पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२९४

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२॥ लाहोर स्रोत रोक्नेके लिये एक समय इस नगरमें हिन्दू धर्मात सिहफे समय लाहोर राजधानीने सिख सरदारको परा एक प्रथर केन्द्र कायम हुआ था। पीछे गानो राजघश | काटा मलका दी थी। के यदा राजधानी स्थापन करने पर धार धारे मुसलमानों सवगीन, महमूद जयपाल और मनसा देखो। १ उपनिवेश स्थापन परना शुरु रनिया धादर्म सुलतान महमूकी पाठ पीढी नीचे गजनी राजके मुगल सम्रारों कुछ समयये लिये यहाँ राजपद कायम | रानत्वकाठम लाहोर नगर मुसलमान राज प्रतिनिधि पिया था। | द्वारा शासित हुआ था। १९०२ १०में सेलजुकों (सातार) महाराज रणजित् सिंहके अभ्युदय में यह स्थान | ने गजनीके सुन्तानको हरा कर उनका सिंहासन दखल उन्नति शिम्तर पर चढने नगा तथा प्रसे यह पञ्चनद पर दिया और वे भारत भाग आये। तवसे मरमर राज्यको राजधानी गिना जो लगा। इस समय यह घोरके भारत निजय ता उक्त राजवश तथा भारतीय अरेनाधिपर विस्तृत प्रदेशका विचार तदर है। मुसलमान साम्राज्यको राजधानी लाहोरमें रही । महम्मद माक्दिनपति अलेक्सन्दरने जिस समय भारत पर घोरो ११३ ३०में दिल्ली अधिकार कर 'पहा राजपार मारमण क्यिा उस समय लाहोर ननपदकी कोई और राजधानी उठा लाये। खिलजी मीर तुगलक प्रमिद्धि पाई नहीं जाती । 0 मदोम जब चीन परिवाजक वशीय पाठान राजाओंके राजत्यकालमें लाहोर मगरको पौरतीय देवने भारतपय आये तव ने यह स्थान अत | उल्लेखयोग्य कोई घटना न घरी! मम का जलघर पधारे थे। उस समय लादोर नगर १३६७ ई० मुगल सरदार तैमूरने भारत पर हमला ग्रह्मण्य धर्मका पेद्रस्थान था। उक्त मदीके अतमें रिया। उनके एक सेनापतिने स्वय इस नगरको लूटा । जय मुसलमानों ने सर्वप्रथम भारतवर्ष पर चलाइयो, तय उन समय लाहोर पाम श्रीहीन हो गया था। १४३६ लाहोर नगरमें अजमेर राजघाये पर गजा राज्य परत इo वहगेल लोदाने मारत साम्राज्यके अधीश्वर हो कर थे। उसमायसे कर व तीन ताब्दमय यहाके दिग्द लाहोर पर चढाइ कर दी और उसे अपने पम्जे में कर राने मुसलमान मारमणमे पञ्चनद प्रदेशकी रक्षा करत | रिया। उनके पीव सुलतान इग्राहिम लोदोकेर ज्यकाल मा रहे है। १०ौं मदीके शेर भागर्म गजनीपनि सुल में यहाके अफगान शासन ने राजद्रोदो, हो कर मुगल तान सुस्तगीन अपनो चिपुर मुसलमान पाहिली ले यर | सम्राट् पावर शाहको भारत पर चढाई करनेके लिये हिन्दुस्थान विजयक लिये भागे बढे। लाहोर राज जा- बुलाया। घायर १५२४ १०में लाहोर प्रान्तमें भा धमके। पाल ने मुसलमान नामे पराजित हो कर हताशहदयसे लाहोरके निकट इब्राहिमके सेनादल के साथ पारका अग्निकुण्डमें प्राण पिसज्जन दिये। इसके कुछ समय | युद्ध हुमा। वावरने ग्राहिमको हरा कर लाहोर नगर वाद गजनीराज सुलतान मलू द भारत टूटोके गमि टूटा था। मापसे हा पर पेशार पाम पयपाल लडके अनट्र | १९२, ४०में दायरने पुनः भारत पर माक्रमण किया। पालको हरा र दलवर के साथ अप्रसर हुए तथा पञ्च | पानीपतको लडाइमें पाठ मराजको परास्त पर उन्होंने महफे भास पासपे प्रदेशोगो जोत मीर लूट कर दात दिल्ली अधिकार कर भारतमें मुगल साम्राज्यको प्रतिष्ठा धनरलक साथ अपा राज्यको लौटे। मन गलको जय | को थी। भारा सम्राज्य रस राजयका प्रमाय कायम करनेके तेरह यप वाद घे पुन मारत आये और लाहोर रहने साथ ही साथ होर गरको श्रीवृद्धि हु। अपने कम्जे में कर लियासमोसे यह स्थान निमो न किसी मुगलसम्राटाफ राममासाद तपा रामपुरको माना मुसलमानरामयश हो यधिकारम रहता है। सिखाति शिलामरित भट्टारिता मोर मायरा भादि माश भी फे अभ्युदयसे यहाँके मुमरमानरामय की शति घर गह मुगल गीतिका गौरव बढ़ा रहा है। महार नगर देखा। देसथा सिप सरदार यहा माधिपरय फैला र ममा १७३८१०१ पारस्पपति नादिर शाहन बे-रोपरोस राज्यशासन परत है। पनाब गरी महाराज रणशित् । जापदके मध्य हो पर भारतमें मा र मुगल राजशकि