पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४४०

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गुलाब होते हैं। आजकल एक लाख फलों का दाम ६०, से जड़ निकाल रखनी चाहिये, पोछ गोबरके साथ नवोन १००) तक है । इस पर भी कषकों को किसी तरहका नुकः मिट्टी उम स्थानमें देनी चाहिये। इमसे वक्ष पहलेको मान नहीं। फाला नमामके अन्तम गुलाबको पंदायश तरह हरा-भरा और फलोंवाला हो जायगा। होती है। उन दिनाम कषक प्रात:काल हो उठ कर स्त्री दिसम्बर और जनवरीमें गुलाब व क्षकी जड़ माफ पुत्रोंको माथ ले फ ल तोड़ने जाते हैं। उन फ लोका ___ करनसे पेड खूब हरा भरा हो जाता है। उम समय व्यवमायो लोग खरीदकर उनसे गुलाब जल और अतर ___उस पड़को जडमे मिट्टो निकाल कर १ फुटको दूरी पर । बनाते हैं। चारो तरफ ऊची मडमी बनानी चाहिये फिर उम ग लावको मानम बनाने के नियम-पंड़को डालोको काट कर मेड़के भीतर एक पला नया गोबर डाल कर ऊ'चेसे पानी या कलम बाँध कर कुछ ऊ ची मिट्टीम गाड़ देनसे लता डालनेसे, गोबरका पानी महज ही मिट्टोमें घुस जायगा, उत्पन्न होती है । ज्यादा पानी देनसे तथा सखी जमीनमें यह पानी सारका काम करेगा अथवा कच्चा गोबर डाल कलम उत्पन्न नहीं होती। वर्मातमें अधिक पानी बरम- देनमे भा मारका काम चल जायगा। नेक कारगा जड़ गल जाती है। हमालए कलम एमो जमीनमें गड़े हुए पेड़ोंसे जैसे फल उत्पन्न होते हैं, जगह लगानी चाहिये जिममे रमको जड़में पानी न टबमें गड़ हुए वृक्षांसे वैसे नहीं होते । इम शमें अधि जम मकै । गरमियों में ज्यादा घाम होनमे सूख न जाय, कांश लोग टबमें ही गुलाब लगाते हैं। अकावर माममें इमलिए कुछ कुछ पानो देते रहना चाहिये । इसके टबको मिट्टोमें खार मिला दें नसे, एक माहम अच्छ फल्न सिवा मार्च के महीनमें दम वृक्ष पर एक तरह का कोड़ा पैदा होते हैं। बैठता है, जो पत्तीको खाता रहता है। यह कीड़ा कोई कोई एस भी कलम बांधते हैं,-किमी एक वृक्षक लिये बहुत अनिष्टकर है और तो क्या, इमसे पात्र में मार वाली मिट्टी भर कर उसे जमीनम गाड त . पेड़ मख तक जाता है। हैं, बादमें उसमें नियम अनुसार फर्वरो मामम' कलम किसो किसीका कहना है कि मूखे पत्तोकी जन्ला बाँध कर जमोनम गाड़ देते हैं। फिर उस कलमक कर मिट्टीक साथ मिला देनसे एक तरहका मार बनता ऊपर दूसरे एक पात्रका आधा मिट्टी आर आधा पानीसे है। कोई कोई ऐमा भी कहते हैं कि, घामक छोटे भर कर रख देते हैं। उस पात्रका पानो क्रमश: चकर छोटे टुकड़े करके उसको सवा पर मेक कर मिट्टोमें कलमको हर वखत भिजोता रहता है। वर्मातसे पहले मिलानसे अच्छा सार बनता है। अगर महीने महीने उस कलमका काट कर गाड़ देते हैं। फल उत्पन्न करने की इच्छा हो,तो पड़को छॉटनिसे पहले यदि डालियों को काट कर चारा बांधना हो ता नव जड़में ज्यादा मिट्टी लगा कर जमीनसे पड़को उखाड़ म्वर माममं डालो गाढ़नी चाहिये। क्योंलि माचमास- लेना चाहिये। बाद में जब तक उस पड़क तमाम पत्ते में थोड़ी जड़ निकलता है, इस लिये उस समय उखाड़ न झर जॉय, तब तक उममें पानी न देना चाहिये। पत्तों- कर टबमें लगा मकत हैं। गुलाबको डालो बसातमें के झर जाने पर उस पेड़ को पुन: मिट्टीम गाडकर उसमें गाढ़नसे जल्दी जड़ निकलती है। डालोमे जलदो पेड़ उतना पानो देते रहना चाहिये, जिमसे कि, वह उठे। उत्पन्न करना हो, तो पत्थरक कोयलेको चूरक माथ तिहाई फिर उमकी डाली कॉट कर थोड़ा थोड़ा पानी देते रहना हिस्सा बाल को मिलाकर उसमें डालो गाढ़नसे जल दी चाहिये । ऐमा करनेमे छह मप्लाहमें फ न लगने लगंगे। जल दो पड़ बढ़ता है और फ ल भी खूब लगते हैं। गुलाबका पेड़ माल साल भरमें उखाड़ कर गाड़त रहने उक्त मिली हुई मिट्टोमं पुराने पड़को जड़ काटकर कलम से अच्छे फ ल पैदा होते हैं। यदि पड़को उखाड़ कर बनानी चाहिये, उम कलमको टबमें रख, मिट्टीको जलर दूसरी जगह लगाना चाहो, तो वर्सातके बाद अकोवर रख कर उम कमलके ऊपर एक कांचका ढकना रख- मासमें जड़की सब मिट्टो इकट्ठी करके २१३ सन्नाह तक देना चाहिये।