पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४१६

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४१४ गुमनाम-गुमानिकषि और ७७ ५५ पू० तथा बागपल्ली शहरसे १० मील पूर्वमें गुमल-विहार प्रान्तके रांची जिले में गुमल सबडिविजन- अवस्थित है। यहांकी लोकसंख्या २०७ है। यह ग्राम का सदर। यह प्रक्षा २३२ उ. और देशा . १३५० ई० में स्थानीय सरदार गुमनायकसे स्थापित किया | ३३ पू०में अवस्थित है। जनसंख्या प्रायः ७७७ है। यह गया था और इसलिये उमौके नाम पर इस ग्रामका नाम | वर्धिष्णु वाणिज्यका केन्द्र हो रहा है। पड़ा है। गुमनायक तथा उसके भाईने कड़ापासे डकैतों-| गुमसुर-दाक्षिणात्यमें गञ्जाम जिलेके अन्तर्गत एक तालुक का दल ला कर इस ग्रामको बसाया था । डकैतोसे उसने और नगर । यह अक्षा० १८. ३५ तथा २०१७ उ० शर्त करा लिया था कि जो कुछ वे लूट पाट लावेंगे उसमें और देशा० ८४.८ एवं ८५.५६ पू०के मधा अवस्थित आधा उसको मिलेगा। १४१२ ई०को इम ग्राममें शांति है। इसका क्षेत्रफल ११४१ ओर लोकसंख्या प्राय: २०० स्थापन करनका एक नियम बना जिससे वहांक ममस्त ३५७ है । यह १८३५,ई० तक देशी राजाके अधीन रहा । डकैत ग्राम छोड़ कर भाग चले। थोड़े ममयके बाद उमी माल स्थानीय सहर अङ्गारेजके विरुद्ध लड़ने लगे। यह विजयनगरके नायक-वशके अधीन आ गया। बाट अन्तमें अगरेजन उनका राज्य छीन लिया । उस ममयमें हैदरअलोके ममयमें इम वशका अध:पतन हुआ। भी यहां कन्ध जातिमें नररत्या प्रचलित था । वृटिश गुमनाम ( फा०वि०) अप्रसिद्ध, अज्ञात, जिसे कोई नहीं गवन में टन इस प्रथाको मदाके लिये रोक दिया। जानता हो। ___२ उक्त तालुकका प्रधान नगर। यह अक्षा. १९५० गुमर ( फा० पु० ) १ अभिमान, घम, शखी। २ मनमे और देशा० ८४.४२ पू० पर अवस्थित है। यहां १८३५ छिपाया हुअा क्रोध । ३ धीरे धीर की बातचीत । ई में एक राजप्रामाद था। यह नगर वहरमपुरमे ३८ गुमराह (फा० वि०) १ कुपथगामी, खराब रास्ते में चलने- मील उत्तर-पशिम अवस्थित है। उक्त राजाके अधीश्वर वाला । २ भूना हुआ, भटका हुआ। गुमराही ( फा० स्त्री० ) १ भ्रम, भूल, कुपन्थ, बुरा मार्ग। रघुनाथ भञ्जराजने यहाँ एक दुर्ग निर्माण किया था। गुमल-गुमलनदीको एक घाटी। यह दक्षिगा वजोरि- प्रवाद है कि वे ही गुमसुर राजव शर्क आदिपुरुष थे । स्तान एजन्मीके बीचसे मुरतजा और दोमण्डी हो करके गुमान (फा० पु०) १ अनुमान । २ घमड, अहङ्कार, गर्व। अफगास्तानको चली गयी है। इस विभागमें यह सबसे गुमानसिंह- जैतपुरके एक राजा। इन्होंने बन्दा जिलेक पुराना कारवारका रास्ता है। हर माल हथियार बन्द काफिलीका सिल मिला इस राह अफगानिस्तसे पाया केन नदीक बायें पाखं स्थित भूरागढ़ ग्राममें १७४६ ई०. करता है। को एक दुर्ग निर्माण किया था। गुमल-भारतके उत्तर-पश्चिम सीमाप्रान्तको नदो। यह | गुमानि-१ सन्ताल परगणा होकर बहती हुई एक नदी । अफगानस्तानके कोहनाक पहाड़से सरवन्दीके निकट | यह राजमहल पर्वतके दक्षिण भागसे निकल कर उत्तर- निकलतो और दक्षिण-पूर्व को बहती हई दोमण्डीके पूर्वमुख होतो हुई वड़ाइत् उपत्यकामें मा मोरन नदीमे पास अगरेजो सोमामें पहुंचती है। यहीं कुन्दर नदी- मिली है, और उस जगहसे दक्षिण-पूर्व की ओर बहती का मङ्गम है। वनातोई, तोई खसला और जोब इसको हई महादेवनगरके निकट गङ्गामें गिरती है। सहायक नदियां हैं। ऋग्वेदमें इम नदीका नाम गोमती २ उत्तरवण के पात्र यो नदीका दूसरा नाम ।। लिखा है। राजशाही जिलेके चलनविलसे दक्षिणी और प्रवाहित गुमल-विहार प्रान्त के रांचो जिलेका दक्षिण-पश्चिम सब- होतो हुई पावना जिल्ला पर्यन्त चली गई। डिविजन। यह पक्षा. २२ २१ तथा २३.३८ उ० गुमा गुमानिकवि-१ एक कवि । गित जिले धनकी बनाई और देशा० ८४ . एव ८५ पू० मध्य पड़ता है। हुरे बह तसी कवितायें प्रचखित म कहाँके रहने क्षेत्रफल ३६२२ वर्ग मील और लोकसंख्या प्रायः ४३४६८८ वाले एवं किसके पुत्र थह पाज तक किमकी कछ है। इसमें एक नगर और ११५७ ग्राम बसे । मालूम नहीं है ; किन्तु कोई कोई नया सालान गव ।