पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६०२

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वह इसक चारो पावो में पूर होते हैं। जगी घराहो के | जिर बानकर, सस्कृत तथा बङ्गला-वराह कनाडो- दात दायीकी तरह बाहर निकले होते हैं, किन्तु उसके | हएडी मिझा जेवाडी, डेनमा-Srung ओलन्दाज- कुछ छोटे होते हैं। दरविहीन पगह हो पधानतः larken Zwun, फरासो-Verrat Cochon Pour शकर कहलाता है। ceu | जमन-Eber, Schwein; गोइ-पहा । भारत के नर म्यानो में एव योपमें जिस तरह के प्रो-Chotros , हिन्दी-सूमर, पनैला सूअर, इटली बराव दसे जाने हैं, उनकी अपेक्षा भारतीय द्रोपो के | तथा पुर्शगाल-Verro Porco , लैटिन--Sus por शकर वहीं छोटे होते हैं। जगलो घराह प्राय दिन | cus,~मलय-वधि, पवि आलम, दविउटान महा ममय जगलम छिपे रहते हैं पय रात्रि मधेरा हो जाने | राष्ट्र-दुर, रूस-Stinza, स्पेन--1erraco पर अपने माने आश्रय स्थानका परित्याग कर बाहर | Puerco , खाडेन-~srin , तेलगू-आदाधि को निरलने है और निफ्टरत्तों प्रामो अनाजस भरे। पण्डि , वेल्स-lueh Huch , हिब-हाजिर छजिर हुए खेतो में घुस कर मनमाना मनाज ना कर पेट भर शिलापुर-पलुर। लेने हैं । मह खेतमें प्रवेश करके यहाँकी मिट्टी पगियाफे का स्थानों में पध भारत समीपवती स्तिने उखेल डालते हैं, जिमम अनाजके पौदे बहुन नट हो हो देशीम जो विभिन श्रेणी देची जाती है साधा- जान हैं प काफो अनाज उत्पान होनेमें प्राघात रणत: ७ भागों में विभक है। इन सातों शाखाओं का पहुचता है । कहीं कहीं घराह मिट्टा खोद कर सक्षिप्त पियरण नीचे दिया जाता है- मानाच्च आल त्यादिकन्दमानात हैं। जिस स्थान में इन सर उद्भिद भाविका अभाय हिना है पच जहां sus Indicus या 5 scrola भारतीय साधारण उह छातुमार कन्दमूल मानेको नहीं मिलन, वाघे यन्यपराह-जमनाके घग्यवराहसे इस गतिको बहुत भरे हुए ऊर आदि पशुभो के माससे भी अपन पेट पृथक् ता है, किन्तु उसम इनकी एक म्यत व शाग्वा पापम पूण अग्नि तुमान है। भूखसे अत्यत पीडित होनेस | नहीं की जा सकती। भारतीय वराहोंका मस्तक बडा निस्टरत्तों प्रामोंमें जा कर प्रामवासिपाके फेके हुए फू । तथा कोनाकार पर कपाल चिपटा होता है, किन्तु कर्षरसे अप। बाध पदार्थ निकाल कर उदरपोपण यूरोपीय घराहफे पुण्डे। भारतीय घराक कान छाटे करत है। मानय विष्ठामें भी उनकी विलक्षण रुधि । तथा नुकाले और पाश्चात्य घराहोंके बडे तथा नीचेको देखो जाती हैं। ओर के होते हैं। भारतीय वराह षड और ताम्र चाल एशियाके कई स्थानोंनि भिन्न भिन्न प्रकारके याले होते हैं, किंतु जर्मन देशाय घराह बडे होने पर धन्यवराद दसे जाते हैं। प्राणितश्यविदोंने उहे सात भी उतनी तेजासे दौड नही सक्ते। इन दोनों देशोंके णियों में विभक्त किया है। ये कहते हैं कि भारतीय पपपराहोंको छोड़ कर पालतू पगहोंक मध्य मी कितने पम्पराहकी कशावा जो मममय यरोप तण उत्तर | दाविपयाम इस तरहका पृथकना देखा जाता।। अफ्रिकामें फैल गई है पर हिन्दुस्तानके वोन जिसके अनु ___ भारतमै उक्त श्रेणीफ पराह ही प्रधान है । बहाल रूप वराह जाति विद्यमान है उसे यूरोपीय ममाज बाई कई धानों में इस श्रेणीक वराह देखे जाते है । जब भोजन नोज प्रोस' (Chinest breed ) क नामसे पुकारते हैं। की खोजम यराहसमूह जङ्गलसे निकल कर प्राममें प्रवेश यिमिग्न शाखायुन दोने पर भी यह परजाति दा करते हैं, तब प्रामवासी पन्ताघातसे आहत होनके भयसे भेदानुमार मिन मिन नामसे परिचित है। नाचे । सशकित हो उठते हैं और सब सव एक्स हो पर विभिन्न देशीय नाम तथा उनकी नातिगत पृथकना उन्हे मारनेको तयारी करते हैं। देहाती लोग जङ्गलमें जा निर्देश की गई है- काकुत्तेकी सहायतीस पराहोंश शिकार परत है किन्तु विभिन्न देशीय नाम - मरवी तथा पारमी-नान् । युरोपीय गिरी प्रधानतः यो पर सवार हो कर Vol 154