पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/७३

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७० रोम-साम्राज्य रक्षाके लिये राजाको मैन्य पर ही निर्भर रहना पडता : हदियागम के लिये उयोगी हुआ था। उसकी R भा। इस तरह जर्मन और सीगह लीजन के अभिमनके सभीष्टसिद्धि के द्वारा राज्य मामनविमागकी हुन अनुमारने मिटेलियास और मेसियन सन्नाट पद पर । उन्ननिकी आमा श्री, किन्तु ऐसी न हुई । पर इसके प्रतिष्ठित हुए थे डोमिसियान सिपाहियाना टाम रामकी . द्वारा साम्राज्य शक्तिको घन कमी हो गई थी। सेनेटम धुम अपने राज्यकाल में मामरिक प्रगाव ( 11 माकाम सारिलियानको मृत्यून आयहि मिया निंदा tary character )का परिचय दिया था। नन्नादनांक सनक अधिकार तक : १८c.८०) रोमको प्राचीन ( गोद ) दत्तक पुत्र विग्यात चर और याद्रा दाजनसे अगटन गतिका सभ्य विलय साधित हुया था । ही सामरिक विभाग के सम्पूर्ण मालिक या "दम्परेटर" , पार्टिनकम स्मेराम मिन्दर मारिमगाम, वाला नाम, पदने प्राचीन शासनपद्धति मिनापकी शनिशा भी । टन्निटम आदि यादगार के द्वारा गजपद पर निर्मा पार कर दिया था। चित होने पर भी गंभेगम मिान्दरके मिया उनमे और मनाद हादियान के बाद कामे आरटोनिनाम पयाम कोई लीजनका बानुगत्य लाद कर न सका । साथी (१३८ ई० में ), माकै म उलियम ( १०), मान ओशनाम्दीम गेमक बादशा, प्रधाननः मेनामंधक आण्ट्रोनिनाम (२६१ ई०म), TAडियम (२८०ई० में), निर्वाचन नागही मनोनीत होने थे। ये मय बादशाह पार्टीनायस ( १८० ई० में ), डिडायोम जुलियानाम नामान्त प्रदेशवासी नगण्य व्यनिक मन्नान है। जा (१६३० मे ) और मेष्टिमियास संमेगसने १६३ ई० में) ऐश्वर्यगरी मन हो कर मरे की ममदनाको समझने में रोमन सिंहासन पर बैठ कर जमायको परिचालना समय नहीं होने थे। अन्याचार और निष्ठाता उसके की थी। वे सभी कारेण्ट' नामसे पुकारे गये थे। ' अंगका याभ्यण बनी थी। अमानुपिक अत्याचाम्स ये गालया, मिटेलियाम यार मे पेमियननं सम्राट पद पर माधारणका पोटिन अपनी अपना पागम प्रतिरों अमिरिक्त हो कर ही अपनी अपनी जन्मभृमि रोम : वीरनार्य करने थे । इन मब नीच प्रतिक गजाओस या कर सनेटको राय ली। द्राजन और हाद्रियान दृमरे, नेट मदा प्रादमय, लाछिन और विचित होते थे। जो प्रदेश उत्पन्न थे। इनमे द्राजन सम्राट् पद प्रान करके रायनासन के उपयोगी और दयावान थे ये भी सेनेट भी एक वर्ष नक रोममें न माया, किन्तु हाजिहानने सेनेट को सरकारी कामोंमें हस्तक्षेप नहीं करने देते थे । नेप्टिं. द्वारा अमिनन्दिन होनेक पहले सियामें 'इम्पेरियाम" . मियस मनमा अफ्रिकायामी या । सेनेटसे अभिमत ग्रहण किया था। इनलिये वह सेनेट के सामने विनीत । ( Iormal contirny 11911) न ले कर उसने राज्यकाय मात्र समाप्रार्थना करने पर बाध्य हुआ था। द्राजन , मार ग्रहणका पथ प्रशस्त किया। राममें रद्द कर उसने और माकाम झारिलियासको दिगन्त-निनादिन विजय ही "प्रोकन्स" उपाधि धारण मार फोरममे वेट कर पोति. मुबन्दोबस्त और प्रतिष्ठाद्योतक हुई थी । अतः ' शासन और विचार कार्य समायान कर महलपी चदार- यावश्यक समझ कर रोम्से हटा कर दूसरे स्थानमे राज- दीवानके भीतर उन कार्यों के पूर्ण करनेकी व्यवस्था को पाट परिवर्शन करने की व्यवस्था हुई थी। डेमिटि यास.. थी। अन्तम वह प्रिटोरिया के रक्षकों के निफकृको ही के मिया मपनियनसे ओरिलियास वकवे, राजे सेनेट.' बादशाहक अधस्तन गजकर्मचारीक रुपमे नियोजित के साथ मिल कर अनीय गुरुतर राज्यकाय सम्पा । कर गये । इससे उसके अनीम प्रभुत्वका परिचय दन करत थे। किन्तु समय पा कर यूनानी दर्शनशास्त्रको मिलता है। उसकी शिलालिपिमे यही पहले वादशाहको शिक्षक प्रमावसं जब रोमकोंक मानसिक शक्ति बढ़ "Dominusलिग्ब गया है। गई तवं ये शानार्जनमे प्रवृत्त हुए । ममयके मुताविक एक । सन २४६ ई० में डिसियास अभ्युदय और रोम- संस्कृत राजकीय शासन पद्धति ( Imperial System; साम्राज्य के अधिकारसे हम डेन्यूब प्रवाहित प्रदेशों के of government )की वावश्यकता हुई। दमके अनुसार! उत्पन्न कई मुदक्ष सम्राटको ऊ ऊपर रोम सिंहासन