पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२७४

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गागला-गागपुर पाप'चे। दुर्गके सेनापति उनको भेट देकर मिले | लक्ष्मी के भक्त च्यवनमुनि गोत्रके एक चन्द्रवंशीय राजा थे। १८वौं शताब्दीके आरम्भ तक यह मुगलों के अधि- | अायान्तिक पुत्र । ११ वागीश्वरी देवीके भक्त अत्रिगोत्रीय कारमें रहा। फिर बादशाहन कोटा महाराव भीम- एक राजा, प्रमाथिक पुत्र १२ एकराजवंश । गांग यश देखो। सिहको गागरोन प्रदान किया था। अन्तको युवराज | गाङ्गट ( मं० पु. ) गाङ्ग नदी तटादिकमटति अट-अच् । जासिममिहने किले को बना और बढ़ा दिया। मत्स्यविशेष, झींगा मछली।

  • ग्राममे दुर्ग पृथक् है। दोनो के बीच एक मजबूत गाङ्गटक ( मं० पु० ) गाङ्गट स्वार्थ कन् । गाङ्गटमता

छवी दीवार खड़ी और चटानों में गहरी खाई खुदी है। झींगा मछला।। पानी जानके लिये पत्थर का एक पुल बना है। यहांक | गाङ्ग टेय ( सं० पु० ) गाङ्गट स्वार्थे ढक । गाङ्गट मत्स्य, तो बहुत मुहावने होते और मिखानसे बहुत जलद झींगा मकली।। पडलगते हैं। पहले कोटा महाराजको गागरोनमें टक गाङ्गताक-बङ्गालमें सिक्किम राज्यको राजधानो। यह साल रहो इसकी आबादी कोई ६०१ हागो। अक्षा० २७२० उ० और देशा०८८३८ पू में अवस्थित गागला-बङ्गालक रङ्गपुर जिले का एक वाणिज्य प्रधान है। लोकमख्या प्रायः ७४८. है। सिकिममहाराजका गडपाम । यह अक्षा० २५.५८ उ, और देश ८८ यहां एक वामभवन है। प.प.में घरला और शङ्ग नदीके मधा अवस्थित है। गाङ्गदेव ( मं० पु. ) मुक्तिकर्णामृतम उद्यत एक कवि । या प्रतिवर्ष उत्पन्न द्रव्यों में मन, तम्बाकू और अदर- | गाङ्गपुर--१ छोटा नागपुरक अन्तर्गत एक देशीय राज्य । ककी रफ तना अधिक होती है। किमौके मतमे गङ्गवशोयसे प्रतिष्ठित होनेके कारण इस- गागामह-दिनकर भट्ट के पुत्र, रामश्वर के पात्र और सुप्रमिद्ध | का नाम गंगापुर, गंगपुर या गांगपर पड़ा है। कमलाकर भट्ट के भ्रातुष्य त्र। इनका प्रवत नाम विश्व - २ बङ्गालमें उड़ीसाका एक करद राज्य । यह 1-1. भार भा रहा । १६१२ ई०को यह विद्यमान थे। इन्होंने २१. ४७ से २२ ३२ उ० और दशा० ८३ ३३ से ८५ चयोचदीपिका, दिनकरोद्योत, निरूढ़पशुबन्धनप्रयोग, ११ पू में अवस्थित है। भूपरिमाण २४८२१ वर्ग मोल (बोर), पिण्ड पिटयज्ञप्रयोगमार, जमिनोमूत्रको भट्टः है। इसके उत्तरमें जशपुर राज्य और राँची जिल्ला; पूरवमें चिन्तामणिनामी टीका, मीमांमाकुसुमाञ्जलि, चन्द्रालो सिंहभूम, दक्षिणमें बोनाई, सम्बलपुर और वामरा राज्य को रोकागम नाम्रो टोका, श्लोकवार्तिककी शिवाऊ तथा पश्चिभमें समुद्र पृष्ठसे ७०० फीट ऊचे पर एक दय नीन्त्री टीका, सुज्ञानदुर्गोदय और आपाजी पुत्र | विम्त त समतन्न क्षेत्र है। यहांको प्रधान नदिया इव, संख बहाल वर्मा के आदेशसे कायस्थधर्म प्रकाश नामक संस्कृत | और कोइल हैं। 'इव' जशपुरसे निकल कर उक्त राज्य मन प्रलयन किया। होती हुई संवलपुरके निकट महानदीमें गिरी है; संख गार सं० पु० ) गङ्गाया अपत्यम् । १ गङ्गापुत्र, भीष्म ।। रांचीसे और कोइल सिंहभूमसे निकलो है। मंख तथा मा केय । ३ स्वर्ण, मोना। ४ धुस्त र, धतूरा। कोडल नदियां गांगपुरके निकट एक दुमरीसे मिल कर कर। ६ हिलसा मछली। (त्रि०) ७ गङ्गासम्म त उडीसा होकर प्रवाहित हैं। यहां जंगलमें वाघ, चौता- सादि, गङ्गाका निकाला हुआ जन्न । ( लो०) ८ मेघ | वाघ, भेड़िया, तरक्षु (लगरबग्गा ), भिन्न भिन्न तरहके मिस तं जल विशेष, वर्षा का पानी । सुथ तके मतसे यह | हिरण और पक्षी पाये जाते हैं। गजल समस्त दोषों का नाशक, बलकर, पवित्र, रसा ___प्राचीन समय यह राज्य नागपुरक मराठा राजाओंके यन, श्रम, क्लान्सि और पिपासानाशक, कण्ड दोष | अधीन था; किन्तु १८०३ में देवगांवको सन्धिके अमु- निवारक, लघु, मूर्छा, सृष्णा, वमि तथा मूत्रस्तम्भ | सार टिशके हाथ पाया। १८०६ ई में हटिश सरकार निवारक है। दिन और सन्ध्याके समय यह जल पड़ता ने यह राज्य फिर उन्हें लौटा दिया था। सादीका तट, नदीका किनारा । ( पु० ) १० महा। राज्यकी भामदनी कुल २४०००० रु. है, जिनमेसे Rint