पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२७५

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२८० लालपुर-नानवेगी लालपुर-युक्तप्रदेशके मुरादाबाद जिलान्तर्गत एक वढा : लालदाजार-दिनाजपुर जिलान्तर्गत एक नगर। गाँव । यह अक्षा० २६५३० तथा देशा० ७८.५४ पू०के लालभभकट (हि. पु०) वाताका अकिलपञ्चू मतलब __ मध्य मुरादाबादसे अलमोरा जानेके रास्ते पर अब लगानेवाला, वह जो कोई बात जानता तो न हो पर या स्थित है। । ही अंदाज लडाता हो। लालपुर-गुजरात-प्रदेशके काठियावाड विभाग के अन्त- 'लालयेग (दि. ३०) १लाल रंगका एक प्रकारका पर- र्गत हालर जिलेका एक नगर । यह अक्षा० .२.१२ उ. दार कीड़ा। २ मुसलमान, भंगियों और मेहतरीके एक तथा देशा० ७४.६ पू० के मध्य विस्तृत है। कल्पित पोरका नाम । लालपुर-युक्तप्रदेशके कानपुर जिलान्तर्गत एक यडा गांव। लालयेगी-माउ दार मेहतर सम्प्रदायमेद। ये लोग यह अक्षा० २६४७ उ० तथा देशा० ८० पू०फे मध्य मुसलमान फह कर परिचित हैं, पर मुन्नत कोई भी नहीं फतेगढ-सेनानिवाससे कानपुर आनेके राम्ने पर अब . कराता। मृअरका मांस ये लोग बेरोक-टोक माते हैं। स्थित है। यूरोपीय राजपुरुप अथवा वणिर्कोके घर झाड दारका लालपेठा (हिं० पु०) कुम्हडो। काम करने हैं। परिकार परिच्छन्न रहने के कारण दूसरे लालबहादुर-महिम्नस्तोत्र और शवकृत्य के प्रणेना। ये दूसरे नौकर इन्हें जमादार कह कर पुकारते हैं। लाल पडितसे भी परिचित थे। ये लोग यूरोपीय मुनीवोंका जूठा ग्वाने और मी लालबांध-बंगालको मल्लभूमिके अन्तर्गत एक प्राचीन प्रकारको शराब पीते हैं। मृतदेह हनसे ये लोग अपनेको नगर । यहा एक प्राचीन दुर्ग और देव-मन्दिरादिका दृटा । अपवित्र समझते हैं। इनके भारित धर्म मार किया- फूटा खंडहर पड़ा है। पद्धति यहुत कुछ हिन्दू और मुसलमानको रीति-सी है। लालयाफ्या-दरभंगा जिले में प्रवाहित एक शाशानदी। मुसलमानोंकी तरह इन लोगोंमें भी एक वृद्धा रमणो यह अदीरी गांव के पास वाघमनी नदी में आकर मिल! घटफी वन कर पाल सौर पात्रोको विवाह-सम्बन्ध स्थिर - करती है। किन्तु 'काविन' या विवाहका प्रतिज्ञापन तो लालबाग-मशिदावाद जिलेश एक उपविभाग। यह नहीं लिपते, पर यह कबूल करते हैं, कि विवाहित पलो. अक्षा० २४६ से २४.२३ उ० तथा देशा० ८७५६ से का अच्छी तरह लालन किया जायगा और उसके रहते ५३. पृ०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ३७० वर्ग- घरमें दूसरी स्त्री नहीं लाई जा मस्ती। मोल और जनसंख्या २ लाखके करीब है। इसमें मुर्शिदा- विवाहके पूर्व दिन ये लोग 'वन्दरी" उत्सव तथा वाद और आजिमगज नामक २ शहर और ६३२ ग्राम मुमलमान सम्प्रदायके आचरित अन्यान्य कर्म करते हैं। लगते हैं। किन्तु उस समय ये लोग आचार्य ब्राह्मणको नहीं लालबाग-भारतीय मुसलमान राजाओंका प्रसिद्ध प्रमोद । बुलाते है। वरके घरमें कन्याका विवाह होनेसे पज्ञायत- उद्यान । पद्मागग मणि ( लाल )की तरह यह हमेशा जग. को १। २० तथा कन्याके घरमें होनेसे ।। माना सलामी मगाता रहता था। इस कारण इसका लालवाग नाम ! देनी होती है। हुआ है। उस उद्यानवाटिकाके चारों भोर रोशनीके घर कोई कोई लालवेगी रमजान पर्वमें उपवास करता है। थे जिससे इसको शोभा और भी खिलती थी। धीरे धीरे किन्तु अधिकांश मनुष्य उसका पालन नहीं करते। मस- यह एक छोटे नगरमें परिणत हो गया था। दाक्षिणात्यके जिदमें घुस कर इन्हें उपासना करनेका अधिकार नहीं है। अह्मद नगर और वङ्गलूरमें ऐसी सौधमालासंकुल सु- इन लोगोंकी अन्त्येष्टि-प्रथा स्वतन्त्र है। मुसलमानके प्रसिद्ध उद्याननगरी आज भी विद्यमान है। निर्दिष्ट समाधिक्षेत्रमें ये लोग मृतदेहको नहीं दफना लालबाग-खान्देश जिलेका एक नगर। सौधमाला और सकते। जङ्गल में अथवा जनमानव-परिशन्य किसो मनुः वाणियसमृद्धिसे यह नगर पूर्ण है। । चर भूखएडमें ये लोग लाश ले जा कर गाउ देते हैं।