पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६४७

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बर्द्धमान छतमस्तक नामक चार पुत्र उत्पन्न हुए। गोवईन देश- जैनियोंक मत महावीर चा वर्द्धमानस्वामोने सददेश- मे जीमन नदी के किनारे वजनाभको स्त्री मेनका गर्भसे जिम अजमे असभ्य जातियोंके मध्य धर्मप्रचार वगन नशा गणचर नामक अति सुन्दर दो पुत्र पैदा हुए। किया था, उनके नामानुसार वही स्थान पाछे बड़े चणचग्ने पाटली प्राम के निकट यमकर नदीके तार वाम- मान नामसे विचात हुआ। इस समय बद्ध मान मध्य- रापन दिया। ये अत्यन्त लुब्धस्वभावके थे। म्वगण- द नामले मगहर है। हम जिन्टो प समय अनेक के धोरम तथा मोदामतीके गर्भसे विभूति, सुभूति तथा सुप्राचीन गजवंश राज्य करने थे। इस समय मी उनकी रामभूति नामक तीन पुत पैदा हुए। रामभूतिने कीकट | कितनी ही प्राचीन पोनियां कई स्थानोंमें विद्यमान देश अपनी राजधानी बनाई। यह देश उस समय | हैं। शेरगढ परगनाकी सिंहारण नामक नदी के किनारे जगलों तथा पहाटोंसे भरा था। बहुसंख्यक नीच जातीय सिंहपुर नामक एक प्राचीन गजधानी थी । प्रजा उनके शासनाधीन हुई थी। मुभूनि पलासनगढमे । यहां सिंहयाहु नामक राजा राज्य करते थे। जब गज्य करने थे। उनका राज्य उदय अस्त तक फैला सिहपुर नगर ध्यंम हो गया, नय वद स्थान मिंडारण्यके आ था। विभूति अत्यन्त प्रतापी राजा थे। उन्होंने । नामसे प्रसिद्ध हुआ । इसी सिंहारपयले यई मान सिंहा. युवायम्बामे ही देरल तथा शनश्टंग प्रदेशमे राज्य रण नदीका नामकरण या है। हम जिले के अन्तर्गत स्थापन किया। उनके गज्यमे वन सी जातीय प्रजा मानका परगना समशती ब्राह्मणोंहा आदिउपनिवेश दाम करती थी। यही पौराणिक मत है। इसके बाद है। इस जिले में उन्होंने जिन मव ग्रामों को प्राप्त किया था, विकन्या तुगलेखाके गर्भसे पुष्पांकरका जन्म हुआ। उन सभी ग्रामोंके नामसे ही सप्तशतियों की विभिन्न पुगाकुरके पुत्र हटाश्च हुए। ये बड़े कोमल प्रकृतिके | उपाधियोंकी सृष्टि हुई। गोदाधिए आदिभार जयन्त के राजा थे। इन्होंने तपस्यामा अनुष्ठान किया था । अगस्त्य अभ्युदय के पूर्व यहां सताती ब्राह्मणों का ही आधिपत्य ने इनको वरदान दिया था। उसी वरके प्रतापसे ये था। नारायण के छन्दोगपरिशिष्टप्रकाशने जाना जाता उत्कलको अन्तिम सीमा पर जगन्नायक्षेतके समीपवती है. कि किसी राढीय ब्राह्मण के पूर्व पुरुपने उनसे ही काम्रकानन के राजा हुए। गंडकी नामक स्त्रीके गर्भ कितने कुलस्थान प्राप्त किया था, उनसे कई गढीय ने चन्दनवन चन्दन नामक इनके एक सुन्दर पुत्र | ब्राह्मणोंकी उपाधियां प्राप्त हुई हैं। गोडमें पालवशी उत्पन्न हुआ। चन्दनके छोटे भाईका नाम अघोर था। राजाओंका आधिपत्य विस्तृत होने पर आदिाम्यनीय ये तुलादेशक चन्दनवनमे राज्य करते थे। अघोर द्वारा शूग्नरपतियों ने बहुत समय तक इस जिले में राज्य किया उसकी पना देशिकाके गर्ममे करणको उत्पत्ति हुई। था, उन्हो ने मी राढीय श्रेणोके ब्राह्मणों को इस जिले के करण असाधारण विक्रमसम्पन्न थे। ये वर्द्धमानका | बहुतसे ग्राम दान दिये थे। इन नव ग्रामोसे हो राढोय परित्याग करके कलापक ग्राममें चले गये। पुष्करानन | ब्राह्मणोके पूर्वपुरुषोंने बहुत सो उपाधिया प्राप्त थी। नामक एम त्रिय राजा वहांकी राजगहो पर अमिरिक्त पालवंशीय राजे जिस समय वारेन्द्र मे बौद्धधर्म टुप । सक्षेपमें बर्द्धमानाधिपति राजाओंके विवरण लिपि प्रचार करनेमे उद्यन थे, उस समय रादेशम चरराजे बद्ध हुए। अन्यान्य साधारण देशोंके मध्य बईमान यहांके बौद्ध समाजको हस्तगत करने के लिये आवश्य- पक श्रेष्ठतम देश है। यहाके राजाओंका विवरण पुराण कतानुसार शेव तथा शाक्त धर्म प्रचार कर रहे थे। मे वर्णन किया गया है। पुराननके वंशधर गजे| गौड़में वौद्धाधिकारके ममय यहां ढेर नामक स्थानमें मगलदेवीकी पृनाके प्रतापसे वईमानमें राज्य करते या सोमघोष के पुत्र इच्छाई घोप नामक एक शाक्त राजा रहे । (दिग्विजय प्र०) अत्यन्त प्रवल हो उठे थे। उनका प्रतिष्टित श्यामरूपा- पुगतत्व। गढ़ ही इस सम्य सेनपहाडीगढ़के नामसे प्रसिद्ध मार्कण्डेयपुराणमें इस वर्तमानका उल्लेख है। है। इसके समान प्राचीन और कोई दसरा गढ़ इस