पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२५५

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गलहस्तित-गलिचोपक गलहस्तित ( म० त्रि. ) जिसके गले पर हाथ दिया गया गलितकुष्ठ (सं० क्ली० ) गलितं कुरुठम्, कर्मधा• । गलित हो। (षध ५।२५ . ) कुष्ठ रोग, इममें शरीरके मब अंग मड़ने और कटकट कर गलही ( हिं० स्त्री० ) नादका वह अगला और उपरका, गिरने लगते हैं .) गो में कीड़े पड़ जाते हैं भाग, जहां उसके दोनों पार्ख आकर समाप्त होते हैं। । गलत कुष्ठ देखो। गला । मं० स्त्री०) गलतीति गल-अच-टाप । १ अलम्बषा, गलितदन्त ( म० त्रि. ) जिसे दॉत न हो। लज्जाललता। शरीरका वह अवयव जो सिरको धड- गलितयौवना ( मं० स्त्री० ) वह स्त्री जिसका यौवन ढल से जोड़ता है, गलदेश । गया हो, ढलती जवानीकी स्त्री गलाऊ (हि. वि. ) जो गलता हो, गलनेवाला। गलिया ( हि स्त्रो०) चक्कीक छैद जिसमें पोमनके लिये गलाङ्कर (सं० पु०) गलजात: प्रकरः । गलदेशजात दाना डाला जाता है। (हि. वि.) मट्ठर, सुम्त । यह मामाङ्ग र विशेष। एक प्रकारका गलेका रोग, जिसमें सिर्फ बैंल आदि चौपायकि लिये आता है। गाल फूल जाता है। गलियारा (हिं पु० ) मकोण राह, तंग छोटो गलो। गन्नाध:करण ( मं० क्लो. ) निगलने की क्रिया। गलियारा-गरजीको एक जाति । ये अहमदाबाद गन्नाना (हिं क्रि०) किमो वस्तुके संयोजक अणुओंको और सूरतमें पाये जाते हैं। ये बहुत छोटे छोटे घरमें पृथक् पृथक् करके उसे नरम गाला करना । रहते हैं, और कपड़े को गंगाकर अपनी जोविका निर्वाह गलानि (हिं० स्त्री०) दःख वा पश्चात्तापके कारण खिन्नता। करते हैं। स्त्रियां भी मर्दको वस्त्र गर्नमें महायता २ खेद, दुःग्व। पहुचाती हैं। इनमसे बहुत थाड़े अपने लड़केको गन्गनिक ( मं० पु० ) गले अनिको प्राणो यस्य । झींगा, पदाते हैं । एक प्रकारको मकली। गलियारी (हि. स्त्रो०) मार्ग, गली। गलानिल ( म० ए० ) गल अनिलः । प्राणवायु, प्राण । गली ( म० स्त्रो० ) दो घरोंको पंक्तियोंके बीचमे हो कर २ मत्स्यभेद, एक प्रकारको मछली। गया हुवा तंग राम्ता, खोरी। गन्नायक ( मं० पु०) गन्नरोगभेद । एक प्रकारको गलेको गलीचा (फा. प० ) एक प्रकारका बिछौना। यह बहुत बीमारी। मोटा और भित्र भित्र रमों का बना रहता है। इसमें गन्लार (हिं पु० ) एक पेड़का नाम । घने वालोंकी तरह म त निकले रहते हैं। गलारी (हिं स्त्री०) गिलगिलिया नामकी चिडिया। लोट ला मेला गलोज (अ.वि.) १ गंदला, मला।२ प्रशद्ध, अपवित्र, गलावट (हिं. स्त्री०) १ गलनका भाव या क्रिया। नाक | या। नापाक। २ वह वस्तु जो दूसरी वम्को गलावे, सोहागा नौसादर गलीत ( अ. वि. ) मदा, मला, करेला। आदि। गल ( पु० ) गल-उन्। मणिविशेष, एक प्रकारका गलाविल (सं० पु. ) गलानिक मछली । गन्नार्य द (सं० ली० ) एक प्रकारको बीमारी जो मदा गिल ( स० पु० ) एक प्रकारका पत्थर, जिससे प्राचीन गले में हुआ करती है। कालमें मदौरके बरतन बनाये जाते थे। गलि ७. पु०) गिरति श्रममकत्वे व भक्षयतीति गल-बन् । है। भेड़ जो सामर्थ्य होने पर भी बोझ खोंच न मकै, दुष्ट गल न ( स पु० ) काश्मीरक एक राजमन्यो । यामहर बल। २ स्वल्प परिमर पथ, वह रास्ता जिममे (गजत यो ३।१०६-१०७ ) शोघ्र पहुच जाय। गलेगण्ड ( स० पु० ) गलेगण्ड इवास्य। पक्षिविशेष, गलित ( सं० त्रि.) गल-त । १पतित, नीतिभ्रष्ट, महा- हड़गिन । पापी। इसका पर्याय सस्त, ध्वस्त, भ्रष्ट, स्कन और गलेचीपक (म त्रि०) गले चुप्यतेऽमौ चूप कर्म णि ण्व स्तु यु त हैं। २ द्रवीभूत, गन्ना हुआ। अलुक समास। कण्ठ-कतनीय, काटनेके योग्य गला Vol. VI. 64 रन।