पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१७७

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गध्य-गन्तव्य पाय प्राय: १००००, रु. हैं, जिनमेंसे वृटिश गवर्नमेंट ग्रन्य बहुत अच्छा है। १.७ हिजरोको यह इहलोक को ४६०) रु. और जुनागड़के नवाबको २०० रु० कर कोड़ गये। कहते हैं कि दिलोके बादशाह पालमगोरम देना पड़ता है। कश्मौरक शासनकर्ता मैफ खांको उन्हें अपने पास मंज गध्य (सं० त्रि.) प्राप्य, जो पानेके योग्य हो। देन के लिये लिखा था। मैफ खान जब यह संवाद सुनाया, गन (म. पु. ) गण देखा। वह जानको भस्वोक्त हुये और कहने लगः सम्बाट गनकेरूपा (हिं० पु० ) एक प्रकारका घाम जी गाय भैम- को कह दीजिये फि गनो पागल हो गया है और उम के चारके काम आती है। अवस्थामें बादशाहक मामन जान लायक नहीं। मैफ खां- गनकौर ( सं० स्त्री० ) चैत्र शुक्ल तृतीया। इस दिन गणश ने कहा, वह कैसे उन जैसे जानी व्यक्तिको उम्मत कही। और गौरीको पूजा होती है। इस पर उनहनि बातकी बातमें उन्मादग्रस्त हो करके गनना ( मं० क्रि० ) गिनती करना। प्रपन कपडे फाड डाले और तीन दिन बाद मर गये। गनतङ्ग-पञ्जाब प्रदेश वमहर विभागमें स्थित कनावार गनौगार महिसुर राज्यस्थ जातिविशेष । यह स्थलवस्त्र, और चीन माम्राज्यके मध्यवर्ती गिरिमनट । यह असा. टाट, चोर आदि बनते हैं। परन्तु बहुतम गौगार ३१. ३८ उ० और देशा० ७८' ४७ पृ०में अवस्थित है। खतो करत और अपनका ऊचा ममझते हैं। इमकी ऊचाई २१२२८ फुट होगी । दमका सर्वोच्च गनीम ( अ० १० ) १ लटेरा, डाकू । २ बगे, शत्र । स्थानसमूह बहुत दिन तक बर्फ मे आच्छादित रहता गटिया - वीरभूम जिल्लाकै अन्तर्गत रामपुरहाट परगना है बर्फ से ढका रहने के कारण यह पर्वत दारोक का एक नगर । यह अक्षा. २३.५२ १० और देशा०८७ है। यहां एक भी वृत्त उगर्म नहीं पाता है । गिरिमाट ५० पृ.में अवस्थित है। लोकसंख्या ४००है। पहले से पर्वतशिखरको जचाई १८२८५ फुट है। यहां रेशम बढ़त तैयार किया जाता था । रेशम गनिग -महिमर राज्यस्थ जातिविशेष। यह तेल निका- का व्यवसाय हा अधिवामियोका जीवनाधार था । लत और बेचते हैं। इनमें कुछ लोग अपना परिचय माह १७८६ ईको फ्राम हाड माहवन शमके व्यवसायक वैश्य जमा देते हैं। लिये एक कोठी बनवाई थी और इष्ट इण्डिया कम्पनी गनिमर्द-बम्बई प्रदे शक सम्पगांघ उपविभागम १० मोन का एजगट होकर यहांम अपन मुल्कमें प्रस्तुत रेशम रफ- दक्षिण हिरनन्दीहली ग्रामके निकटस्थ एक पर्वत तनी करते थे। आजकल इस नगरमें रेशमका वापार श्रेणी। यह ममतलक्षेत्रमे ६०० फुट ऊंची है। नहीं होता है और फ्राम हाड मारबकी बनाई कोठी गनियारी (हि • स्त्री०) पौधाविशेष। यह ममोको तरह कलकत्ताक किमी अङ्गरजने खरौद ना। होता है। इसको पत्तियां बबूलकी पत्तियोंमे चौड़ी | पनि मनको निसान नहीगनीमत अ० पु० ) लटका माल, मुफतका माल । होती हैं। इस पौधेमें वंत पुष्प और कसेंटेके बराबर गर्नल ( हि स्त्री०) एक प्रकारका घाम जो छप्पर कानक काममें आती है। छोटे छोटे फल होते हैं। इसको लकड़ो रगड़नमें आग गौद --काठियावाड जिलाक अन्तगत एक छोटा करद- उत्पन करती है। वैद्यकमें गनियारी कट, उष्ण, नि- गज्य। यह उपलटामे ८. मीन दक्षिण-पश्चिम दीपक और वातनाशक मानी जाती है। आर आशा पहाड़ोमे ६ मील उजर---पथिम गनी (प. पु. ) धनी, धनवान् । भादर नदीक उत्तरीय तौर पर अवस्थित है। यह गोन्दल गनी--एक मुमलमान कवि। इनका पमलो नाम मिर्मा भायाटकं अधीन है। यह एक बड़ा और मममियानी मुहम्मद ताहिर था, ये काश्मीरमें पैदा हये थे । या| शहर है। लोकमब्या लगभग २२१० है। शेख मुहसिन फानीके कात्र रह और प्रपन विद्याप्रभावसे मनोरिया (ले० at ) सूजाक । एक सुकवि हो गये। उन्होंने अपन गुमसे अधिक प्रतिष्ठा गौरी । Eि स्त्री. ) नागरमोथा। पायी थी। इनका बनाया 'दीवान गनी' नामक काव्य- गन्तथ (मं. स्त्री०) गमनीय, जाने योग्य, चलने लायक ।