पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२८४

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२८२ गाङ्गरुक-गाजो-उद-दोन खां फिरोज १म उपाधि 'चतुदै शभुवनाधिपति वीर श्रीवृसिंहदेव' था। लेकिन लम्बाई में बड़ी हैं। इसकी जड़ लाल रङ्ग लिये पाईन अकबरीमें लिखा है कि मालव २य मारिन्पति अधिक मोटी होती है। यह उषण होती है और घोडेको खशाल-उद-दोन हसेनन वणिक के वेशम जाजनगर जा बहुत खिलाई जाती है। दीन मनुष्य और उनके बच्चे कोपाल कमर्म राजाको पकड लिया। फिर राजाको छोटी और नरम जडको बड़े चावसे खाते हैं। इसकी कितने ही बढिया हाथो देने पर सम्पत होनसे उन्होंने मुम्बी जड़के ऑटेमे हलुवा प्रस्तत किया जाता जो खाने छोड़ दिया। फिर इम वशके कमो दूमरे राजाका में बहुत सुस्वाटु लगता है। यह कार्तिक और अगहन । नाम शिनाफलक वा ताम्रशासनमें नहीं मिला । मादला- मासमें बोया जाता है। इसको तरकारी, प्रसार तथा पल्लो मतानुसार इसके बाद भानुदे व चतुर्थ राजा हुए। मुरब्बे भी बनाये जाते हैं। वह मतवाले थे। उनके मरने पर मन्त्रो कपिलेन्द्रद वने गाँजा ( फा० पु०) रोगन, पाउडर। उक्त राज्य अधिकार किया। २८३ पृष्ठ में गांगय-वंशको गाजियाबाद-युक्त प्रदेशके मेरठ जिलेकी एक नरमील। 'तालिका और उनका राजत्वकाल दया गया है। यह जिलेंक दक्षिणपथिम पड़ती है। यह अक्षा. १८ गाकक ( म० को० ) गोरख इमली का वीज। ३३ तथा २८.५६ उ. और देशा० ७७१३ एवं ७७.४६ मारको (म स्त्रो०) गौरक्षतण्ड ला । मका पर्याय- पू. के मध्य अवस्थित है। लोकसंख्या प्राय: २७६५१८ नागवला, झषा, इस्ख गधुका, खरवरिका, विश्ववेदा है। गङ्गा और यमुनाको नहरमे खेत मौंचे जात हैं। और गोरक्षतण्ड ली है। इसका गुण मधुर, कषाय, इमका क्षेत्र फल ४८३ वर्गमील है। प्रधान नगर गाजि- मौसल, पित्त और कफनाशक है । पर क सव स्थान २०००। याबाद अक्षा० २८ ४० उ० और देशा० ७७ २६ पूर्वक गाईकही ( म' स्त्री० ) गाङ्ग तटादौ रोहति रुह क। बीच मेरठ शहरसे ७ कोम दक्षिण-पश्चिम पड़ता है । भागवला। इसको लोकसंख्या प्रायः ११२७५ है। दक्षिणापथक प्रमिक माष्टो (मं स्त्रो०) गा नदीतटे तिष्ठति स्था-क यत्वम् नवाब मलावत जङ्गके भाई गयाम-उद्दीनने १७४० ई. को यह नगर स्थापन किया और गाजी-उद्दोन नगर नाम अलुकममास । लताविशेष, एक प्रकारको लता जो गङ्गा । सट पर प्रायः उत्पन्न होती है। कटशक रा। रख दिया था। रेलवे राह खुलनेके समय बोलनक गाोध ( म० पु० ) गांगो गङ्गा सम्बन्धी उद्यः कर्मधा०। सुभतिको उक्त नाम बदल करके गाजियाबाद' बना लिया गंगास्रोत, गंगाकी धारा। गया है। १८५७ ई०को सिपाहीविद्रोहके समय एक दल मांत ( त्रि.) गाङ्ग गंगाकूले भवः यत् । गहाकु- अंगरेजो सेनाने यहां विद्रोहियोंको हराया था। यहां सादि सम्बन्धी, गंगासम्बन्धी । ( मुम्ब ८६०४५) टुग्धं वरनाथ देवका मन्दिर विद्यमान है। यह मन्दिर गाच ( हि पु० ) फुलवर सूती कपड़ा। २२५ वर्ष पहले बना था। सिवा इसके ६ बड़ो मस- माह (हिं पु०) १ छोटा पड़, पौधा । २ वृक्ष । ३ एक जिदें भी हैं। रेल लाइन खुल जाने पर यहां बहुत सराएं तरहका पान जो बंगालक उत्तरमें होता है। बन गयी हैं। दग्ध खरनाथ व्यतीत और भी कई एक माकी (हिं स्त्रो०) १ बाग।२ खजरको मोलायम मन्दिर खड़े हैं। गाजी उद-दोन खो फोरोज श्म, इनका असली नाम मोर कोपल सुखाने पर यह तरकारीके काममें पाता है। गाज (Eि स्त्रो०) १ गर्जन, गरज । २ बिजली गिरनेका शहाब उद्-दोन बोरी था। सम्राट बहादुर शाहक समय ।३ वच्च, बिजली। इनको गुजरातकी सूबेदारी मिली। इन्होंने दिल्ली में प्रज- माजना (हिं क्रि०) १ गर्जन करना, चिल्लाना । २ प्रफुल मेर दरवाजेसे बाहरको एक मदरसा लगाया था। हाना, प्रसव होना। १७१०ई०को अहमदाबादमें इनका मृत्यू हुआ। इनकी गाजर ( स्त्रो०) गाजं मद राति रा-क। शालगम, लाश दिल्लो ले जा करके दफनायी गयी। सुविख्यात मजरा, इसके पौधेकी पत्तियां धनियाकी जैसी होती है निजाम पासफ जाह इनके लडके थे।