पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४३७

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गुलटुपहरिया-गुलवर्ग. गुलदुपहुरिया (फा० पु०) १ दो हाथ ऊचाईका एक प्रकार: दक्षिण क्रमश: बम्बई और मन्द्राज प्रेमोडम्मी पड़ती है। का पौधा। इस पौधेकी पत्तियां लम्बो और कटावदार क्षेत्रफल १६५८५ वर्ग मील और लोकसंख्या प्रायः होती है। २ इसी पोधका कटोरेके प्राकारका पुष्य जो २४६२८३४ है। इसमें ४ जिले लगते हैं । ३२ शहर और गहर लाल रंगका होता है। यह पुष्य सूर्य के ऊपर आने ५६५२ गांव है। पर खिलता है। गुल्लवगे--हैदराबाद राज्य के गुलबर्ग डिविजनका जिन्ना। गुलदुम (फा० स्त्री०) बुलबुल । इसके उत्तर उसमानाबाद तथा बदर, पूर्व अतराफ गुलनरगिश ( फा० स्त्रो ) एक तरहको लता। बल्दा एव महब ब नगर, दक्षिण महब ब नगर, राय- गुलनार (फा० पु.) १ अनारका पुष्य । २ अनारके पुष्य चुर तथा लिङ्गसुगूर और पश्चिम उममानाबाद बीजापुर के जैसा लाल रंग । ३ एकतरहका फलहोन अनार वृक्ष। तथा बम्बई प्रान्सका अकालकोट गज्य लगा है। गुलवर्ग इसमें सिर्फ बड़े बड़ सुन्दर पुष्य हो लगते हैं। जिला अक्षा० १६४० एव १७४४ उ. और देशा० गुलपपड़ी ( फा० स्त्री० ) एक तरहकी मिठाई जो पपड़ी ७६२२ तथा ७८ २० पू० मध्य अवस्थित है । क्षत्र. भी कही जाती है। फल ४०८२ वग मोल है। उत्तरसे दक्षिणपूर्व को पहाड़ गुलप्यादा ( फा० पु०) सदा गुलाब, जिसमे सुगन्ध कम चला गया है। जमोन उत्तरसे दक्षिण और होता है। ढालू है। नदियां कई एक हैं। मिवा पहाड़के दूमगे गुलफान म (फा० पु.) एक प्रकारका बड़ावृक्ष। यह जगह जङ्गल नहीं। बहग कहीं ठगडी कहीं गर्म है। मिर्फ शोभाके लिये लगाया जाता है। __ मुमन्लमानोंके अधिकारकै पहले गुलबर्ग जिन्ना गुलफिरकी (फा. स्त्रो० ) गुलाबी रंगके पुष्प लगनेवाला वरङ्गालके काकतीयोंका शासनाधीन था। ई० २४वीं शता- पौधा। ब्दीके आदि भागको मुमलमानोने उसे दिल्लीको बादशा- गुलफिरिङ्ग ( फा० स्त्री० ) एक तरहका फ लका पौधा । हतमें मिलाया । फिर यह वह माना और वोजापुरका (Venca rosea ) राज्य मुक्त हुआ। इसके बाद वह फिर दिल्लीको बादशा- गुलफुदना (हिं० पु. ) खेतों में उगनवाली एक तरहको हतमें लगा और हैदराबाद राज्य प्रतिष्ठित होने पर अन्नग घाम । हुआ। इसमें कई एक मशहर किले और ११०८ शहर और गलबकावली ( फा० स्त्री० ) १ हलदी पेड़, एक प्रकार- गांव हैं। लोकसंख्या प्रायः ७४२७४५ है । लोग कनाडी, का पेड़। यह नर्मदा नदीके उद्गमके निकट अमर- तेलगु, उर्दू और मराठी भाषा वोलते हैं । प्रधान खाद्य कंटकके वनमें होता है। २ इसी पाधका खेत और जुवार है । पशु बलिष्ठ हैं । १२६ वर्ग मील जगन्न है । सुगचित फ ल । आंग्व पाने पर यह फल पोस कर खानसे पत्थर निकलता है । सूतो और रेशमी माडियां, लगाया जाता है। गुलबक्सर ( फा० पु० ) नकसके खेलमें जोतको बाजी। जरदोजो कपड़ा, मामूली सूती कपड़ा और सूत तैयार गुलबदन (फा० पु. ) एक प्रकारका धारीदार बहुमूल्य । किया जाता हैं । गड़रिये कम्बल बहुत अच्छ बनात हैं। रेशमी वस्त्र । प्राचान काल में यह मिर्फ कागीमें बनता दो एक कपाम ऑटन और कपडे बनानेक पतलीघर भी था, किन्तुस्माज कल पंजाबके कई नगरीमं भी प्रस्तुत होने हैं । जुवार, बाजरा आदि अनाज, दान, चमड़ा, रुई, लया है। गुड़ तेलहन, तम्बाकू और तरवरक बक्कलको रफतनी गुलवर्ग-हैदराबाद राज्य के दक्षिण पश्चिम कोण का डिवि. हा राबाट राज्य के दक्षिण एशिमोगाकार होती है। ग्रेट इण्डियन पेनिनसुला रेलवे और निजा- जन । इसको दक्षिण विभाग भी कहते हैं । यह प्रक्षा. मकी गारगटोड ष्टेट रेलवे चलती हैं । ७८ मील मड़क १५.११ तथा १८४० उ० और देशा० ७५.१६ एव' है। यह जिला ३ मब डिविजनौम बटा है। बुरे समयमै ७७°५१ पू० मध्य अवस्थित है। इसके पश्चिम तथा मवेशियोको चोरियां और कैतियां बढ़ जाती हैं । १८७३