पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१९९

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गमकारिख-गमनपत्र १९० । म मात्रामथा कम्पित. स्फ रित, कानों में तबिकी कनेठियां और गले में कांचको माया लोन, भिव, स्थविर, पाहत और पान्दोलित है। गायक पहनती हैं। छोटी छोटी बालिकायें परमें तांबेकी को पौष और माघ मास में एक प्रहर रात्रिके रहने पर ठोस पंजनो रखती हैं। ये खेती तथा लकड़ो काट कर जल में प्रवेश करना और गमककी साधना करनी चाहिये। अपनी जीविका निर्वाह करते हैं। ये बाघदेव, मामल- (सहोदामादर) देव और देवलोमाताकी पूजा करते हैं। ये ब्राह्मणोंकी मतान्तरमें गमकर्क २३ भेद हैं । यथा-अपूर्वाहत, सेवा टहल नहीं करते यहां तकको ये ब्राह्मणोंको अस्थित, अयोघर्षण, अस्त्राहत, आन्दोलित, आइत, आघ. प्रणाम भी नहीं करते हैं। उन्होंमेंमे एक पुरोहितका र्षित, उवाहत, कम्पित, करोरि, कर्षोमस्थान, घषित, काम चला लेता है। जब कोई सन्तान जन्म ले तो तो जयत, ढाला, तुरित, निष्पत, पुरोहत, प्रस्थाहत, वायमि, उसमे छठे दिन ये छठी देवताको पूजा करते तथा अपने मुद्रित, शान्त,सुवाम्ला और मोमस्थान। (सगीतशास्त्र) कुट म्बौको शराब इत्यादि पिन्नात हैं। ४ तबलेका गम्भीर शब्द । वृता स्त्री नवजात शिशुका नाम रख देतो है । बारह गमकारित्व (म.ली.) रमभ । वर्ष की अवस्थामें अर्थात् जब लड़का ताड़ वृक्ष पर चढ़- गमकोला (हिं० वि०) महंकनेवाला। सुगंधित । नमें समर्थ हो जाता तब इसका विवाह करते हैं। गमखोर ( फा० वि० : मरिष्णु, महनशील । विवाह मम्बन्ध निश्चित हो जाने पर ये चार या पाच गमखोरी (फा० स्त्री०) सहिणता, सहनशीलता । रुपयेकी ताड़ी खरीद लाते और अपने जात भाइयोंको गमगीन ( फा० वि०) दुग्वी, खिन, उदास । पिलाते हैं। सिर्फ २५, रु में इन लोगोका विवाह हो गमत ( मं० पु० ) १ रास्ता, मार्ग। २ व्यवसाय, पेशा, जाता है । इनमें बहुविवाह तथा विधवाविवाहको रोजगार प्रथा प्रचलित है। ये शवको जला देते हैं। धनीपुरुष गमतखाना ( फा० पु० ) नावमें एक स्थान जहां पानी चार दिनों तथा गरोव एक या दो मासमें पन्त्य ष्टि- केदों द्वारा जमा होता है। क्रिया करते हैं। गमतरी (फा० स्त्री०) गमतखाना। गमथ (सं० पु०) गम अधिकरण अथ। १पथ, रास्ता। गमता (गामिम ) भील जातिको एक अंगी। ये गायक गम कत्त रिपथ । २ पथिक, बटोहो, मुसाफिर। ३ वाड़मे लेकर खान्देश तथा सूरतके उत्तरपूर्व में व्यापार, पेशा। ४ प्रामोद-प्रमोद । पाये जाते हैं। इनकी संख्या लगभग ५२०१८ होगी। गमन ( सं क्लो०) गम भावे ल्य.ट। १ क्रियाविशेष । इनमेंसे थोड़े बाल मड़वाया करते और कुछ लम्ब "रणव गमन वर्मा नामि पच च ।" (भाषापरिच्छद) लम्ब बाल रखते हैं। स्त्रियां अपने अपने बड़े बड़े बालो- २ पराजयको इच्छामे गमन, कूच । इसका पर्याय- को सजाए रहती है। ये बहुत संकीण झोपड़ी में रहते | यात्रा, व्रज्या, अभिनिर्याण, प्रस्थान, गम, प्रयाण, है। झोपडीकी दिवाले बाँसको पहियोंकी बनी रहती प्रस्थिति, यान और प्राणन हैं। ३ यात्रा। और उसमें मिट्टीका लेप दिया रहता है तथा घाससे ___“नच मे राषते वार गम १० प्रति।" (रामायण ३।१२।१२) छायी रहती है। इन लोगांका प्रधान भोजन रोटी है। ४ उपभोग, मैथन । 'गम्यागमना। पभचम्य च चपात्' (तिथितत्व ) ये भेड़ा, बकड़ा, खरगोश, तथा चिड़ियां भो साते हैं। लेकिन ये गोमांम अथवा किसो मृत जानवरका मांस गम करण ल्य ट । ५ जिसके द्वारा गमन किया जाय. छत तक भी नहीं है। पुरुषके मस्तक पर एक पंगडी रथ, शकट प्रभृति । कमरमें सिर्फ एक लंगोटो और हाथको कलाईमें चांदी गमनना (प०वि०) जाना। या सांवके पाभ षण रहते हैं। स्त्रियां चोली और घघरा | गमनपत्र (सं० पु. ) वह पत्र जिसके द्वारा एक जगहसे पहनती पौर सिरसे एक दूसरा वस्त्र उकलती है। ये दूसरी जगह जानेका अधिकार मिलता हो, चालान ।। Vol. VI. 50