पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३१३

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गायकवाड़ हियो ने उन्हें पकड़ करके अंगरेजों के हाथ सौंप दिया। से पहले अहमदाबाद और काठियावाड प्रदेश ४॥ लाख अंगरेजो ने उन्हें बम्बईके दुर्गमें कैद करके रखा था। वहीं रुपया मालाना आमदनीको जायदाद मान करके कई मल्हारराब मर गये। वर्षक लिय पेशवाको दी गयी थी। निर्दिष्ट काल शेष अंगरेजों के माहाय्यसे आनन्दराव गायकवाड़ बड़ोदा होने पर पेशवाने फिर उसको लिखा पढ़ी करा लेनी राज्य शामन करन नगे । गवजी अप्पाजी मन्त्रो, बाबाजी चाही. गाय बाड़के पक्षसे कहा गया क उन्होंने सेनापति और ले फटिनगट कनल वाकर अंगरेजो ग्मी- गायकवाड़के अधिकत भहींचकी मालगुजागे नहीं दी गट वा पोलिटिकल एजंगट थ। उस समय राज्यका और गायकवाड़से विना पूछे ही अंगरेज गवन मेण्टको आय ५५ लाख, परन्तु व्यय ८२ लाग्व रुपया रहा। सुतगं पहुँचा दो। दोनों ओरका हिमाब माफ करनके लिये ऋणपरिशोधका कोई उपाय द ख न पड़ता था। गायकवाडको ओरसे गङ्गाधर शास्त्री पनकी भज गर्य । १८०५ ई०को अंगरेज गवन मिण्टन गायकगाड़के माथ गङ्गाधर शास्त्रो देखो। अगरेज गवन म गट उनको रक्षाके निर्य दायो हुई थी। गङ्गाधरके निहत होने पर अंग थ, दम सन्धिक अनुमार ३००० पैदल ओर गोलन्दाजों- रजनि पशवाको लिखा कि वह हत्याकागे नाम्बकजी को एक फोज वन लग। आर उनके व्ययनिर्वाहको अडियाको उनके हाथ सौंप दते। अनिच्छा रहते भी ११७००००, क. आयको सम्पत्ति अन्लग की गयो। पैगवान उन्हें पकड़ करके उपस्थित किया । किन्तु चौरासी, चकनी और कैग प्रदेश तथा सूरतको चोथ नाम्बकजी रक्षियों के हाथमे निकल्न मेनामंग्रहपूर्वक और मिवा इसके १२ लाख ८५ हजार रुपयेको जायदाद। पेशवा साहाय्यमे युद्धका उद्योग करने लगे । १८१० कर्ज अदा करने के लिये अंगरज गवन मण्टको दो थो। ई०को अङ्गरजॉर्क पूना घेरने पर पेशवान मन्धिका प्रस्ताव मधिक वर्षपोल अंगरज गवन मंगटने देखा कि फोज किया। अगरेजी पक्षपर एलफिनष्टोन माहबके प्रस्तावमे रखनक निये जो सम्पत्ति निर्टिष्ट थी, उससे व्यय न निक मन्धि हुई। लता रहा। उमोमे गायकवाडकी और जायदाद छोडनो इतने दिनों तक पंशवा महाराष्ट्रों के अग्रणी जैसे पड़ा। १८०८ ई०को मान्नुम हुआ कि ऋण जैसाका ममझ जात थे, अब उम सम्मानमे वञ्चित हुए । स्थिर हो तैमा रहा और सूद चढ़ता था सन्धिम किमीको सुभीता गया कि उनको मब मांग चुकनिके लिये उन्हें प्रति न पड़ा । अंगरेज गवन मंगट मम्पत्ति ले करके वर्ष ४ लाख रुपया दिया जावेगा । वह फिर गायकवाड़ फौजका खच चला न मकी, गायकवाडका भी कर्ज राजाम किमो प्रकारका हस्तक्षेप न कर मकेगे। अहमदा- बना रहा। १८११ ई०को ग्मोडण्ट मंजर वाकरक बाद पिछली मन्धि अनुमार उन्हींक पाम रहेगा। काम कट्टी लेने पर कपतान रिवट कार्नाक रमोडिगट काठियावा प्रदेशका राजस्व अंगरज गवर्नमेगटको हुए। १८१२ ई०को बम्बई मरकारने प्रस्ताव किया था देना पड़ेगा। गायकवाड़ एक करोड़ रुपया देने पर उनको समस्त पशवाकै साथ सन्धि हो जाने पर गायकवाड़मे रम अन्य सम्पत्ति लोटा देनी चाहिये परन्तु इस प्रस्ताव ___ शर्त पर अंगरेजो गवन मे गटको दूसरी मन्धि हुई कि में गवर्नर जनरल सम्मत न हुए । १८१३ ई०को बड़ाटे कोई बढा युद्ध उपस्थित होने पर उभयपक्षको मन्य दे में भयानक दुभिन्न पड़नसे राजस्वको तहसीलों वड़ो करके एक दूसरका माहाय्य करना पड़ेगा। गायकवाड़के अडचन लगो। उमसे ऋण और भी बढ़ा था। दूमरा ३००० मवार अगर जो के अधीन रहेंगे। दोनों प्रारक वर्ष पेशवा बारमें दूसरा झगड़ा उठ खड़ा हुआ। इम- कंदो परम्पर छोड़ देने पड़े 'गे। अगरेज गवन मगर •एस सम्पत्तिम ढोनका ४५००००), मझियाद १७५०००), बोनापुर १३००००, गायकवाड़ के माहाय्यको ओर भी सैन्यमख्या बढ़ावंगी। माधु र १२०००), रुखा ११००००), कुरोरतप्पा २५०० थिमकटोद्रा उसके व्ययनिर्वाहाथ गायकवाड़ने अंगरेज गवर्नम- १०.००, भोर काठियावाको बराट ११.०००) था। ण्ठको गुजरातका अंश छोड़ दिया। फिर अंगरं जो