पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१०७

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गावा-गावाई यह अक्षा० २५. १० से २५ २४ उत्तर और देशा० युद्धविग्रहमें व्यापृत हुए। उनके बहुतसे प्रधान ८२ ४२ मे ८३ पू०में अवस्थित है। भूपरिमाण ११८ | कई बहाने करके युद्ध स्थलसे फिर लौट पड़े । सखाराम वर्ग मील तथा जनसंख्या प्रायः ८६७०३ है। इसमें बापू, साम्बक राव मामा, नाना फड़नवीम, मरोबा पर २८० ग्राम लगते हैं लेकिन शहर एक भी नहीं हैं। नवौस, बजाबा पुरन्धर, आनन्द राव जीवाजी. हरिकन तहसीलकी आमदमो लगभग १२५०००) है। वरना फडके आदिको ले करके फिर एक मन्त्रिसभा बनी। मदो तौर पर अवस्थित होनेके कारण यहां उपज बहुत उसमें नाना फड़नवीस और हरिपन्य फड़के प्रधान री। होता है। वह रघुनाथके विपक्ष थे। थोड़े दिनमें प्रकाश हुआ कि गङ्गापूजा ( म० स्त्री० ) विवाह के बादकी एक रोति । इसमें नारायण रावके मरनेसे पहले उनकी पत्नी गंगाबाई गर्म- ग्रामको स्त्रियां वर और वधू साथ गीत गातो, किसी वती हुई थौं । मन्त्रियोंने परामर्श करके उन्हें पुरम्बर तालाव पर जाती हैं और ग्रामके देवताको पूजा कर भेजनेका प्रबन्ध किया, पीछेको जिसमें कोई उनका लौट आती हैं। इसी दिन दम्पतीक हाथास विवाह अनिष्ट न करें । १७७४ ई० ३० जनवरीकी नाना फडण- कंगन खोला जाता है। वीस और हरिपन्थ फड़के इन्हें पुरन्धर ले गये । मदाभिष गङ्गाप्रसाद - हिन्दी भाषाके एक सुप्रसिद्धकवि । साधारणतः रावको विधवा प्रभावतो लोगोंमें श्रद्धाम्पद रहीं। वह भी इनको गङ्गकवि कहते हैं। १५३८ ई०को इनका जन्म गगाबाईके माथ भेजी गयौं । पुरन्धरका दुर्ग १११२ हुआ। यह युक्त प्रदेशस्थ इटावा जिलेके इकनौरवासी एक हाथ ऊचे एक पर्वत पर अवस्थित है। इसमें उन्हें ब्राह्मण थे और अकबर बादशाहको सभामें उपस्थित रहते पहचानके नाना कारण थे। पूनाको चारों ओर शत्रु- थे। वीरबल, खान् खानान् और दूसरोंसे इन्हें बहुतमा पक्षीय लोग थे। उसीसे विधवा गंगाबाई पर अनि?- पुरस्कार मिला । परन्तु आईन-अकबरोमें इनका पातकी आशा रही। इनके निकट कई एक मद्यप्रसूता उल्लेख नहीं। रमणीको रख दिया गया। क्योंकि उनको यदि पुत्रमन्तान २ युक्तप्रदेशस्थ सीतापुर जिले के एक हिन्दी कवि । हो और स्तनसे यथेष्ट टुग्ध न निकले, तो इनके स्तन- इन्हें भी गङ्गकवि हो कहा जाता है। १८३३ ई०को टुग्धसे बालकको जीवनरक्षा होगी। फिर गंगाबाई ब्राह्मणवशम इनका जन्म हा । अपने उत्कष्टं काव्यक कन्या सन्तान होने पर चुपके चुपके अन्धका पुत्रसन्तान कारण उन्हें सुपौली ग्राम निष्कर मिला था। इन्होंने "इनकी कन्याके साथ परिवर्तित कर · दिया जायेगा। दूतीविलास नामक शृङ्गार रसको पुस्तक रचना को । गंगाबाईके गर्भसे पुत्र सन्तान होने पर वही प्रक्षत गङ्गाप्राप्ति ( सं० स्त्री० ) गगाया: प्राप्ति ३-तत् । १ गंगा- पेशवा ठहरेगा। ऐसा होने पर रघुनाथ रावको क्षमता लाभ वा गंगामें जाना। आजकल गगाप्रालिसे मृत्य का घट जावेगी। मन्त्री लोग इसी पुत्रको पाशा पर निर्भर हो बोध होता है..... गङ्गाबाई-एक विख्यात महाराष्ट्र-महिला। यह पेशवा करक ग गा बाइक नामसे पेशवाका काम चलाने लगे। नारायण रावको पत्नी रहीं। १७७३ ई० ३० अगस्तको | रघुनाथ राव उस समय कर्णाटमें थे। वहीं सब कई एक सिपाहियोंन वेतन न मिलनेसे क्रोधमें उन्मत्त | संवाद पा करके यह पूनाके.अभिमुख चल पड़ । राह पर हो अष्टादश वर्षीय नारायण रावको मार डाला। लोगों | एक लड़ाई में इनको जीत हुई । किन्तु यह पूनाके सामने को विश्वास है कि रघुनाथ राव भार राघवाको उत्त'ज- ना करके उत्तराभिमुख चले गये। १७७४. ई०. १८ नासे हो उन काण्ड हुआ था। कोई कोई कहता कि : अपरेलको इन्होंने सुना कि गगाबाईको पुत्रसन्तान एमा रघुनाथको पानी पानन्द बाईके कौशलसे वह निष्ठ र था। फिर यह मलवार चले गये। गगाबाईका वही कार्य किया गया। नारायण राव । नारायण रावके पुत्र ४० दिनका होने पर माधवराव नारायण वा मधु- मरने पर रघुनाथ राव पेशवा हो वहि:शवोंके साथ | राव नारायण नामसे पभिडितो पधवाके पद पर पमि VolVI.27