पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१३५

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गवारि-गजेन्द्र हाथीका मस्तक काट ले जा करके छिव मस्तक बालकके महेश नामक एक अत्यन्त सच्चरित्र, विद्यावान और न्याय- शरीरमें लगा दिया। इस आशङ्कासे कि शायद कोई वान् राजा थे। एक दिन राजा महेश बन्धुबान्धवके हाथीका मंह देख उनकी पूजा न करे, सकल देवताओं- साथ भ्रमणार्थ बाहर निकले और वहां उन्होंने नारद ने मिल करके विधान किया था कि गजाननकी पू । मुनिको देखा। ऋषिको देख कर राजाने किसी तरह- न करनेमे उनको पूजा भी बिगड़ जावेगी। इसीसे सब का सत्कार न किया। इस पर नारद मुनिने क्रोधित देव वियोंकी पूजाके आगे गणेशपूजा करनेका नियम होकर शाप दिया-"नराधम : तुम्हारा जन्म गजयोनिमें हो गया है। होगा।" नारदको बात मिथ्या न हई। थोडं दिनोंके स्कन्दपुराणके गणशखगड़में इसका उपाख्यान अन्य पश्चात् व गजयोनिमें प्राप्त हो गजासुर नामसे प्रकार लिखित है- विख्यात हए। इम असुरमे देवताओं को कभी कभी सिन्दूर नामक किमो दैत्यन पाव तीक गर्भम अष्टम अधिक कष्ट भोगना पड़ा था । इमका चम शिवजीमे मामको प्रवेश करके गणशका मन्था काट डाला था। धारण किया है । ( स्कन्दपुराण गणेश० १०५०) परन्तु इमसे बालककै जीवनका कोई अनिष्ट न हा। गजासुरह षो (सं० पु. ) गजासुरम् ईष्टि विव-णिनि । प्रसव पीछे नारदन आ करक बाम्नकसे ही उसका महादेव, शिव। कृत्तिवासस)। कारण पूछा था। उमने नारदको मब कथा खोल गजास्य ( सं० पु. क्ली०) गजस्य प्रास्यं मुखमव आस्यमस्व करके सुना दी नारदन उसको समस्तक होनका बह वी०।१ गणेश । गजस्य श्राम्यं, तित। २ हाथोका मुख। अनुरोध किया था। बालकन अपन तजसे हो गजा- सुरका मम्तक काट अपने स्कन्ध जोड लिया। इमोसे । गजात ( म.ली. ) गजमहिता आता यस्य, महतो. । १ हस्तिनापुर। २ हस्तिनापुरक अन्तगत एक प्रदेश उनका नाम गजानन पड़ा है। भाद्र मामको चतुर्थी तिथिको गजाननका जन्मोत्सव होता है। जिसका उल्लेख हहत्म हितामें कूर्म विभाग मध्यस्थान (सकन्द पुराण, गोशखमा १०) गम देयो। । म है। "गगाजयति मध्यमिद। (तम. .. गजारि ( सं० पु० ) गजस्य अरिः शत्र :, ६-तत् । १ सिंह। गजाय (सं० क्लो०) गजेन माहित आयो यस, बहुव्री । २ वृक्षविशेष, एक तरहका शालका पड़।...इसके हस्तिनापुर : "युधिष्ठिरसानुमत बनवासाद गणानाय।"(भाग १०) पत्त बड़े और मोटे होते हैं। इसका महटीके गजाता ( म० स्त्री० ) गजोपपदा पाहा यस्या: बह वी। लिये व्यवहत होता है। यह प्रासाम और मधुपुरके १ गजपिप्पली, गजपीपर । २ हस्तिनापुरी। जङ्गलमें अधिकतासे पाया जाता है। गया (हि.स्त्री०) पिटाई करनेवालोंका लकडीका महारोह (सं० पु.) गमारोहित पा-कह-पण । हस्ति- बना हा एक यन्त्र । रम पर बिटा हा तार उतारा पाल, पाहत, महावत। । रहता है गजाल (हि.पु.) एक प्रकारको मछली। गी(फा.पु.) एक तरहका मोटा देशी वस्त्र । या गबाशन (सं० पु०) गजरण्यते भक्ष्यत प्रश, कर्मणि छोट भर का होता और सस्ते में मिलता है। गाटा. सलम। ख्यट, यहा अनातोति अशन: गजोऽशनो भक्षको यस्य, ' गजक्षण (सं० पु०) १ गजच्चक्षु, हाथोकी प्रॉख । २ दानव- बहुव्री. गजभक्ष्य, पोपलका पेड़। विशेष, एक राक्षसका नाम। गजाशना (सं० स्त्री०) गजाशन-टाप् । १ भाग, सिद्धि। गमेन्ट्र ( स० पु. ) गजरन्ट्र रख उपमितस. यहा गजमा २ शलकीच, सलईका पेड़ । ३ पनमूल, कमल इन्द्रः, ६-तत् । १ गजयेष्ठ, उत्कष्ट हाथी। २ गजमुखा. धिपति। ऐरावत । “त्रियम् विकसतो विधुर्गा (भाग) गजासुर (सं. पु०) गजाकारोऽसुरः। गमावति एक अगस्ता मुनिके मापसे गजयोनि-प्राज इन्द्रद्यान असुर। इसका उपाख्यान, इस तरह है-पूर्व कालमें राजा। भागवसमें इनका उपाख्यान इस प्रकारसे लिखा Vol VI. 34