पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१५४

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नखिमपुर पक गभीर पठान गहर है। दिमदा नदी जहा नागाशैर 1 मोयामारिया या मय जाति ब्रह्मपुत्र नदीफे दाहिने छोहा है वहीं यह अवस्थित है। Jकिनारे पर साधीनता स्थापन पर अपना प्रभाव फैलाती ___ यहाका इतिहास बहुत कुछ आसामके इतिहासके } था तथा उहोंने एम्तीरा सदिया विभागशे टूट कर साथ मिला है। आसाम मधिकार करनेकी इच्छासे तहम नहस कर डाला। उस अराजक राज्यमें किसी पूर्वाञ्चलमासो राने ब्रह्मपुत्रको पार कर पहले लखिमपुर, प्रकार ला स्थापित नहीं हुइ । राज्यापहारक बडे घुसे थे। कहते हैं, कि यगाल पाररानाोंने एक ममय गोमाई कुछ भी सामनका अच्छी व्यवस्था न पर यहा अपना प्रभार फेला पर हिन्दू उपनिवेश स्थापन | सके। प्रना उपद्रव और अत्याचारके हाथमे छुटकारा पिया था । उसके बाद यगाल वारभूया रानामोंने ] पानेके लिये राज्य छोड़ भाग गई । असर पा घर आत्मक्लहमे अपीडित हो पर पिचाद विरहित इस ब्रह्मराजने उपर्युपरि लखिमपुर पर मारमण कर दिया। निविध प्रदेशमें मा करएक उपनिवेशवमाया । आन मी | युद्धविग्रहमें बहुत मनुष्य दे मरे । प्रजायोंने निरुपाय वासकाटा और लसिम्पुर नगरफे पास जो दिग्गी है। हो कर भी लपिमपुर नगरफे सामने फिर युद्धका आयो यह उनकी कार्तिकी घोषणा करती है। पानीय जन किया । दुद्ध त्रस सेना सामने इतबर रिमाया चूरियामोंने पहलेसे हा आसाम वजा कर रखा था। खडो न रह सकी। यह हार खा कर भागने लगा, लेकिन पवार याओंको यहासे भगा कर सुवर्णश्री नदीके नियोने पीडा कर उनको समूल नष्ट कर डाला। ' किनारे रहते थे रितु यह राज्यसभोग उनके भाग्यमें १८२५ ३०में ब्रह्ममन्य लपिमपुरम मगाया गया सही, अधिक दिनों तक बदा न था। १३वीं सदीमे आहम पर लखिमपुरके पदष्टम अत्याचारका स्रोत समभाव राजाओंने थासाम अधिकार पर प्राधान्य स्थापन | से प्रवाहित होने लगा। म गरेजराज्ने नाममात्र आसन किया। चुटियाने इस समय कुछ समयके लिये अपना पर अधिकार दिया। ये माज भी इस देश में सुशासाफी प्रमाव अक्ष प्र बनेकी चेष्टा की कितु इसम वे पता | प्यास्था नहीं कर पाये हैं। दिगढ उपविभागके भूत न हुए-पासके दरद जिले में भाग माये । यहा निम बतर्गत मटक विभाग उस समय देशी सरदारके अधीन स्थान पर घे रहते थे वह आन चुटिया कहलाता है। शासित होता था । १८३६ इ०में जप यूढे सरदारको पे माहमगण मीननातिके हैं। ये पोडराज्यके | मृत्यु हर मय उनके घशधरने अगरेजराज प्रस्तावा पावत्यभूमापसे इल्प के साथ भागे वट पर पश्चिमको नुसार रायशासन करना अस्वीकार कर दिया। अत घे और आसाममें आये । यहा पर सचय करके धीर धीरे , पदच्युत हुए। इस मार अगरेजराजने उत्तर लखिमपुर एक दुई नाति हो उठे। इस समय उन्होंने अपन। गौर शिवसागर विभाग राजा पुरन्दरसिहसे छीन दाहुबरसे ब्रह्मपुत्र प्रवाहित उपत्यकाभूमिमें अपना आधि रिया। क्योंकि, यह राजा राज्यशासनमें निकम्मा पत्य पैलाया। मुगलसम्राट औरङ्गनेव द्वारा मेने गये था तथा उसका कर्मचारी प्रनामों पर अत्याचार कर सेनापति मोरजुम्लाको उदोने परास्त कर यगारसे भगा जाना पसू करता था। इस अराजकताम पहाडी दिया। इस बाके मतापी राना रुद्रसिंहके शासनकालम | असभ्य जातिने उत्तर राज्यको लूट कर पाय कर आमाम-राज्यमें शाति और समृद्धि सिराज करती थी। झाला। इस समय मदिया नगर में एक प्रमती सरदार याहम और आसाम देखो। स्थानीय नासन के रूपमै रानकायको परिचालना राजा गौरीनायके राज्यकाल में ही विमपुरमें माहम करना था। १८३६ ई० में अगरेजराजने एक सेनानायक यशवी शासनावित्रा लोप हो गया | कमजोर राजा अधान सदिया नगरम पक दल सिपाहा रस्मा । उसके गौरीनाथ धागियोंके पडयन्तर्म पर कर राज्यच्युत और चार यप बाद मचानक एक दिन पहाटो खमतीने पदाइसे निम्न मासाममें निर्वामित हुए। उसके बाद सलमान | ममत भूमिमें उतर र य गरेज-सेनापति मीर पालि पद समृद्ध राजधानी नए भ्रा कर दी। इस समय दिखल पजेर मेजर होयाइरवे साय सिपाहियोंकी मार