पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/७३७

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वसुदान-वसुदेव प्रसाद वसुदान (सं० पु०) १ धनदान । २ विदेहराजके एक देवकी तथा वसुदेवको कैद कर रखा। एक एक पुत्र का नाम । ( भारत २।४।२६ ) ३ वृहद्रथके एक पुनका करके कंसने देवकीके ६ प्रसूत बच्चे को मार डाला । नाम । ४हिरण्यरेताके एक पुनका नाम । सप्तम गर्भ योगमाया द्वारा रोहिणीके गर्भमें संचारित ( भागवत ५।२०।१४) । हुआ। अष्टम गर्भसे भगवान् श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। चसुदामन् ( सं० पु० ) वृहद्रथके एक पुतका नाम । इसी समय गोकुलमें नन्दकी स्त्री यशोदाके गर्भसे विष्णु- वनुदामा (सं० स्त्री०) स्कन्द माताओमसे एकज्ञा नाम । शरीरसम्भवा योगनिद्राका जन्म हुआ था। योगनिद्रा । (महाभारत शल्यपर्व। के पैदा होनेकी वात यशोदा तकको मालूम नहीं हुई। वसुदावन (सं० त्रि०) वसुदा, धन देनेवाला। इधर वसुदेव अपने आठवें पुत्रको श्रीवत्सलांछित वसुदेय ( स० क्लो० ) अभिमत धनप्रदान । तथा दिघ्यलक्षणसम्पन्न देख कर कंसके भयम्ने बोले- वसुदेव (संपु०) वसुना धनेन दीव्यतीति दिव -अच् । हे अधोक्षज ! इस रूपका परित्याग करो। तुमसे पहले १ श्रीकृष्णके पिता। पर्याय-आनकदुन्दुभि, शूर, कृष्ण पैदा होनेवाले मेरे छः पुत्रोंको दुवंत कसने मार डाला पिता। वसुदेवने पूर्व पुण्यके फलसे श्रीकृष्णको पुत्र है। वसुदेवको वाते सुन कर भगवान्ने अपना वह रूपमे पाया था। ये चन्द्रवंशीय यदुकुलोद्भव देवमीदुपः रूप संहार करके कहा-पिता! मुझ शीघ्र गोपपत्ति तनय आरके पुत्र थे । यदुकुलपति भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र के नन्दके यहा ले चलें। भगवान कृष्णको ऐसी बात सुन पिता एवं पाडवमाता कुन्तीदेवीके माता थे। इनके जन्म | कर वसुदेव उसी समय उन्हें गोदमें उठा कर बडी समय स्वर्गमे दुन्दमि यजनेकी आवाज सुनाई पडी थी, | शीघ्रतासे गोकुलकी ओर बढ़े एव यमुना नदी पार कर इसलिये इनका दूसरा नाम आनकदुन्दुमि रखा गया। गोकुल पहुंचे। इस समय तक भी यशोदाको अपनी पुत्री इनकी माताका नाम महिपी था। वसुदेव अपने पिताके | होनेको खवर मालूम न हुई थी। वसुदेवने चुपकेसे यशोदा सबसे बड़े पुत्र थे। ये अत्यन्त सुन्दर, यथेष्ट वली एवं के शयनागारमे प्रवेश किया एवं भगवान कृष्णको उसके चन्द्रमाले समान कान्तिशालीथे। समीप लिटा दिया। इसके बाद वे यशोदाकी तत्का- वसुदेवको पौरवी, रोहिणी, .मदिरा, धरण, वैशास्त्री, लीन प्रसूत पुत्रीको गोद में उठा कर वहासे अपने स्थान- भद्रा, सुनाम्नी, सहदेवा, शान्तिदेवा, सुवा, देवरक्षिता, को लौट आये। पीछे कंसके पास जा कर उन्होंने अपना वृनदेवी तथा देवका नामक चौदह स्त्रिया एवं सतन लडको होनेकी सूचना दी। कस तथा कृष्ण देखो । तथा वडवा नामक दो परिचारिकाएं थीं। उनकी पहली २ स्वनामस्पात कलियुग-राजविशेषके अमात्य । ये तथा सबसे बड़ी पत्नो वाहाककी कन्या रोहिणा थी। देवभूतिको मार कर रवयं राजाहुए थे। उपरोक्त पत्नियोंके मध्य शेप आहुकके पुत्र देवकका | कन्याए थी। उनमें सबसे छोटी देवकी हो, भगवान् "शुभ हत्वा देवभूति करवोऽमात्यस्तु कामिनम् ।। कृष्णशी माता थी। देवकके भाई उग्रसेनका पुत्र कंस स्वय करिष्त्रते राज्य वसुदेवा महामतिः॥" मथुराका राजा था। इस नरहसे वसुदेव कंसके । (माग० १२।१।१८) नहनोई थे। (फ्ली० ) वसवो देवता यस्य । ३ धनिष्ठा नक्षत्र । एक समय महपि नारदने कसके पास आ कर कहा- वसुदेव-मलमासनिर्णयतन्त्रके प्रणेता। 'महाराज ! मैं ब्रह्मादि देवताओंको मन्त्र द्वारा जान सका | वसुदेवत (सं० क्लो०) १ धनिष्ठा नक्षत्र । ( वृहत्स० ८।२२) प, कि तुम्हारी वहिन देवकीके गर्भसे जो आठवां पुत्र पु०) २ वसुदेव । पैदा होगा, उसीके हाथसे तुम्हारी मृत्यु होगी।' नारदके वसुदेवता ( स० स्त्री० ) वसवो देवता यस्याः। धनिष्ठा मुझसे अपने मरनेकी बात सुन कर असुर कंसने देवकी-| नक्षत्र । के गर्भच्छेदन करनेका संकल्प किया । तदनुसार उसने । वसुदेव प्रसाद-सश्चिदानन्दानुभवप्रदीपिकाके प्रणेता।