पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१७०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

“गतार्य-गदग २ वन्धया स्त्री, वह स्त्री जिसे कोई सन्तान न , गतिबन्ध-जैनमतानुसार गतिनामकर्म का आत्माके साथ होती हो। मिल जाना। गतार्थ ( सं० वि०) १ गतो विदितः अर्थो यसा, बहती। गतिमण्डल ( सं० पु० ) नृत्यमें एक प्रकारका अंगहार । जिमका अर्थ मालूम हो गया हो, चरितार्थ । २ जिमका | गतिमार्गणा-जैनमतानुसार जीवके स्वरूप वर्णन करने का प्रयोजन निवृत्ति हो गया हो, जिम अब किसी चीजको एक तरीका । गतिनामकम के उदयसे होनेवाली जीवको मांग न रह गई हो। पर्यायको गति कहते हैं उसके चार भेद है-मनुष्य, देव, तिथंच और नरक। गतासु ( सं० त्रि०) गता अमवो यमा, बहवी. । १ मृत, गतिया (हिं. पु० ) तवलची। मौत : २ शव, मुर्दा । गतिला ( सं० स्त्रो०) १ वेत्रम्लता, बैत । २ नदीविशेष । “गनाम् मासव नानुशोचन्ति पणिता: ।" (गोता) ३ परम्परा, मिलसिलेवार । ३ गतायु, जिमकी आयु शेष हो गई हो। गतिविधि (सं० पु०) गतिविधिः, ६-तत् । १ गतिविधान । गति ( म स्त्री० ) गम भाव लिन् । १ गमन, चाल । २ सामान्य ज्ञान । "मयो वश मनको सवस्य वासि मे गतिः । (१४) | गतिशक्ति (सं० स्ती० ) गतः शक्ति', ६-तत् । गमनागमन- .२ परिणाम, नतीजा। ३ भान, पहच । ४ प्रमाग, की क्षमता, आने जानेका शक्ति । सुबूत। ५ माग, राह। ६ स्थान, जगह । ७वरूप, शक्ल गतिमत्तम ( मं० पु०) गतिर्वोधः म चामो सत्तमति ८ विषय, नात | 2 यात्रा, मुमाफिरो। १० अभ्य पाय, कर्मधा । परमेश्वर। तदवार । ११ नाडीव्रण, रगका जख्म । १२ सरणी। “पादित्या ज्योतिरात्मा च सहिर्गति सनमः । (विष्णुस.) १३ कम फल । १४ दशा, हालत । १५ पाणिमिक त कोई गतोक ( मं० त्रि.) गमन योग्य, जाने लायक। मझा। पाणिनिक १।४।६० सूत्रसे ७५ मूत्र तक गति गत्ता (हि.प.) कुट, कागजके कई परतौका बनाया मना निरूपित हुई है। १६ मुक्ति, मोक्ष। १७ मितार | हुवा। आदि बजानमें कुछ बोलोका क्रमवह मिलान । १८ ग्रहों गत्वन् ( म०वि०) गमनकर्ता, जानवाला। की चाल जो तीन प्रकारको होती है, शीघ्र, मन्द और गत्वर ( स० त्रि०) १ गमनशील, चलनेवाला । सच्च। २ क्षणिक। १८ जनमतानुसार-गतिनाम कर्म के उदयसे जोव गत्वरा ( म० स्त्रो०) प्राचीन कालको एक प्रकारको को पर्याय विशेषको गति कहते हैं। गतिके मुख्य चार नाव । यह ८० हाथ लम्बी, १० हाथ चौड़ी और ८ हाथ भेद हैं -नरकगति, तिर्यवर्गात, मनुष्यगति और देव. जची होती थी और प्रायः सागरांमें चला करती थी। गति । (तत्वार्थ' मूव) गथ (हि.पु.) १ पूजो, जमा । २ माल । ३ मुंड। ___२० जीव जब दूमरा शरीर धारण करने जाता है, गधना (हिं.क्रि.) एक को दूसरे से मिलाना। पापसमें तब उमको विग्रह गति होती है। इसके चार भेट हैं- गद (म. पु.) १ रोग। ऋजु, पाणिमुक्ता, लाङ्गलिक और गोमूत्र । माध्य करते की प्राप्त बाल मनी यथा :- ( माघ र स० ) नतिक (सं.ली.) १ गति,चाल । २ अवस्था, हालत । २म घध्वनि, मेघका शब्द। ३ ६ ४ कुष्ठ, ३ पाश्रय, पनाह। कोढ़ । ५ श्रीजष्णचन्द्रके छोटे भाई। इनके पिताका गतिक्रिया ( सं० स्त्री०१) गमनक्रिया, जाना, चलना। नाम वासुदेव और रोहिणी माताका नाम था । ६ राम- गतितामिन् ( सं० पु० ) कार्तिकेयका एक सैन्य । चन्द्रजीको सेनाका एक वानर । ७ एक असुरका नाम । गतिनामकर्म-जो कर्म जोबका पाकार नारकी, तिर्येच्च, गदकारा (हि पु०) गुलगुला, गुदगुदा। मनुष्य और देवाके सामान बमाता है, उसे गतिनामकर्म गदग-बम्बई प्रान्तके धारवाड़ जिलेका एक तासका। कहते । (प्रकाशिकार १० ११ म...) ! यह पक्षा० १५.२ तथा १५ ३८७०और देशा ७५ गूधना।