कराचौ. 'अन्यन्सरमें नदी किनारे बबूनका पन यथेष्ट है। सिन्धु। सेवयान, जीवक और शाहबन्दर नामक चार उपधि- नद ही स्थानीय प्रधान नदी है। किन्तु हाव नदीमे मागमें विभक्त है। करारी, कोटरो, सेवयान, वुवक, 'इस जिलेके अधिकांश स्थलमें जल-पाता है। करा जदु, ठाठा, केती वन्दर, मझन्द, और मौरपुर वतीरा चौमें सिन्ध नद प्रायः १२५ मील विस्तृत है। दक्षि नगर प्रधान समझा जाता है। कराची, केती और यांशको सिन्धु बहु शाखामें विमला हो सागरसे ना शिरगण्ड (श्रीगण्ड) तीन बन्दर है। 'मिला है। उस शाखाको गति अत्यन्त परिवर्तनशील स्थानीय लोगोंके कथनानुसार ठाठा नगरसे ग्रीक है। पहले सीता और वाधियार शाखा बहुत विस्तृत सम्राट प्रत्तकपेन्दर (सिकन्दर) के सेनापति निधार- थो। जहाज, स्वच्छन्द पाते-जाते थे। किन्तु १८३७ कस् पारस्य सागरको गये थे। मेवयान नगरमें किसी ई०से बाधिधार नदीका जल मिन्न पथ को पकड़ वहता पति प्राचीन दुर्गका भग्नावशेष विद्यमान है। अनेक है। प्राचीन स्रोत क्रमशः बन्द हो गया। बागना लोग कहते, कि उता दुर्गके निर्माता भी अलकन्दर नामक शाखाके तौर कराची जितका पुराना शाह. हो रहें। कराची जिलेका पति पय स्थान हो बन्दर' अवस्थित था। यह स्थान बहु दिन पर्यन्त बोया जाता है। दृष्टि, कूप पौर निझरके जल पर कलहोरा राजबंशका जहानी बन्दर रहा। फिर यहां ही कषिकार्य चलता है। मनोरम ज्वार, बाजरा, युद्धके जहाज़ भी ठहरते थे। किन्तु आजकल इस यव पोर इक्षुको उपज है। जीवक पौर शाइवन्मएके स्थानसे नदी प्रायः १० मोक्ष हट गयी है। अब हना. निकटवर्ती स्थानमें चावल, गेहं, अख, मकई, रुदै मरो शाखा हो सिन्धुका प्रधान मुख मानी जाती है। तथा तम्बाकू बोते हैं। कोहिस्तानके पावत्य क्षेवमें १८४५ ई० को यह शाखा पति क्षुद्र रही। छोटी | किसी प्रकारका शस्य नहीं होता। यहाँक लोग नौका भी पति कष्टसे पाती जाती थी। इस जिलेके प्रायः ढपाहारी हैं। पशमांससे ही जीवन धारण करते बीच, अपरी भाग सेवयानमें 'मञ्जर' नामक एक हैं। यहां तीन फसलें होती है। एक ज्येष्ठ-भाषादमें वृहत् इद भरा है। इतना बड़ा द सिन्धु प्रदेशमें बोयो और कार्तिक अग्रहायणमें काटी जाती है। दूसरे स्थानपर देख नहीं पड़ता। कराची नगरसे | दूसरी कार्तिक अग्रहायणमें पड़ती और वैशाख-ज्येष्ठ ७८ मौल उत्तर पार्वत्य प्रदेशमें औरमांघों नामक कटती है। तीसरीको फाल्गुन चैत्रमें डाल आषाढ़ स्थानपर कितने ही उष्ण प्रस्रवण विद्यमान हैं। श्रावण मास काट लेते हैं। कराची निलेका प्रधान इस स्थानको प्राततिक शोभा अति सुन्दर है। पण्य ट्रव्य रूई, गई और कन है। भ्रमणकारी प्रायः इस स्थानको शोभा देखने आया थाहबन्दरके निकट श्रीगण्ड खाड़ीमें यथेष्टं लवण करते हैं। यहां एक दलदल भी है। इस दलदलमें निकलता है। कंपतान' वाकेने १८४७ ई०को असंख्य कुम्भीर रहते हैं। परण्य जन्तु, चीता, स्थानीय लवणस्तर देख कहा था, 'इस लवणसे हायना, भेड़िया, शृगाल, उल्कामुखी, मनुक, हरिण क्रमागत ४०० वत्सर समस्त प्रथिवीका निर्वाह हो और वन्यमेष प्रधान है। पक्षियों में शकुनिको संख्या सकता है। किन्तु लवणके शुल्कका परिमाण द्विगुण यथेष्ट पाती है। कोहिस्तानमें नाना जातीय सरी रहनसे कोई व्यवसाय चना नहीं सकता। समुद्र में सूप देख पड़ते हैं। मत्स्य पकड़नेका काम भी होता है। मुहान मुसन- कराची जिलेमें मुसलमानोंकी ही संख्या सर्वा. मान यह व्यवसाय करते हैं। ठाठा नगरी लंगो पेक्षा अधिक है। फिर हिन्दुवों और दूसरे लोगोंको नामक शीतवस्त्र और बुवक नगर कालोनके लिये गणना लगता है। हिन्दुवों में ब्राह्मण, राजपूत और विख्यात है। कराची जिलेके अधिकांश नगर सिन्धु के सोचाने अधिक देख पड़ते है। अन्यान्य जातिमें जैन, इतिहाससे विशेष संश्लिष्ट हैं। सिन्धु देखो। ईरानी, यइदी. और दौड़ हैं। यह जिला कराची, । कराची नगरमें सिन्धु प्रदेशका सेनावास स्थापित
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/९४
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