पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१७

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

खारवार-खारि १५ खारवार-द्राविड़ देशीय जातिभेद । युक्तप्रदेशके मिर्जा- | म्बर माम तक बड़े जोरसे अन्धड़ चलता है। रातको पुर जिलेको ओर भी यह लोग बहुत रहते हैं। किमी, खारांमें कभी गर्मी नहीं पड़ती। समय इनको एक ऊंची जाति समझा जाता था। कहते । खारांका प्राचीन इतिहाम अविदित है। १७वीं शताब्दी- हैं कि विहार प्रान्तीय हजारीबाग जिलेका खैरागढ़ के अन्तको खागंक नौशरवानी मरदार इब्राहीम खाँ नामक स्थान खाग्वार-राजवंशन भी अपने नाम पर कन्दाहारके गिलजाई घरानकी नौकरी करते थे। यह बसाया है। कोई कोई इन्हें क्षत्रियवर्ण बतलाता है। लोग अपनको कियानी मलिकाका वंशधर बतलाते हैं। खारवान - एक हिन्दू जाति। यह लोग अधिकतर राज १७३४ ई के लगभग नादिरशाहले स्थानीय पुदिल ग्वों- के विरुद्ध एक अभियान भेजा था। इम बातका प्रमाण पतानमें रहते और मारवाड़में क्षार भूमिसे लवण प्रस्तुत मिलता कि नादिर शाहर्क ममय खागं किरमानमें लगता करते हैं। नमकका कानून बन जानसे खारवाल अब था। परन्तु मम्भवतः १म नमौर खॉन उमको किनातक खेती आदि करके अपना काम चलाते हैं। कहते हैं अधीन किया और जब तक मौरखुदादाद खाँ और बादशाह कुतुब-उद्दीन गोरीने जब इन्हें मताया, यह आजाद खॉमें मेलजोल रहा, वह अफगानांक हाथ नहीं खारवाल बननसे बच गये। लगा। इमर्क अंगरेजोको मिलने पर मरदारको ६०००) स्वारा ( हिं० वि० ) १ नमकीन्, क्षार । २ कट, कड़वा, क. वार्षिक भत्ता बांधा गया। यहां मुसलमानोंक मक- खार्नमें बुग मालूम पड़नेवाला। (पु० ) ३ वस्त्रभेद, बगॅमें ऊटी, घोडां और दूसरे जानवरीको तमवीरें बनी धागेदार कोई कपड़ा। ४ घाम भूमा वगैरह, बांधनका है। देगवारके गवाचिगका मकबरा मबसे अच्छा है। एक जालीदार बंधना। ५ आम तोड़नका जान्नीदार इमकी लोकसंख्या प्रायः ५५०० है। यहांक सभी थैला। झाबा, खांचा। यह बांस, मरकण्डे और लोग बंजरा हैं और चटाइयों के झापड और रहंटे वगैरहका बनता है। ७ कोई बड़ा पिंजड़ा। यह कम्बोके खोमोमें रहते हैं। खारा किलासमें सदर है. बांमका बनता है। ८ कोई आसन। यह मरकगडे श्राबादो कोई १५०० होगी। लोगों की साधारण भाषा आदिमे उलटे टोकर जैमा बनाया जाता है। विवाह- बलूची है, परन्तु पूर्वप्रान्तमें बरई भी बोरत है। के ममय खत्री लोग प्रायः वरकन्याको खाग पर ही सिधा खेतीक मोग जंट *दा करने और जानवर बिठलाते हैं। रखने का काम भी करते हैं। मुसलमान सुखी धर्म के खागं -बलूचिस्तानक किनात गज्यका एक प्रकारमे स्वाधीन भाग । यह अक्षा० २६:५२ तथा २८.१३ उ० वाशक और माशखेल छोरिक बाग हैं। यहांक और देशा० ६२ ४८ एवं ६६ ४. पृ॰के बीच पड़ता अट, भेड. और बकर अफगानस्तान तथा बसचिस्तान- है। इसका क्षेत्रफन्न १४२१० वर्गमीन्न है। इसके उत्तर को बिकने जाते हैं। बैनों की संख्या बहुत कम है। रामकोर पहाड़, दक्षिण सियाहां पर्वतश्च णी, पूर्व गार रामू माथखेम और वादसुनतानमें पक्का नमक पर्वत और पश्चिमको ईरानको मीमा है । यह देश जगन्ती होता है। यहांसे धी और जन बाहर भेजते पौर समझा जाते भी पहाड़ों नीचे और बद्दो तथा माशखेल कपहा, तम्बाकू तथा पनाज मंगा लेते हैं। नदियोंर्क पाम जोतने बोनको अच्छी जमीन है। बाकी खार्ग प्रायः पानी नहीं बरसता । खागके सरदार मब जगह रेतीली है। उममें पहाड़ोंसे जा करक नदियां कलातबाले पोनिटिकम एजेण्टके अधीन है। खाराको गिरतीं, परन्तु बालुको पार करके ममुद्र तक नहीं पहुंच प्रामदनी कोई १.००.०) रु.)। । मकतीं । गरूक और कोराकां नदी भी बड़ी है। माघेर स्वारि (सं० स्त्री० ) खं आकाशं आरति, प्रा-र-क गौरादि- के बीजको दुर्भिक्षमें लोग खाते और कुलकुश्ताको भी त्वात् डोष् वा स्व: । धान्यादिका परिमाणविशेष, रोटी बनाते हैं। माशखेल नदीके यास जङ्गली गधाक ! | अनाजको एक तीन्न । ४ आढ़कका द्रोण और ४ द्रोगा- भुगड घूमा करते हैं। यहां सांप बहत हैं। जनसे मित- । को खारी होती है। (वयकमियघट )