पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२०३

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गया एवं ८६३ पू०के बीच विद्यमान है। गयाका क्षेत्रफल । विहारी मगही होती है। परन्तु पब हिन्दोका भी ४७१२ वर्गमील है। इसके उत्तर पटना जिला, पूर्व प्रचार होने लगा है। सपही, सिङ्गर, बसरों, चतकरी मुर तथा हजारीबाग, दक्षिण हजारीबाग पौर पलाम पौर बेलममें प्रबरकको खानि है। पचम्बा भादि कर पौर पश्चिमको शाहाबाद है। गया जिलेका दक्षिण भाग स्थानों में कितना ही लोहा मिलते भी निकाला नहीं पहाड़ो है । दुर्वासा ऋषि और महाबर प्रधान पर्वत जाता। मकान और सड़क बनानेके लिये पहाड़खि है। पुनपुन, स्पेन आदि कई नदियां छोटानागपरके पत्थर निकालते हैं। काले पत्थरके गहने, बतन और पहाडोंसे निकल इस जिलेमें उत्तरको बहती हैं। फल्गु मूर्तियां बनती हैं। जहानाबादमें शोरा तैयार होता है। पनपनको सहायक नदी है। यह दोमा धाराए हिन्द इस जिलेमें लाख, चीनी, टसरो तथा सूती कपड़ा, शास्त्रानुसार परम पावन हैं और गयाके प्रत्येक तीर्थ- पोतलके बर्तन, सोने-चांदोंके गहने, कम्बल. नमटा और यात्रीको इनमें मान करना पड़ता है। बारूं और कालोन प्रस्तुत किये जाते हैं। पहले जमानमें कागज देहरीक बीच सोन नदी पर पत्थरका धरण लगा है। भी बहुत बनता था। शिक्षामें गया जिला पोके है। ठीक इसी धरण पर नहरीका निकास और धरणके नीचे २ विहार और उड़ीसा प्रदेश गया जिलेका उप- रेलवेका बहत बड़ा पुल है। विभाग। यह अक्षा० २४. १७ तथा २५ ५ 6. पहले पटना और गया दोनों विहार सूबामें लगते | और देशा० ८४ १७ एवं ८५ २४ पू०के बीच अवखित थे । १७६५ ई०को अङ्गारेजीको मिले। १८६५ ई०को है। इसका रकबा १८०५ वर्गमील और प्राबादी लग- गया पटनामे अलग किया गया। १८५७ ई के जुलाई भग ८३२४४२ है। माम दानापुरके सिपाहियोंने बलवा करके शाहाबादकी _____३ विहार और उड़ीसा प्रान्तके गया महुकमाका राह लो थी। जब एक अङ्गरजी फौज, जो उनमे लड़ने प्रधान नगर। यह अक्षा २४ ४८ उ. और देगा। गथो थो, बुरी तौरमे हारो, पटनाके कमिशनरने अपने | ८५.१ पू०में फला नदीक वाम सट पर अवस्थित है। मब निम्नस्थ पदाधिकारियोंको दानापुर हट पानको | गया नगर दो भागों में विभक्त है। उनमें एकको पुरामा अनुमति दो। उस समय गयामें कुछ अङ्गरेज और शहर और दुमरेको माहबगल कहते हैं। पुराने नगर में मिख सिपाही थे। पटना कमिशनरको पातासे वह जहाँ विष्णुपदका सुप्रमिव मन्दिर और दमरे कई पवित्र गयामें ७ लाखका खजाना छोड़ चल दिए, किन्तु कुछ | स्थान हैं, केवल गयाबाले पण्डा ही रहते हैं। गयावी सोच समझ करके लौट पड़े। दूमरी बार जब लोग लोकसंख्या कोई ७१२८८ होगी। खजाना ले करके फिर चलने लगे, उनके ऊपर आक्रमण भागवतमें लिखा है कि त्रेतायुगको वहां गय हा। किन्तु वह आक्रमणकारियोको परास्त करके नामक एक राजा रहता था। उसने अपने तपोबलते सकुशल कलकत्स पह च गये। यह वर पाया--जिसको उसने हाथ लगाया, परलोक बोधगया गया नगरसे ७ मील दूर दक्षिणको अवस्थित पचाया । यमको इस पर डाह लगा और उन्होंने देवता है। यहाँ और पुनावानमें बहुतमी बौद्ध मूर्तियां पोसे जा करके कहा कि उनका भविष्य सङ्कटापन था। मिलती है । दूसरे दूसरे स्थानोंमें भी बौद्धधर्म के निदर्शन वह आपसमें विचार करके गयके पास गये और उसके विद्यमान है । सीतामढ़ोमें एक प्राचीन गुहा है। उसका शरीर यन्न करनेको मांग लिया । उसका जहां कहते हैं, सीसाने वहीं वनवामावस्थाम लवको प्रसव शिर पड़ा, गया नगर बना है। फिर विष्णुने प्रसब हो किया था। रजौलीक सन्दर पर्वती और उपत्यकाोको करके यह वर दिया था तुम्हारे शिर पर रखी हुई शिला भी अनेक वर्णनाएं मिलती हैं। अफसरमें एक वराह जगत्में परमपावन शिला होगी और देवता, इस पर मूर्ति विद्यमान है। विश्राम करेंगे। इस स्थानका नाम गयाक्षेत्र पड़ेगा और गयाकी लोकसंख्या प्रायः २०५८८३ है। भाषा | जो कोई यहां बारवर्पण आदि करेगा, अपने पूर्वजों Vol. VI. 51