पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/४४४

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बगदेश प्रभार चारों ओर पैर गया था। विदेशी व्यापारी (१३०१०) कवितामों में यगालका उददेख पाया जाता योग समुद्रकी सहमे मा पर यहाक मुवण प्रामादि है। भास्को दी गामाने (१४६८०) यगारमें मुसल- चन्दरोंस इस दशा पैदा होनेवालो अनेक चीजे है। मानावी प्रधानता तथा यहाके सूती तथा रेशमी यरस, पाया परने थे। उस समयसे हो यगारका नीरव दिगचादो प्रभृति पाणिज्य पदार्थो उल्लेख पिया है। ये दिग-वन याप्त हो गया। तमासे धगालके दक्षिण प्रात | लिखते हैं, बिनुयुट हवा-हनेसे ४० दिनम पालिपट स्थित ममुभाग देशये नामानुमार धगोपसागर तथा | से घंगाल आ सक्ने हैं। इसके अलावा १५०५ इ०में बड़वासा मा यगाला मसे विदित हुए थे। भाराकी लिननादा, १५१० इ० धार्थेमा तथा १५१५ ई०में दूमरी दुमरो पाति का अपेक्षा गाली जातिफ विधा थार्यासा चगाल राज्य तथा वहाके रहनेवालांके व्यापारका गौवन यगालको स्वतन “यादा तथा समादर प्रदान विवरण रिपिवद्ध कर गये हैं। गुलफल रन 'माहन पिया है। अकबरी' रामक मुसलमानो इतिहासम पट्टाल शब्दको नामानरुत्ति। एक व्युत्पत्ति दी गई है। उन्होंन लिया है, कि प्राचीन यह विशाल यगार राज्य महाभारतये सयम सि | काल में यह देश वग से उस्विम्बित होता था। गके तरद्द मामावद्ध था इसाइ ठीच पता नहीं है। उस | पूतन हिन्दु राजे पवत पादमूरस्थ निगभूमिमें समय वगराज्य स गरायके पाचवत्तों देशके नामसे | मिट्टोरे वाघ गया मार दिया करत घे। यगाल पुश ना था। उसके बाद नव धगालियाने ज्ञानमार्ग ये अकौं स्थानम उर रानामांस निम्मित इस तरहके म उन्नति करके ताना आलोक प्राप्त किया, उस साडी आल विद्यमान देन कर भाल्युत घगका नाम ममप उन्नतिका महिमाधिस्तार तथा प्रभार प्रवार करण यगान हुया है। सम्राट मोरगजेब यगारको 4 माय दो यगारको दैर्श तथा विस्तारको कल्पना कर समृद्धि देव पर अभिमान सहित बह गर्म है, कि यह म्यात समीतियांकरिपे सगके समान १५६०१० में घमिटन लिखते हैं मियगालय अराकानके 'तक्तनामिरी' नारक मुसलमाना इतिहास उत्तर पश्चिम में अपम्पित है। चप्राम घ गाउके दक्षिण पढोम हम लोगों को पता चरता है, कि यगाल फ सन पूर्व सीमा त पर विद्यमान है। गीय मतिम राजा महारान दमणसेनको हरा कर घग नामको उत्पत्ति एन इमरान्यका स्थिति तथा महम्मद इस्नियारो गालको निजय क्यिा था । उस प्रतिष्ठा सम्बयमें प्राचीन प्रयोको पैसा विवरण पाया आगना क्षमणायता विहार पगाल तथा कामरूप पाता।, यद्द पुराणत प्रसगमें रिम्ना जा चुका है। हर आदिशा बहुत भयभीत हुए थे। मार्कोपोलो (१२२८६०) यायमा एय सारापर पुत्तुगीज भ्रमणकारियोंने चप्राम रिपते है कि १५१०६० पयन पगाल विजय नहीं हुमा।। हुमा निश्टनाले गा7 नाम ए नगरका उन्नेमा धगार उक्त चारों देगोंके दक्षिण भागर्म अयहिगत धा।। | किया है। प्राचा मानचितम उम नगरका स्थान निश उक्त दोनों सिरणी पटनेसे जा नाता, मिमुमारियाभाई। बहस मम्मत, शिवायमाने व गारम मामक समागम पूर्य यगार चार बम यिमर था) पदापण नहीं दिया। ये गल्यारके उप में दो ठहर पर मापिरोन उमा दक्षिगी मागको यगारा नाममे , भरवी यणिक पथावत्ती हो कर इस देशप गामा लेग लिया है। रसादुहिनका कहना है, कि लगभग १३.०६० यगार दिल्गेश्वरने अशान हुभा । १३४५६० नुमार य गालय प्रधान नगरका नाम यमाला लिन्न ग" में पातु' ने पंगालराज्य तथा यहाके शान है, परन्तु इस ५ गाल नगरका कोर शिदर्शारिद्यमान । नदी है। जान पहना है, मिपुतगीनों व गार प्रधान मरताका उक्त दिया है। रिसत है, शिबोरामान | । बन्दर हमाम मा कर उस दक्षिण उपगठस्थित एक यासी इस प्राको ना प्रसारक उत्रट पदायाम परि गएदप्रामको गारियाती वासभूमि ममम यात्रामको पूर्ण गगर परत थे। सुप्रसिद्ध अपि हाफिनका हायगाठ गर बताया है। Vol 1 113 दिया।