्रस्तुत हैं। नताप्रिय मिख मैन्यों पर शासन करनमें महमत हुए। गुलामिहन इम तरह फतह महको लालच देकर बिदा १८४५ ई में पहले पहल मिखयुद्धका प्रारम्भ हुआ। किया। किंतु वृद्ध सेनापति नगर छोड़ एक कास भी सिखयुन देम्व'। दुईर्ष अटिग सैन्यको धार धोरे गत नदी नि न पाया था कि कहीं से पांच सौ डोगरा सनान पा पार होते देख, समस्त प्रधान मर्दार विपत्र और चिन्तित कर अत्यन्त निष्ठर भावसे उस वृद्ध सेनापति तथा उनके हुए। इम ममय मिखमन्यका प्रधान मेनापतित्व ग्रहण साथियांका मार डाला। सिफ एक मनुष्य प्राण बचा करनेवाला पञ्जाबमें कोई नहीं था। महारानो दलीप- कर भागा पार उमन इस दारुण हत्याकाण्डको खबर मिहकी मातान मर्दारीको मलाह लेकर गुन्नावसिंहको उन सबका कह सुनाई। वृद्धवीरको अचानक मृत्यु मे बुलाया। १८४६ ई की २५ वीं जनवरीको जम्ब गज समस्त खालसा सनान धत गुन्नावको ही इम हत्या कांडः गुलाबसिंह लाहोरके दरबारमें आ मन्त्री तथा प्रधान का नायक जान प्रबलवेगमे जवु नगर पर आक्रमण मेनापतिक पद पर नियुक्त हुए। उस ममय तदुनदो- किया। के तौर पर टिग और सिखमेन्यम लड़ाई चल रही थी। ___ चतुर गुलाबने फतेहमिहकी मृत्यु होने पर बह - किन्त, गुलाबमिहन पंजाब उम दारुण विपत्कानमें तही शोक प्रगट किया और अपनको निर्दोष मावित माच्च पद पर रह कर भो किमी तरहका माहाय्य न करन के लिए बहतसे मनुष्यांको कैद किया। अन्तमें किया। वरन युद्धकालमें जो ममम्त अंगरजी मैन्यवन्दी जब द खा कि अब रक्षाका कोई उपाय नहीं है तो हुए थ, गुलाब उन्हें लाहोरमै डाकर माहब हनिगवर्जक उन्होंने प्रियतम महाराष्ट्रमन्या का कि पण को कि वे मजाके लिए घरमें रख यथेष्ट अभ्यर्थना करने लगे थे । शीघ्र ही गुलाब. 'गलामकारक नाक, कान, नाक उनके पासमें है वह ने सुना कि अलिवान क्षेत्रमं मित्वमैन्य पराजित हुए हैं। निजी भेज दियो म हैं। यदि इच्छा हो तो सेनापोंको उत्साह देना तो दूर रहे, उन्हें निरुत्साह हो गया। आगरा जिलाके - धन सम्पत्ति बांट कर ले करने के लिये बहत गालियां दीं। दृष्ट मर्दागंक पर- में गुलामकी कब्र है। वनमें किसी तरहका अनिष्ट यन्त्र, स्वार्थपरता और अन्याय आचरणमे अजय मिग्व- लाहौर दरबारको नहीं जाते हैं। सैन्य वृटिशके हावने हारने लगो। मोवराउनमें विजय गुलाम कुतबुद्दीन श कवि। यह शार न्य उनकी रक्षा करें तो वे अपनी लाभ कर स्वयं बड़े लाट हाञ्जि न्नाहोर की ओर अग्रसर क कर मकते हैं। यह कह कर उनने हुए। इस बार ममैन्य बड़े लाटका प्रागमन मवाद इन्होंने 'मुसोवा से अधिक द्रव्य खालसा मेनामों में बाँटने पाकर गुलाबमिह चिन्तित हो गये । जिसमे गवना जन- ई० २८