पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२४८

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२४६ गर्दा-गल दनी प्रायः चार लाख रुपयेकी है। तहसीलके दक्षिण- स्थापित किया गया था, लेकिन १७५३ ई० में यह राज्य की ओर मतलज नदी प्रवाहित है। दाउद-पुत्रके प्रधानने उनसे छीन लिया। फिर १८०६ ई. ____२ पञ्जाबकै होमियारपुर जिलामें इसी नामकी तह में बहबलपुरक हितोय नवाब बहवलखॉन इसे अपने राज्य सोलका एक शहर। यह अक्षा० ३१ १३ उ० और में मला लिया। शहरके चारों ओर खजूरका जंगल है। देशा० ७६ ८ पू॰में अवस्थित है। लोकमख्या प्राय: यहांसे बहत दूर दूर तक खजरको रफतनो होती है। ५८०३ है। शहरमें एक किला है जिसको महमूट गहत ( म० त्रि. ) गह-त । निन्दित, जिसकी निंदाको गजनी अपने अधिकारमें लाया था, किन्तु थोड़े ममयः | जाय, दृषित, बुरा । के बाद हो महमूद घोरीने उनमे कोन कर जयपुरके गर्हितव्य ( सं० त्रि. ) गह-तव्य । निन्दनीय, शिकायत कर राजा मानमिडके लडकों को सौंप दिया। यहां राज | ने लायक। प्रतीकी मख्या अधिक है। तम्बाकू और गुड़का व्यव- गर्हिन् ( मं० त्रि. ) गह-णिनि। नन्दक, निन्दा करन- साय यहां बहत होता है। इस शहरमें एक 'हन्दी वाला। स्कन तथा एक सरकारी अमा ताम्न है। गर्षियामिन ( गढ़ीयामिन )--बम्बई प्रदेशमें भक्कर जिले गर्दा ( मं० स्त्री०) गर्यते इति गह-अ । (गरीष म:। पा के नौमहो अनी तालुकका एक शहर। यह अत्ता. २० - ६॥३१०१) ततष्टाप । निन्दा, शिकायत । ५४ उ० और देशा० ६८ ३३ पू०में अवस्थित है लोक- "५५ प्राणान् धारयति पुण्य प्रायदमुच्यते। हव्या प्रायः ६५५४ होगो । तलहनका व्यवमाय यहां येम यमाचरे इम समान गर्दा न विद्यते । (भारत १४१५५५.)| अधिक होता है। इस शहरको आय लगभग २५००० रु. गर्ग (गडा)- मध्यभारतके गूणा उपविभागके अन्तगत की है। यहां एक अम्पताल और दो वद्यालय हैं। एक क्षुद्र राज्य । क्षेत्रफल ४४ वग मौल है। लोकसंख्या गद्य ( मं० त्रि.) गह-ण्यत् । अधम, निन्दनीय, नौच। प्रायः ८४८१ होगी। पहिले यह राज्य राघोगड़ जागीरके गद्य वामिन् ( मं० त्रि०) गद्य वमतीति वम- नि । अन्तर्गत था। कुत्सितवासी, निन्दस्थानवासी. खराब ानमें रहने गह कलां । गड़ाकलां )-उत्तर-पश्चिम अचलकै वान्दा __वाला। जिलान्तर्गत एक ग्राम। यहकि अधिकांश अधिवासी गल ( मं० पु०) गलति भक्षयत्यनेन गल-करण अप । बामण और चमार रस ग्रामको स्थापित हुए लगभग १ कण्ठ, गला, गरदन। २ सज्जरस, राल । ' एक ५०० बर्ष हुए होग। मिपाही विद्रोहके ममय यहांके | प्राचीन बाजेका नाम । ४ मत्स्यविशेष, गड़ाकू नामके. मनुष्य अंगरजीको रसद पहुंचाते थे इस लिये करवीर | मकली। नारायणरावने इसे ग्रामको दग्ध कर डाला था। गल-१ समितिक जातिको एक विम्त त शाखा । ये गर्भाकोट रमणा ( गढ़ाकोट रमना )-मध्य भारतवर्षके | अफ्रिकाके अन्तर्गत प्राविसिनियाके 'सोया' प्रदेशमें रहते सागर जिलेमें एक सागुन काष्ठ (Timter) का जंगल । हैं। सोया प्रदेशको जलवायु अति उत्तम है। यहां पर गर्हि ( गढ़ी) मध्य भारतके भोपावर एजन्मीमें एक ठकु-| शीत या ठगड़ अधिक नहीं पड़ती है। जलवायुके प्रभाव- रात ( देवोत्तर)। भूपरिमाण ६ वर्ग मौल और लोक मे ये लोग देखने में सुखी और सुन्दर लगते हैं। इनकी संख्या प्रायः ५६४ है। इसकी आमदनी ३००० रु. है। बोली भी बहुत मोठी होती है। इनमेंसे थोड़े देसाई वा गर्हि-इखतियार खाँ ( गढ़ी रखतियार खों)-पंजाबमें | मुसलमान हैं किन्तु इनके अधिकांश अडोपासक भौतिक महवलपुर राज्यमें खानपुर सहमोलका एक शहर । यह धर्मावलम्बी हैं । यह जाति सर्पको मानव जातिको माता भक्षा. २८°४० उ० और देशा० ७० २८ पू• बहवाल- | समझ कर पूजा करती है । ईश्वर और परकालमें भी इन पुर शहरमे ८४ मील दक्षिण-पूर्वमें अवस्थित है। ताक लोगोंका विश्वास है। उन्होंने ईश्वरके तीन स्वरूपोंको स्वीकार संख्या प्रायः ४८३८ है। यह सिन्धुके कलहोर-शामकांसे ' - किया है १म "च्याक” वा “उयाका" अर्थात् सर्व प्रधान,