पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५७३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५८९ वम्बई मे यह मारतवर्पके मध्य प्रथम और वृटिश साम्राज्य नमेण्टको गजधानी । यह अना० १८५५ उ० तथा देशा० मध्य द्वितीय नगर है । इसमे ४ उपविभाग, २५ जिला नया ७२.५४ पू० के मध्य विस्तृत है। यह पश्चिम भारतका कितने देशी राज्य लगते है। इसके उत्तर, उत्तर-पश्चिम एक प्रधान वाणिज्य-चन्दर है। विचार-विभाग मुख्या और उत्तर पूर्व में बलुचिस्तान, पजाब और गजपूताना, वरथाकै न्दिा यहा विचार अदालत प्रतिष्ठित है तथा पूरव, मध्यभारत एजेन्सी, मध्यप्रदेश, बगर यौर हैदरा-' बम्बई नगर एस स्वतन्त्र जिलारूपमें गिना जाता है। इम. वाद राज्य, दक्षिणमे मन्द्राज प्रेसिडेन्सी और महिमुर : या भूपरिमाण २२ वर्गमील है। तथा पश्चिममै अरव सागर हैं। मुम्मादेवीके नामानुसार मुम्बई से बम्बई नामको अगरेजाधित सभी जिले साधारणतः ४ भागोंम उत्पत्ति हुई है । पुर्तगीजाने सम्टके किनारे इसका अव- विभक्त है, यथा-उत्तर विभाग-अहमदाबाद, खेडा, ! म्थान देत कर इसे Bombahha वा Bon hahra कह पांच महाल, भरोंच, सूरत, थाना और कुन्दावा । कर उरटेन किया है । पुर्तगोज 'बोमयाहिया' शब्दसे कोई काइ अगरेजी बम्बई नामको मो कल्पना करते हैं। ___ मध्य विभाग-स्वान्देश, नासिक, अमदनगर, पना सोलापुर मोर सताग। १६६१ ई०में पुर्तगाजाने रनलैण्डकी रानी कैथग्नि दक्षिण विभाग-वेलगाम, धारवाड, कलादगो, उत्तर : आय व्रगजाको यातु स्वरूप बम्बई द्वीप प्रदान दिया। इस कनाडा और रत्नगिरि। ममय इस द्वीपको भाय ६५०००) २० थी। हम ममय । सूरन बन्दरमे ही पश्निम-मारतको ईष्ट इण्डिया कम्पनी- सिन्धुविभाग-रात्री, थर और पार्वर, हैदरावाद का प्रधान अट्टा था। शिकारपुर, उत्तरमिन्धु, सीमान्तप्रदेश । इसके बाद पुर्तगीजोंने बम्बई नगरका संम्रय छोड इस प्रेसिडेन्सीमें निम्नलिग्नित कई मामन्त गज्य कर सालग्नेटद्रोपमें आश्रय लिया। दुर्घत्त पुर्तगार्जीका है। यथा:-बडौदा, कोल्हापुर, मच्छ, महीकान्या राज्य, दमन करने के लिये १६६८१०मे मुगल नौ सेनापति सिदी- रेवाकान्था गज्य, काठियावाड राज्य, पालनपुर राज्य, ने बम्बई दुर्ग पर आक्रमण किया। इस समय अगरेजोंने नम्धात्, सावन्तवाड़ी, जजीरा, दक्षिण मराठा जागार, मुगल बादशाहसे निवेदन किया। वादशाहको आज्ञासे सतारा जागार, यवहार, सूरत के अन्तर्गत सामन्त मुगरसेना वम्बई से हटा दी गइ । १६८४ ई०में डिरेकृरों को राज्य, मावनूर, नाडू कोट, अकालकोट, खान्देशके अन्तर्गत अनुमति के अनुमार सूरनसे फम्पनीका वाणिज्यकेन्द्र दगगज और खैरपुर राज्य । वम्बई शहरमें उठा कर लाया गया। उमी मूत्रमे १६८७ ई०. उक्त सभी जिलों और सिन्धुप्रदेशका भूपरिमाण मे वम्बई शहर अगरेजोंका प्रधान वाणिज्य वन्दररूपमें १२४१२३ वर्गमोल तथा सामन्त राज्योंका परिमाण | गिना जाने लगा। ८२३२४ वर्गमील है। वर्तमान समयमं अनेक वैषयिक | आज तक जिन दो अगरेज कम्पनियोंने इङ्गलैण्डेश्वर गोलमालसे उन सब सामन्त राज्योंका परिमाण बहुत घट से भारतमें वाणिज्य करनेका अधिकार पाया था, १७०८ गया है, मर्दुमशुमारोका विवरण पढ़नेसे इसका पता ई०में वे दोनो आपस में मिल कर युनाइटेड इष्ट इण्डिया चलता है। बम्बई प्रसिडेन्सीमै ११६ नगर और १५३३२ कम्पनो नामसे प्रसिद्ध हुई तथा वम्बई शहर उस समय ग्राम लगते हैं। स्वतन्त्र शासनाधीन वम्बई प्रेसिडेन्सीका प्रधान नगर प्रेसिडेन्सीके इन सब स्थानोंके ऐतिहासिक थोर समझा जाने लगा। १७७३ ई०में बम्बई नगर गवर्नर प्रत्नतत्त्वके विवरण विभिन्न स्थानमे लिखे गये है, इस जेनरलके शासनाधीन हुआ। तभीसे नगरका इतिहास कारण उन विषयोंको आलोचना यहां पर न की गई। बम्बई प्रदेश इतिहासके साथ मिला दिया गया है। २ बम्बई-प्रेसिडेन्सीका प्रधान नगर और बम्बई-गव- १७७४ से १७८२ ई० तक प्रथम महराष्ट्र-युद्ध हुआ।