पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२२३

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गरुडपुराण २२१ भेदकथन, तीर्थ कथन, प्रभवादि षष्टिवर्षकोत न, पवन | कथनमें सर्व रोगका निदान, ज्वरनिदान, रक्तपित्तांनदान, विजयादि, रत्नोत्पत्तिकथन, रत्नपरीक्षा, मुक्ताफलपरीक्षा, कासनिदान, हिकारोगनिदान, यक्ष्मनिदान, अरोचकनि पद्मरागपरीक्षा, मरकतपरीक्षा, इन्द्रनीलपरीक्षा, वैदूर्य दान, हृद्रोगादि निदान, मदात्ययादिनिदान, अर्थोनिदान, परोक्षा, पुष्परागपरोसा, कर्केतनपरोक्षा, भीष्मरत्नपरीक्षा, | अतिमारनिदान, मूत्राघातनिदान, प्रमेहनिदान, विधि- पुन्नकपरोक्षा, रुधिररत्नपरीक्षा, स्फटिकपरीक्षा, विद्रुम- | निदान, उदर नदान, पाण्ड शोथनिदान, वमर्यादिनिदान, परोक्षा, मतपमं बहुतोर्थ कथन, गयामा हात्मा, गयातीर्थ कुष्ठनिदान, क्रिमिनिदान, वातव्याधिनिदान, वातरक्ता- की उत्पत्ति प्रभृतिका कथन, गया, सानभेद ओर क्रिया-| निदान, म त्रस्थान, अनुपानादि कथन, ज्वरादि रोगों- भेदम फन्नभेदकथन, फल्ना नदी में स्नान और रुद्रपदादि को चिकित्सा, नाडीव्रणादिको चिकित्मा, स्त्रीरोगादिको में (पगडटानमाहात्मयादि कथन, विशाल नृपतिका इति चिकित्सा, ट्रव्यनिर्णय, वृततेनादिकथन, नानायोगादि- हाम, प्रतशिलादिम पिण्डदानकथन, प्रतशिलादिमें कथन, नानारोगोषधकथन, वशीकरणादि, दन्तश्व ती थाडकाका फल्न, चतुर्दश मन और तत्पुत्र तथा उनके करणादि, स्त्रीवशोकरण और मशकमारणादिक ।, मन्वन्तरक मप्तर्षि पार देवादि कीर्तम, मार्क गडे य नत्रशूलादिका आषधकथन, रक्तशक्तिद्धिका उपाय, क्रोष्टम्मिवादम कचिका उपाख्यान, क चलत पिटम्तव, ग्रहगोरोगका औषध, कटिशूलका औषध, गणेशपूजा, पिटगणक निकटम काँचको वरप्रापि, कचिका परणय, प्रमेह का आषध, मेधावृद्धिका ओषध, रक्तपात निवारणका गेच्य मनुको उत्पत्ति, हरिध्यान, प्रकारान्तमें हरिध्यान, ओषध, पटलदन्तव्यथादिका औषध, गण्डमालादिका याज्ञवल्कयाक्त धर्मकथनम धम देशादि कथन, उपनयन आषध, मघातादिका ओषध, योनिव्यथाका ओषध, तथा म्वाध्यायकोर्तन, गृहस्थ धर्म निर्णय, मङ्गोणजात, पशुचिकित्मा, पागड रोगादिका औषध, बुद्धिनिम लकर पञ्च महायज्ञ मन्धयोपामनादि कथन, गृहीका धर्म और गणका औषध, विषण कवच, विष्ण, विद्या, विषणु धर्म वर्णधर्मादि कथन, द्रव्यशुद, दानधम', थाइविधि, विना नामक विद्या, गारुडविद्या, त्रिपुराकल्प, प्रश्नगणना, वायु यकशान्ति, ग्रहशान्ति, वानप्रस्थाश्रमविवरण, यतिधर्म, जय, अवचिकित्मा, आषधिका नामनिर्देश, व्याकरण के पापचिह्नकथन, प्रायश्चित्तविधि, अशौचादि निर्णय, परा नियम, उदाहरण, छन्दःशास्त्रारम्भ, मात्रावृत्तकथन, मम- शर-धर्म शास्त्र, नोतिमार, नीतिमारम धनरक्षादिका वृत्त, अर्धममवृत्त, विषमवृत्त, प्रस्तारादि निर्देश, धर्मा- उपदेश, नोतिमारमें ध्र वपरित्याग निषेधादि, नोतिमारमें पदेश, मानविधि, तर्पण, वैश्वदेवविधि, सन्ध्याविधि, राजलक्षण, भृत्यलक्षण, गुणवन्नियोगादि, मित्रामित्र- थाडावधि, नित्य श्राद्ध, मपिण्डीकरण, धर्म सारकथन, विभाग, कुमार्यादि परित्यागादिका उपदेश, व्रतकथना शूद्रोच्छिष्ट भोजनाटिका प्राय श्वत्त, युगधर्म कथन, नेमि- रम्भ, अनङ्ग त्रयोदशीव्रत, अश्वगडहादशीव्रत, अगस्तया त्तिक प्रलय, संमारकथनमें पापपरिमाण, अष्टाङ्गयोग, घ्य व्रत, भीष्मपञ्चकादि व्रतविधि, शिवरात्रिव्रत, एकादशी विषण भक्ति, नारायणनमस्कार, नारायणकी आराधना, माहात्मा, विष्णु पूजन, भीम कादश्या द कोत न, व्रता नारायणका धयान, विषण माहात्मा, नृसिंहम्तव, साना- वलम्बोकी नियमावली, प्रतिपदा दव्रत, षष्ठोमलमीव्रत, मृत, मार्कगड यप्रोक्त नारायणका म्तवः ब्रह्मप्रोक्त विषण - रोहिण्यष्टमोवत, बुधाष्टमीव्रत, अशोकाष्टमोव्रत, महा म्तव. ब्रह्मज्ञान, आत्मज्ञान,गोतामार, अष्टाङ्गयोगका प्रयो. नवमोव्रत, महानवमीव्रतप्रमङ्गमें कोशिकमन्त्रकथन, | जन, वैकुण्ठमें नारायणके प्रति गरुड़का विविध प्रश, वीरनवमोव्रत, दमननवमीव्रत, दिग्दशमीव्रत, एकादशो | पोर्ध्व देहिकविधि, नरक स्वरूपका वर्णन, गभावस्था व्रत, श्रवणहादगावत, मदनत्रयोदशीव्रतादि, सूय वंश | कोर्तन,देशदानादिकथन. पर्णनरदाहविधि,अशीच लक्षणका कोत न, चन्द्रव वर्णन, पुरुवंशकोत न, जनमेजयका | कालनिरूपण, वृषोत्सर्ग कथन, पञ्चप्रेतोपाख्यान, ओवंदे वंशकथन, विष्ण की अवतारकथा, पतिव्रता-माहात्मा, हिककर्माधिकारी, वच वाहन प्रेतमंवाद, थाहका नाना- रामायणकथन, हरिवंशकथन, भारतकथन, आयुर्वेद- रूप टप्तिकीर्तन, मनुष्यजन्मादि लाभका कारण, मनुष्यको Vol VI. 56