पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२४५

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२५० लामा उसी उपाधिसे परिचित है । अतएव इससे स्पष्ट अनुमान संसारधर्मनिरत गृहिण्यक्तिका यदि पवित्र बौद्धधर्ममें होता है, कि गेटुन ग्रुव ही सबसे पहले दलई लामारूपमें विश्वास रहे, तो वे धार्मिक गृहस्थ कहे जाते हैं। धमोप- जनसाधारणके निकट गृहीत हुए थे। गालदन सवाराम- देश सुननेका उन्हे अधिकार है। पञ्चोपदेशका पालन के मठाध्यक्ष त्सोनखापा वंशधर धर्म-ऋचेन्को उक्क फर संसार कार्य निर्वाह करने के उपासक वा उपा- मर्यादा न मिलो । १४४५ ई०में चे तपिलहन्-पोछेका मिका, ब्रह्मचर्याका अवलम्बन नहीं करनेसे पविवर्मा सुवृहत् संघाराम स्थापन कर गये हैं। उक मठ उपा और चार उपदेश पालन करनेसे न्-थो वा अन् ना ध्यायने हो शायद पञ्चेन् ऋन् पोछे नाम धारण कर दलई | कहलाते हैं। लामाकी तरह अपनी ऐसी शक्ति फैलानेकी कोशिश की। ____धर्मप्राण तिब्वतीय समाजमें लामागण पार्थिव और अपनी देवशक्ति जनताको यता कर वे सपालीभूत हुण्! आध्यात्मिक शक्तिके आधारभूत है तथा सासम्पद्का सहो, पर दलई लामाको तरह धर्म राज्यमे उनका प्रभाव भोगाधिकारी जान कर जनसाधारण उस आचार्यापदके न फैला और न अपने अधिकृत भूभागमें उनका वचन वा प्रार्थी होते हैं। इस कारण उम देशके अधिकांश मनुष्य उपदेश देववाफ्यबत् उस तरह सम्मानित और प्रति वचपन में संसारधर्मको जलालि दे लामाका शिष्यत्य- पालित ही हुआ । केवल तिब्बतमें दलई लामाकी तरह धे प्रहण करते हैं। फिर राजशक्ति और धर्मशक्तिके वलसे अपनी राजशक्ति फैलाने में समर्थ हुए थे। अनुप्राणित हो ये आचार्यागण लामापदपायों बालकों पर ___५म ग्येलव-मृन् पोछे लोवजन गैमत्सो उच्चामिलापो यथेच्छ अर्शदण्ड (वन्सुन ग्रल ) भी करते हैं शिक्षा- थे। उन्होंने मोटराजके साथ विरोधकालमें कुकुनोर नविगीके समय उन लोगोंको यथेष्ट कायिक क्लेश भी भुग नामक हृदतीरवती कोपोत् मोडलियों के पास इस आशय तना पड़ता है। ये सब समानुपक कटोरता रहत हुए भी पर एक दूत भेजा था, कि मोटराजधानी दिगावी पर तिवनवासी प्रत्येक गृहम्य अपने अपने प्रथम या प्रियतम चढ़ाई करनेके लिये वे लोग उन्हें मदद पहुंचायेंगे। पुत्रको लामापद पर नियोग करने के लिये मठमे भेज देते दिगाचींके मोटराजके साथ उनका जो युद्ध हुआ उसमे हैं। उन लोगोंकी अन्यान्य मन्तान-सन्तानका विवाह मोङ्गलियोंने तिव्वत अधिकार कर लोवजड़ को दे दिया। होता है तथा वे गृहस्थके भरण पोषणार्थ नाना कार्याम १६४० ई०में यह घटना घटी। अतएव उसी समयसे सारे व्यापून रहती है । जिसका प्रथम पुत्रके अलावा दूसरा तिव्यतराज्यमे दलई लामाका अधिकार (temporal पुत्र भी लामा होना चाहता है वे दो वा दोसे अधिक पुत्र government ) विस्तृत हुआ। भेज सकते है। इस कारण चौद्धप्रधान मोटराज्यमें प्रति पहले लिखा जा चुका है, कि लामागण बोधिसत्त्वके | छः या आठ आदमोके भीतर पक लामा हो गया है। अंशसम्भूत थे । तिव्वतियों का विश्वास है, कि उनमेंसे सिक्किममें इस प्रकार १:१०, लदाकमें १:१३, भूटानमें कोई कोई नरदेहमें पृथ्वी पर अवतीर्ण होने और कोई १:१०, स्पितीम १:७, सिंहलमें १:३०, वर्मामे १:३०, स्वगीय ज्योति पा कर अंशावताररूपमे पृजित होने हैं। तथा उत्तर एशियाको कालमक जानिये १५० से २०० वौद्धधर्म शास्त्र प्रसिद्ध वोधिसत्वोंने जिस प्रकार संसार- तम्बूमें सिर्फ 2 लामा विद्यमान देखे जाते हैं। धर्म का परित्याग कर प्रत्रयावत अवलम्बन किया था, स्लागिनटुट. डॉ० कनिडम, डा० काम्बेठ, मूगफर, ये लामागण भी उसी प्रकार प्राचीनतम वौद्धयतियों स्मिट हुक आदिका तिब्बत और लदाक-विवरण पढ़ने (मिक्ष )के सव, श्रमण और अर्हत् धर्मका पालन से मालूम होता है, कि तिब्बतको राजधानी लासा करते हैं। मठविहारिणी बौद्धभिक्षणीगण लामाओंके नगरोके वारह मटोंमें तथा उसके आस पामके भूभागमें साथ समधर्मानुशीलनमे रत रहने पर नी जनसाधारणको प्रायः १८५०० लामा हैं। पश्चिम-तिब्बत बालदाक निगाहमें उस प्रकार सम्मनके साथ नहीं देखी जाती। विभागकी वर्तमान जनसंस्शमें प्रायः छठारा लामा हैं। वे सब साधारण उपासक समझो जाती हैं। ____ साधारण संन्यासाश्रममें पारमार्थिक उत्कर्ष साधन-