पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१०८

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मसावासी-गङ्गारो वित हुआ। पीछेको इमीका नाम सबाई माधवराव रखा | गंगाजल, गगाका पानो। मया। "कायशत हत्या कता बबावगाहनम् । सदहात गम्मत राशिमिवानल:- (पराहपुराण) ... माधव राव जन्म समयको रामोसियोंकि अत्याचारमे विषम उत्पीडित हए। रामोसियोंके दलमें अखारोही| गङ्गाम्ब : ( म क्लो० ) गाजल। ऐना रही। वह वणिक्वं शमें जा करक हैदराबाद और गङ्गायाना (म. स्त्री० ) गडामुद्दिश्य यात्रा १ मरणा- बरार लूटते थे । जजरीके दादाजी उनके अधिनायक रहे। सत्र मनुष्यका गङ्गातीर मरनक लिये जाना। २ मरणा- खम्हनि किमी ब्राह्मणकन्याका धर्म बिगाड़ा था। उसी मत्रके सदगति प्राषिके लिये पञ्चवटी प्रभृति पवित सानोमें जानको भी गङ्गायात्रा कहत हैं। ब्राह्मणकन्यान पुरन्धर में गंगाबाईके निकट अपनी अवस्था गङ्गायात्रिक ( स० त्रि०) १ जो रोगीको गगायात्रा बसला करके कहा कि मेरे अपमानमे समस्त ब्राह्मा का कराता है, जो रोगीको मरनके लिये गगा घाट ले जाता अपमान हुआ था, यहां तक कि पापक सम्मानमें भी बट्टा है। योगादि उपलक्षम ग गास्नानक लिये जाता है। खगा-जब मेरा धर्म ही चला गया, जोनसे क्या मिलेगा। (पु० ) ३ गंगा देवीका उत्सव । यही बात कह करकं ब्राह्मणीने जोरमे अपनी जीभ खींच गङ्गायात्रो (म.वि.) ओ गङ्गातीर जानको यात्रा करता करके उखाड़ डाली। बातको बातमें वह मर मिटी थो।। हो, जो गङ्गा किनारे जानके लिये तैयार हो। गंगाबाई यह देख करकं स्तम्भित हई। इन्होंने प्रतिज्ञा गङ्गाराम १ एक विख्यात संस्कृत ज्योतिर्विद। इन्होंने की कि दादाजी रामोमीक जीते जागत में जलग्रहण न भावफल, युद्धजयोत्सव और रस्त्रोद्योत नामक ज्योतिग्रन्य करुगो । मन्षियान उन्हें शान्त करनेकी चेष्टा को थो। प्रणयन किये हैं। २ न्यायकुतूहल नामक न्यायग्रन्थ परन्तु यह किसी प्रकार ठण्डो न पड़ौं । मन्त्रियोंने दादा रचनवाला । ३ भक्तिरसाधिकणिका नामक ग्रन्थ- जीको मार डालना ही ठहराया था। किमी विशेष प्रयो- प्रणिता । ४ गोवई नसमशतीका टोकाकार । ५ बुदेल- बन पड़नेके बहाने उन्हें बुला भेजा गया । दादाजीने खगड़के एक हिन्दी कवि । इनका जन्म १८३७ ई को -अपने ही मुंह स्वीकार किया कि उन्होंन ११०० डाके हुआ था। ६ तोलेका प्यारका नाम । डाले थे। जो हो, दादाजो अनतिविलम्ब निहत इए। गङ्गाराम अडिन्--एक विख्यात नैयायिक । नारायण पत्र । उधर मन्खियों में मतवषम्य पड़ गया। गंगाबाई और नोलकण्ठ के शिष्य । इन्होंने तर्कामतचषक और नाना फडनवीसको कुछ अधिक चाहती थी । यह उन्होंक उसकी टोका, दिनकरोखण्डन, नौकारसतरङ्गिणीव्याख्या, प्रमामर्शानुसार चलतो धौं । परन्तु मन्धियोंमें परस्पर मेल | रममीमांसा और उसको टोकाका प्रणयन किया है। नरहा। गंगाबाई भी उसके लिये उत्कण्ठित हुई। गङ्गारामदास-एक विख्यात कविराज और भवानीदास इनके विपक्षीका कहना है कि (१७७७ ई. मितम्बर )। कविराजका शिष्य। इन्होंने संस्कृत भाषामें शरीर- फड़नवीसके माथ अवैध प्रणय रहनेसे उनके गर्भसधार विनिमयाधिकार नामक वेद्यक ग्रन्यको रचना की है। पचा। इसी बातक पीछे खुलनेसे गङ्गाबाईने विषप्रयोगसे गहारी ब्राह्मणजाति भेद। यह लोग पहाडी होते और पात्महत्या कर डाली। | गनाके तट पर रहते है। कहते है कि सारोला ब्राह्मण मावासी (म० पु० ) गगाकिनारे वास करनेवाले, जो नीच कुलमें विवाह कर लेनेसे गङ्गारी कहलाने लगते गंगा किनार रहते हो। है। मका एक भेद गङ्गारी गैरोला और दूसरा सारोला गाह-एक विख्यात स्मात पण्डित । इनके बनाये हुए गङ्गारी है । विहानोंके मतानुसार अलकनन्दाको भाधान पचति, पापस्तम्बप्रयोगसार, धर्म प्रदीप और उस भोर चारों वर्ण गणारी होते है। इनको कई पद समयनय नामक कई एक संस्कृत ग्रन्य हैं। वियां है। घिड़ियल वसमदमी और उनयाल महिष- गाभारकर-शकुनावली नामक ग्रन्यप्रमता। मदनी, कालिका, राजराजेशरी आदि देवियोंकी पूजा महाम: (सं• बी०) गंगाया पन्नः जलम, ६-तत् ।। करते है।