पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३७४

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लोननी-लोपमुद्रा ३७६ का परिचय देता है। मुगर मम्राटगण शिकार के लिये लोपना (डि ० कि०) १ गुप्त होना मिटना। २छिपाना। यहा परावर याया करते थे। उनका प्रासाद श्रोहीन रोपाक (स.पु.) हो शीघ्रमदशामति प्राप्नोति अयस्थामें पड़ा है। १७८६ ६०में सम्राट महम्मद शाहने | अक मण। गाल, गोदड। यहा पफ उपरन और दिग्गी वनवाइ थी। इस दिग्गी लोपाचा (स.पु.) वर कल्पित अजन शिम विषय और उपवनमें जल गनेके पिये पहले उन्होंने ही यमुना मे यह प्रसिद्ध है, पि इस लगास लगानेवाला अदृश्य हर पटवाइ थी। वहादुर शाहकी महिषी जिन महरने | हो जाता है। उलदीपुरमें प्राचीर परिवेष्टिन प्रवेशद्वार आदिस परि | लोपापक (म ० पु०) लोप दूतमान आमोतीति शोभित एक सुदर उद्यान उगाया था। उसके वीच चम | ण्युल । शाल, सियार । कोरे लाल पत्थरो से बना गु यजदार प्रसिद्ध वारदुआरी लोपापिका (मा० सो०) लोपापक खिया राप, मत इत्य । मौजूद है। इसके अलाया यहा मुगल राजवशधरोको | शृगालो, सियारिन् । और भी यसस्य कत्तियाँ दृष्टिगोचर होती है। सिपाही | लोपामुद्रा ( स० स्त्री०) लोपयति योप्तिा रूपानिधान युद्धके बाद अगरेज रोनने यह नगर मुगलोंके हाथमे | मिति लेषा पचायण भामुद्रयति स्रष्ट सृष्टिमिति मा छीन लिया। आज इस स्थानको सुदरता जाती रही। | मुद्रा अण तत कर्मधारय विधा न मुद राति अमुद्रा लोनेली-यम्बई मेसिडे सीके पूना जिला तर्गत एक नगर | पति शुभूपाय लोप अमुद्रा। अगस्त्यमुनिकी सा। यह समा० १८४५० तथा देशा०७३ २४ पृ० तक| स्मृतिम लिपा , दि भाद्रमासये तम तीन भोर गिरिसपटके मञ्च स्थान पर अवस्थित है।प्रेट दिन अगस्त्यका और पोछे रोपामुद्रायो अर्घा देना इडियन पेनिनसुला रेल्वेसरी दक्षिण पूर्ण शाखामें यह | होता है। पक प्रधान स्टेशन है। यहाँको जनसख्या ६६४६ है। 'अप्राप्ते भास्वरे स्न्यां शेषभूतसिमिर्दिन । यहा रेल कम्पनीका कारखाना रहाये कारण बहुतेर । नध्य दा रगत्याय गौडदशनिवामिन ॥" यूरोपीय और देशी लोगोंका वास है। नगरसे दो मोर (मलमासतच) दक्षिण रेल-पम्पनीका एक सुन्दर याध है। इसमा जट | यह अर्घ्य दक्षिण मुह परके शर्म जल श्वेतपु प, समीरोग घरफे बाममें लाते हैं। यह बहुत सी सुन्दर अक्षत और चन्दनादि डाल निम्नोस् मतस देना अट्टालिका, मोटेस्टेंट गौर रोमन कैपि धगमन्दिर | होता है। मेसनिक लाज, कोओपरेटिभ स्टोर, एर अस्पताल और | शङ्ख ताय विनिक्षिप्य मितपुष्पाक्षत्यु तम्। आठ स्कूल है। नगरको वगल में ही एक सुन्दर या है।। मवेयानेाव दद्यादतियाशामुपस्थित " मनसिह-एक भाषा परि। इन ज म धाछिल मिताली अध्यदासमन्त्र- जिला नोरोम हुआ था। ये बडे पति और साहसा| 'वाशपुष्पप्रतीकाश अमिमासतम्मा । एविय थे। रोने भागरतये दशम सकी नाना | मित्रावरुणयो पुत्र कुम्भयाने नमोऽस्तु ते ॥" छन्दोमं गापा का है। ये एक रसाइमें मारे गये। । प्रार्थनामात्र- गेप (सपु०) अप घम् । १ विच्छेद । २ नाश, क्षय।। मातापिमनितो येन वातापिन महागुरः। ३ अमाव, अदर्शन । ४ अतद्वारा होना टिपना ।। समुद्र पिता यन समेगस्त्य प्रसीद तु।' ५ च्यापरणय चार प्रधान नियममिसे पर गिसक अनु। गोपामुद्दामा अध्यक्षा मत- मार शब्दफे साधा पिसी यो उदा देते हैं। 'लेोपामुद्र महामागे गजपुनि पतिबने । रोपर (स.लि.)नाशकारी.विन घाघारनेवाला। राणाय मया दत्त मंत्रायणिवाभ" लोपन (सदा०) शन नष्ट करना ! निरोदिन (मतमायतल) रना, गुप्त वरना। महाभारतमें लोपामुद्रा अनादिया विवरण इस!