पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२२२

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लहेरा-साधना २२८ पजाब, दक्षिण गुजरात और रानपूतानम बहुत होता है।। है। एक भागका अधिकारी पहलो स्रोका एकमात्र पुत्र इस हीरको रमटीहुत निरी, साफ और मजबूत होता है। सम्पत्ति वाटते समय विवाहित और नौका- होती है और कुसी, मेन, अलमारी इत्यादि सनायटफे | स्त्रीकामोई विचार महीं रहता। सामान बनाने के काम आती है। ये लोग अपनेको कट्टर हिदू पतलाते हैं। भगवतीको रहेग-विहारवासी जातिविशेष। रानी चूडी घना आराध्य देवी जान कर उन्हींकी उपासना करते हैं। कर येचना हो इनका जातीय व्यवसाय है। इनकी स्वत व कितु हि दूफे दूसरे दूमरे देवपी अवज्ञा भी नहीं परत, जाति नहीं है, निम्न श्रेणी विभिन्न सम्प्रदायस धनी है।। तिरहुतिया ब्राहा इनके पुरोहित होते हैं । इससे ये रोग साहका घ्यनसाय पानेक कारण इनका लहेरा नाम हुमा | समाजमें निन्दनीय नहीं होते। यन्दी और गोराइया है। गङ्गानदीये उत्तरी और दक्षिणी किनारे रहनेप्से इनमें | नामक प्राम्य देवताको हरएक गृहस्थ पूजा करता है। तिरहुतिया और दक्षिणिया नामक दो वतत्र थोक है। इस समय ब्राहाणकी नरूरत नही पडती। दो देवता नूरो जानिशी एक शाखा लोहका गहना बनाती है इस को घरका मालिक हो बकरा, दुध, रोटी और मिष्ठानादि कारण यह भी लहेरा श्रेणीमें मिल गई है। शाखेरी दखो। चढाता है। इन लोगों के मध्य काशी और महुरिया नाम दो ये लोग समाजमें कोइरी और कर्मियों के समान समझे गोत्र या प्रेणी विभाग है। सपिएट सात पुरुषको वाद | जाते हैं। ब्राह्मण इनके हाथका जल पीते हैं। लालको पर ये लोग पुत्र कन्याका मिनाह करते हैं । जबान पुत्र । चुडी और खिलौने बनाने के सिवा ये रोग देती थारो पन्याका विवाह परनेम कोई दोष नही होता । वितु | भी करते है। मासर बाल्यविवाह हो चपता है। विवाहप्रथा स्थानाय | २एक जाति जो रेशम गनेका काम करती है। हिद सी है। कयर वरके पिताको तिन देनेको ३ पका रेशम रगनेवारा, रंगरेज ! व्यवस्था है। इन रोगोंके मध्य वहुयिया प्रचलित है। ल्हेरियासराय-दरभदा जिलेके दरभङ्गा शहरका एक पहली स्त्री याम होनेसे मददूमरा पियाह कर सकता है। हिस्सा। १८८४६०से सरकारी अदालत यहीं पर लगता विधा सगा मतप्ते विवाहित होती है। इस समय | है। यहा दी० एन० यत्य रेलयेका एक टेशन भी है। यह अकसर देवरसे ही विवाह करती है। यदि दूसरे मदसे रहोड (स.पु.) पाणिनिके अनुमार एक व्यक्ति । विवाह करनेकीछा हो, तो कर भी सकती है। स्नोका | (पा ३२३८) चालचलन खराब होनसे पचायत उसका विचार करती रहा (स.पु०) १ एक पिका नाम । २ उनपे घशधा। है। यदि दोप सापित हो जाय, ती पुरुष उरा छोड़ (हदारपया ३३१) साता है। स्वजातिके मध्य यदि कोई किसी स्त्रोकोली (अ.९०)। ये राजनियम या कानून जो देश या कुमार्ग पर ले जाय, तो अपने स जिके प्रधानोंको भोज राज्यमें शाति या सुव्यवस्था स्थापित करनेके लिये देकर समाजमें मिलता है। वितु भिन्न सम्प्रदायक बनाये जाय। २ऐसे राजनियमों या कानूनोंका स ग्रह दुसरे पुरुष मासक हो कर यदि यह रमणी पाप पछमें व्यवहारशास्त्र, धर्मशास्त्र । जैसे,-हिन्दू लो, मह लिप्त हो जाय, तो उमे समाजसे निकाल दिया जाता है। मदन । बिहार प्रदेश प्र हिन्द के मध्य पुत्र कन्याका उत्तरा | लागडो (हि.पु०) हनुमान्जी। पिकार मिताक्षराक मतसे प्रचलित है। इन लोगोंम लाग प्राइमर (0 पु०) धापेमानेमें एक प्रकारका टाइप, पआवको चूदायन्द' प्रथा देनी जाती है। उससे स्वीक| जिसका मापार आदि इस प्रकार होता है- सण्यानुसार ही सामाको सम्पत्ति विमन होता है।। 'लांग प्राइमर । अर्थात् पहली नाके पदि पक्मान पुत्र हो और दूसराके लाधना (दि क्रि०) १ पिसी चीज इस पारसे उस पार भनेक, तो मृत पिताको सम्पत्ति हो मागॉम धारी जावो जाना, लाघना।२क्सिी वस्तुको उछल कर पार करना।