पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५१७

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५२९ बङ्गाला माहित्य कर दीवानी-मार ग्रहण किया। बदमापा न जाननेके, गौरव है। बदला भाषा साहित्य, विमान, इतिहास कारण सम्पनीके कर्मचारियों को काम काज करने में बस्तु- आदिका कोई भी विषय अच्छी तरह रचा जा सकता है ! विधा होने लगी। उन सब असुविधाओं को दूर करने किंतु बहाली लोग इस ओर कुछ भी ध्यान नहीं देते। लिये गलाके तत्सामयिक सिभिल कर्मचारी मि० नये. उन लोगों के हाथ का लियता, उनका वर्णविन्यास तथा नियठ मानी हालहेड (Ir Nathanal Prassy Hal मान्दनिर्वाचन-सभी भ्रमात्मफ और अपगत है । ये hed) बगलामाषा सीखने लगे। प्रगाढ अभिनिधेशके लोगन तो एकका रुप जानने और न वापय प्रन्यन फलले उन्होंने थोडी ही दिनों में बदलाभापामें ऐसी प्रणाली। इनका लिप्तना अरवी, पारमी. हिंदुस्तानी अभिज्ञता प्राप्त कर दी थी, कि १७७८ ई०मे उन्होंने और घट्नाला शन्दा पिचडोपकान है। उसमें न Grammar of the Bengali Language नामक सङ्ग | पृष्ठाला है चोर न कोई अर्थ ही निकलता है। यह बहुत रेजोंकी शिक्षा लिप बहालाभापाका एक व्याकरण प्रण- स्वस्ट, अयोध और फ्लेग-पाय है। यन किया। यो ग्यावरण बङ्गलाभापाका पहला व्याभ वाला भाषामें कोई गद्य साहित्य है या नहीं, मि० रण है। उस समय भी यहा मुद्रायन्त्रकी सृष्टि नहीं हुई हालहेडने उसे जानने के लिये बडी नोज की थी, किंतु थी। कम्पलीक कर्मचारी वनला अक्षरके ग्रन्थ पढनेके उन्हें एक भी गध साहित्यका नगम सुनने में न आया। लिए बहुत चेष्टा कर रहे थे। आखिर कम्पनीके भूतपूर्ण उन्होंने लिखा है, ध्युसिडाइडके पदले प्रोसदेशकी साहित्य सिभिल कर्मचारी मि० चार्लस चिलफिन्सको रङ्गलैण्ड की जो दशा थी, बंगीय मादित्यकी भो अभी बद्दी दशा ने बुला कर उन्हीं अक्षरादि प्रस्तुत कराये गये । उन्हों है। नथार केवल पद्यमे हो पुस्तक रना करते है । ने स्वयं मुद्रामा कार्य करके मि० हालहेडका व्याकरण गद्य रचना इस देशके साहित्यमे बिलकुल अप्राप्य है। छाप दिया। केवल चिट्टो-पत्र, आवेदन और इश्तहार आदि पद्यमे लिग्ने मि० हालहेडने जो बडभापामे सविशेष अधिकार नहीं जाने हैं, किंतु इन सब रचनाओंमें भी गद्यका पोई प्रान लिया था, वह उनका व्याकरण पढनेले ही मालूम नियम नहीं है, व्याकरणसंगत वाफ्यनको कोई प्रणाली हो सकता है। उन्होंने ग्री, लाटीन, संरकत, पारसी नहीं है। इसके सिवा धर्मतत्त्व, इतिहास, नीतिकथा, और यरवो भाषाके व्याकरण के साथ तुलना करके इस जिस किसी विषय में पुस्तक लिखनेले थकारों के नाम बङ्गच्याकरणको रचना की। इसमें वङ्गालाभापाकी तात्का- चिरस्मरणीय होते हैं, वे सभी पद्यमें लिखे जाते हैं।। लिक और आधुनिक वाकपद्धतिका यथेष्ट उदाहरण दिन गद्य ग्रन्थ संग्रह करने के लिये लाख चेष्टा करके भी लाया गया है। जब इस देशमे बड्डीय साहित्यको किसी जव मि० हालहेड कृतकार्य न हुए, तब उन्होंने काशीराम प्रकारको आलोचना नहीं दिखाई देती थी, उस समय एक दासके महाभारत, महाप्रभुके लीलामय वैष्णध अन्धों तथा अगरेजने बङ्गाला माया अच्छी तरह सीख कर एक व्याक भारतचन्द्र के विद्यासुन्दर आदिसे उदाहरण संग्रह किया रण लिवा। पीछे चे उसी व्याकरणको रचनासे भायाकी | था, फहीं भी वे गद्यसाहित्यमें फोई उदाहरण न दे ड्डला तथा गद्य रचनाके सौकार्यसाधनमें अग्रसर सके। हुए थे। यह बङ्गभाषाके इतिहासकी एक विशिष्ट मि० हालहेडने जब वनमापामें इस शोचनीय घटना है। अभावका अनुभव किया, वङ्गीय गद्यसाहित्यको उन्नतिके ___मि० हालहेडके समय वड्डीय गद्य मापाको अति लिये जब उनका हृदय सरल व्याकुलताके प्रवाहमे परिप्लुन शोचनीय अवस्था उपस्थित हुई। उन्होंने लिखा है, कि होने लगा, ठीक उसी समय विधाताने इस देश में गद्य- मैंने इस व्याकरण में प्राचीन वतीय कवियोंकी पुस्तकसे जो सब उदाहरण उद्धत किये हैं, उनसे स्पस्ट जाना ! * Grammar of the Bengali language by Hallhed जाता है, कि गन्दके सम्ब'धमे बङ्गला-मापाका यथेष्ट Grammar of the Bengali language. by Halhed.