पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३४६

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गिर्वाहस-गिलगिट गिर्वाहन ( म. त्रि० ) गिरा स्तुति वाचा उद्यते गिर-वह | कन्याके वंशजात पुत्र 'एखने' व शो ज से अभिहित हुए असन् निपातनात् नोपपदस्य दीघत्व। स्तुति वाक्य हारा हैं। इम ममय एखन व शोय पत्रगत वा उपाधिधारी जिसका आह्वान किया जाय इन्द्रादि देवगण । किमी राजाका नाम महीं मिलता गिल ( मंत्रि.) गिलति भक्षयति गिल-क । १ भन्नक राजा श्रीभदृतके समयको चित्रान्न, यमीन. तगीर, (पु.)२ मगर। ३ जंबीरी नीबू । दरल, चिलाम, गोर, अमतोर, हनजा, नागर और हर- गिल (हिं स्त्री० ) १ मिट्टो। २ गाग। मौज प्रभृति स्थान गिलगिट राज्यक हो अन्तगत थ । गिलकार ( फा० पु० ) वह मनुष्य जो गारा वा पलम्तर ___ इम पावत्य प्रदेशम अमंख्य उपत्यकाए और गिरि करता है। शृङ्ग दृष्ट होते हैं। इनमें कोई ८०००, कोई २००००, गिलकारी ( फा० स्त्री० ) गाग लगान या पन्नम्तर करन कोई २२००० और कोई २४००० फुट ऊंचा है। किसी का काम। पर्व तमें ७०००० फुटके ऊपर भयानक जङ्गल है । इम गिनिया (हि.प. ) एक तरह की तरकाग. नना।। बनक निम्रदेशमें पश्मवाल अमव्य जाना मेष चरते देख गिलगिट-काश्मीर राज्यके अन्तर्गत एक जिला और उप पड़ते हैं। इमी पहाड़में ११००० फुट चे बहुत ज्यादा त्यका। यह अक्षा० ३५ ५५ उ० ओर देशा 98.२३ जङ्गली प्याज पैदा होता है। चना लोग इस पर्वतको प में ममुद्रपृष्ठम ४८४१ फट उचे अवस्थित है। यह शुङ्गलिङ्ग कहत हैं। गिल गटमें बहुसभी लोटा छोटो हिन्द्रकुश पर्वतके दक्षिण-उत्तर दिग पर अवस्थित है। नदियां प्रवाहित हैं। रकोणेश पव तसे निकली हुई यमीन या गिन्नगिट नदी उपत्यकाका ममम्त स्थान पर नदीमें स्वर्ण मिलता है। पहाड़ी लोग गोतकालको उम- भ्रमण करके वङ्गजो नगरके मील उत्तर मिन्धनदसे मे मोना निकाला करते हैं। जा करक मिल गयो है। पहले इस नगरमै ८ टुर्गाम गिलगिट नगर और सिन्धनदक मध्यवर्ती स्थानमें परिवेष्टित ममृद्धिशाली वासभ मि रही। यतीन और बागरोत उपत्यका है। उममें ममृदिशालो अनेक ग्राम चित्रानवाले राजाओं के परस्परमें लड़नमे यह दुर्ग | बसे हुए हैं। यहां मोना और वनज रत्नादि पाये जाते विध्वम्त हुए और उसके साथ मभस्त गिलगिट उपत्यका | हैं . गिलगिटके प्राचीन राजा शव कटक आक्रान्त होने मिखकि अधिकारमें चली गयो । यह जिल्ला प्रायः ४० मोल पर उसी उपत्यकामें जा करक आत्मरक्षा करते थे। आज- विम्त त है । दमका सदर गिलगिट शहर मिन्धनदसे कल सभी अधिवामी शोनव शोय हैं। यह लोग शीन २४ मोल दूर है। मधास्थानको उप रा और जलवायु भाषामें ही बात चीत करते हैं। शुष्क और स्वास्थ्यकर है। पानी कम बसता है। गिलगिट नगरसे १ मील दक्षिण को हनजा नदी जा इम स्थानका प्राचीन नाम मर्गिन बदल करके | करके गिलगिट नदी में मिली है। इमोके किनारमे उत्तर- पोछेको गिलित हो गया और मिखाका अधिकार बढ़ने | को चापरोत जिला है। यहां चापरोत ग्राममें एक दर्ग पर गिलगिट पुकारा जाने लगा। आज भी शोन जातीय बना हुआ है। यह किला नदीम म पर अवस्थित और स्थानीय अधिवासी उसको 'मर्गिनगिलित' कहते शत्र कर्ट क दुर्भद्य है। स्थलपथ भिन्न इसमें टूमरी हैं। प्राचीन प्रस्तरमन्दर और बौद्ध कारुकार्य का ओरसे घुमनकी राह नहीं है। समय समय पर यह ध्वंसावशेष देखनमे मालूम ह ता है कि ई० १५वौं । गिलगिल हनजा और नागर गजानकि अधकारमें रहा, शताब्दीसे पहले यहां नि जाओं का राजत्व रहा अब काश्मीरगजका अधिकारभुत है। लोग उन्हें 'गम' वा 'साही राय' उपाधि हारा सम्बोधन | उत्तर दिकसे रकीपोश पर्वतके अभिमुख टकटकी करत थे । हिन्दू राजवंशके अन्तिम राजाका नाम श्रीव- लगा करके देखनेसे मालूम पड़ता, मानो किसी नदीके हत था। किमो मुसलमान आक्रमणकारोन युद्ध में उनका किनारसे क्रमान्वयमें जर्वाभिमुखको पहाड़ उठा है। निहत करके तदीय कन्याका पाणिग्रहण किया। इसी यह पार्वतीय दृश्य प्रति मनोरम है । चसीन, पोनियाल