पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/७२०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वसन्तरोग ७४५ करने पर गोरियो को गति मृदु हो जाती है । कर चार पर टोका नहीं देनी चाहिये । विशेष आवश्यक न हाने पर देखा गया है, कि वमन्त सनामक होन पर गौौके पयो । ॥ वा २चर्पके वचकोटीका देना उचित है। इसके मति घरमें भी मैकमिना या गो वसन्त होता है। मानर-यसत| रिक्त का प्रथकार काफलिम्फ अयात् गोष पछसे जो दोज गायों के उदरके निकट इनोफ्युलेट करने पर शरीर | मैक्सिना उत्पन होता है, उसोको लसिका द्वारा रोश के मध्य विशेष परिवर्तन होनेके कारण वसन्त गोटा न । देनेका परामश देत हैं। इसक द्वारा पोंको एक बार निकल कर गो-बसन्त पहिर्गत होता है। उसी क्रियाएँ । तथा परिणत वयस्कोंको दोधार टोका देनेसे विशेष लाम यसन्तको क्रियामोको अपेक्षा मृदु होती हैं । इस गो वमत होता है। को लसिका द्वारा टोका दी जाती है। रोका दनेका स्थान-साधारणत निस स्थान पर गौके स्तनों पर गोटिया निक्लनेसे उन्हे मैषिमना | डेटेड पेशी शेष होती है, उसके धोच तथा नीचे परस्पर ( Vaccina ) या गो वसत कहते हैं। इस प्रकारको | एक या डेढ इच मतरित स्थानका चमहा आकृष्ट करके गोटीक रसको काउ लिम्फ अर्यात् गो वीज़ कहते हैं । अत्र द्वारा उपत्यक फ निम्नाश पर्व त वोज प्रवेश कराना इमोके द्वारा टीका दी ज्ञातो है। जिस प्रणालीस इम होता है। प्रत्येक हायमें देो टोका देना उचित है । निम्न पोज द्वारा मनुष्य के शरीरमें टोदा ज्ञाता है उसे | लिम्बित चार प्रणालियों से टोका देनेको विधि है- मैक्सिनेसन् कहते हैं पर उसके द्वारा मनुपके शरारम | (१) लैग्मेरके अप्रमागमें पोज लिप्त करके उस भावसे जो गोटिया उत्पन्न होता है, उहे भैक्सिन पोष्टियु कहते प्रस्त धर्म पयंत चिद करना चाहिये इस तरह मना है। सारे दिनको गोटोमं जो रस पाया जाता है, वह घात करना चाहिये, मि फेवल विन्दुमात्र रस बाहर निक्ले। लसिका या लिम्प कहलाता है। यह निम्न लिखित ५१, सके व ता उिन्न स्थानमें अस्त्र रख कर इसको उपाय द्वारा रक्षा की जाती है (१) अति सूक्ष्म ग्लास् | बाहर करना चाहिये। (२) अस्त्र द्वारा ममान्तराल ट्य वमें, (२) दोबएड काोंक मध्य (३) लसिका कम होन, मावस ५६ छिद्र करके उसके ऊपर लिम्फ लगाना पर उसके साथ ग्लिसिरिन् मिला कर रखन हैं। सातरे चाहिय। (३)उल्को देने के तरीके से सूह द्वारा उक स्थान या पाठो दिन अर्थात् परिमोला होने पहले स्फोटकके विद्ध करफ उसके ऊपर लिम्फ सलग्न करेगे। (४) अस्त्र गोर्षस्थानमें भस्र येध कर लसिका ग्रहण करे । पाम किया लाइकर एमोनिया द्वारा ऊपरका चमडा उ मोचन विद्ध करनेसे मध्य प्राचीरका मेद पर रसिका मनके करके वोच देना चाहिये। ऊपर नहीं पा सकता पर उससे लसिकाम र मिश्रित गोटोका गति-टोका देने के बाद तीसरे दिन छेडे हो जानेको सम्भावना रहती है। गीतकालमें ६७ पा हुए स्थानम लाल एव कुछ ऊंचा पैयुल नजर आता है। प्रामफालम ५६ दिनों की गोटियोंस वीज ग्रहण करना दिन दिन उसकी ऊँचाइ तथा लाली क्रमश बढती नाती उचित एक व्यक्केि हाथ से वीजले पर दूसरे हाथ | है। ५६ दिन मध्य पैप्युल समूह भेसिकरम परिणत टोश दनेसे विशेष लाम होता है। नीरोग पालाको गैका हो जाने हैं। ये देखने में गोले या अण्डाकार होन है। इनके से वोज लेनेकी विधि है। किसी बच्चेके चर्मरोग अथरा बीच मश चिपटा हुआ रहता है एप रग फुट नीलापन गुह्यद्वार या जननेन्द्रियमें उपदराजनित उच्य स्फोटा स्विा लिये हुए उजला होता है। सात दिनके शेर माग सदी तथा गरेमें क्षत रहने से उसका पीन लेना उचित नहीं। उनके चारों ओर लाल रगकी पक रेषा दिखाई पड़ती है, परिष्कृत लै सेर ( Lancet )का पयहार करना उचित उसे परिभोला ( freola) दते हैं पर उस समय है, अपरिष्कृत अन ध्यपहार करनेसे चमको उत्तेजना गारिया पूरी तरह निश्ल आती है। ये दिनस गारिया पर आती है। ऐसे ४ मासकी उम्रपाले पोंको टोका कमश बढने बढने पूर्णरूपसे परिपुष्ट हो जाती हैं। पे ऐनेसे वहा लाम होता है। शिशुके ध्यरामारत होने पर गोरियां देखने में गोल पप कुछ ऊपर उठी हुइ मालूम अपना धर्मरोग, उदरामय या दतोहमा सम्मायना रहने ' पडता हैं। इनका रग मुकाको तरह उज्ज्वल तथा इन Tol x 180