पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१२४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१२२ मन- है। आजकल दाक्षिणात्यके कोयम्बतूर और बङ्गालके | ५०००० से १००००१० तक बिकता है। पहले हाथो ठाका अञ्चलमें हाथी पकड़नेका बड़ा पडा है। महि. भारतीय राजानीको युद्ध में सहायता पहुंचाता था। पाज- सुर राज्यमें भी हाथी पकड़े जाते हैं। | कम्न केवल ठाटबाटका देखावा मात्र है। मनुष्यकी बोरनिनो हीपके उत्तरपूर्व अञ्चलमें भी जङ्गली भाति सीखा हुआ हाथी गानका स्वर ताल स्मरण रख हाथी देख पड़ते हैं ! किनाजटानगान नदीके किनारे | सकता और ताल ताल पर नाच सकता है। वह धनुष हाथियोका दल घूमा करता है। यह हाथी भी खड़े पर वाण चढ़ा करके चला सकता और कोई कोई शायद खेतोंमें घुस अमाज बिगाड़ डालते हैं। मंशाल जला | बन्दूक भी छोड़ सकता है। करके इनके सामने रखने पर यह उमका तीव्र प्रास्लोक आजकल हाथी पर चढ़ करके लइनकी रोति नहीं सह न सकनेसे जङ्गलको भाग जाते हैं। वहां हाथी है। फिर भी दुर्ग आदि आक्रमण करनेको हाथो पर पकड़नेका कौशल है। शिकारी अंधेरी रातको एक तोप चढ़ा गोले छोड़ा करते हैं। अब हाथी युद्धकाल- छोटी पैनी बरछी ले करके हाथोके बल चलते चलते को बोझ ढोनमें व्यवहत होते हैं। हाथी २२॥ मनसे हाथियों के झुण्डमें घुस जाते और प्रति कौशलसे वही ३० मन तक भार वहन कर सकते हैं। वह बोझ परही किसी बड़े हाथोंके पेटमें घुसेड़ पाते हैं। हाथो | लाद करके घण्टे में १॥ कोस या दिन भरमें ८१० इस दारुण प्राघातसे चीत्कार करने लगता है। उसका कोस चल सकते हैं। हाथी २॥ कोस घण्टे से अधिक चीत्कार सुन करके दूसरे हाथी जङ्गलको चल देते हैं। नहीं जा सकता है। दूसरे दिन सरे शिकारी लहके चिक्र देख पाहत हाथोका आहार समस्त ग्राहपालित पशोंकी हाथीको ढूढ़ते हैं। थोड़ी दूर जा करके देखते कि अपेक्षा अधिक है। साधारणत: वर १ मन चावल खा वह बहुत ही दुर्बल हो गया है। शिकारी फिर एकबार और ३॥ मन पानो पो सकता है। मुगल सम्राट प्रक- परछी मारते और हाथीकी अपने वशम सात है। बरने हाथोको सात भागोम बांटा है-१ मस्त. २.... भारत-मदामागरके सुमात्रा हीपमें भो हाथी मिलता गर, ३ सादा, ४ मंझोला, ५ कड़ा, ६ कनडुम्बा और है। इसके पश्चरम २०ण्डियां होती है। फिर भार ७मोकाल। इन भागोंमें प्रत्येक २ उपविभागोम तीय हाथोके दांतोंकी में इसे इसके में चौड़ी पड़ती विभक्त है-बड़ा, मझोला और छोटा। मोकाल १० पौर बुद्धि भी भारतीय बस्तीको अपेक्षा बहुत अधिक ! प्रकारका होता है। रहती है। बड़ा मस्त हायो २ मन ४ मेर पाहार कर सकता हाथीका स्वर सोन प्रकार होता है। उसको सुन | है। इसी प्रकार मझोले को सराक ३ मन १३ सेर और पारके बहुतसी अवस्थाएं समझी जा सकती है। हाथोके छोटेको २ मन १४ सेर है। मूंड उठा करके तुरही जैसा शब्द करने पर समझते कि बड़ा शेरगर २ मन सेर, मो र २ मन ४ सेर, उसके मनमें बड़ा ही पासाद पा है। केवल मुंहसे छोटा १ मन ३० सेर, बड़ा सादा १ मन ३४ सेर, जो अनुदात्त शब्द निकलता, उसमे हाथोका कोई। मझोला १ मन २३ सेर, छोटा १ मन १४ सेर, बड़ा पभाष हुमा समझ पड़ता है। हाथोके किसी कारण . मझोला १ मन २२ मेर, मझोला १ मन १० मेर, छोटा वय क्रोधित होने पर कण्ठदेशसे पानेवासा भीषण शब्द | १मन १८ मेर, बड़ा कड़ा १ मन १५ सेर, मझोला भोषज्ञापक होता है। १मनट सेर, छोटा १ मन ४ सेर, बड़ा कनान्या १ मन, पहले एक ए हाथीका मूल्य १०० से १०००००० मझोला २४ मेर, छोटा २२ सेर, वडा मोकार २६ सेर, • तक था। पारन पकवरीको देखते ५०० चोड़ों मझोला २४ मेर सीसरा २२ सेर, चौथा २० सेर, पांचवा और १ हाथोकी कीमत . बराबर होता है। परन्तु १८ सेर, छठा १६ सेर, सातवा १४ सेर, पाठयां १२ सेर,