पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७३३

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०३६ किरन -किरात किरन (हि. स्त्रो०) १ किरण, रोशनीकी लकीर । २ जाती है। वृटिश राज्यके समय ग्वालियरकी तरफमे चमकदार झालर । किरन कन्नाबत्न या बादने की इस जातिके बोग यहां पाये थे। इनमें गाग्वाभेद वनती और वञ्चौं या औरतोंके कपड़ों में लगती है। नहीं है मुतरी परम्परमें विवाह होता है। ये घरमें किरपा (हिं०) कपा देखो। हिन्दी और बाहर मराठी बोलते हैं। किरपान (हिं.) कृपाण देखो। किरात (सं• पु०) कि अवस्कारानि चेपभूमि अन किरम (हिं. पु०) १ कमि, कोड़ा । २ कोटविशेष, निरन्तरं भ्रमति, किर-अत-अच् । १ जाति-विशेष, किरिमदाना। कोई कीम। २ श्याघ, बहेनिया । ३ भूनिम्ब,चिरायता। किरमई (हिं. स्त्रो०) लानामेट, किमी किम्मको लाह किरात-वासिक, तिल, कफपित्तवान्न, वणगेषण, पथ्य. यानाद्ध। और कुष्ठकण्डूगोपन्न होता है। (गननिवष्ट ) ४ बोटक- किरमान (पु.) पारग्ववृक्ष, अमिन्नतामका घेड़। रक्षक, सईम । ५ मत्स्य, ब्रह्माण्ड, वामन प्रमृमि किरमान्ता (हिं.) किरमान देखी। -पुराणों के मतमें भारतको पूर्वमोमा किगत है। महा किरमिच (हिं० पु.) वस्त्र विशेष, एक कपड़ा। किर भारतमें निखा कि प्रागज्योतिषाधिष भगदत्तने चीन मिच बारीक टाट जैसे रहता और परदे, उता, थैन्ने और किरातका मेन्च ना अजुनके माथ युद्ध किया था। वगैरह बनाने में लगता है। उक्त शब्द अंगरेजीके कान “म किगरेय चोय इतः प्रारज्योतिषोऽभवत् । वास ( Canvas ) शब्दका अपभ्रंश है। चन्दय पटुमिर्योधः नागरानपवामिमिः" (मारत समा० २६१८) सिरमिश (हिं० पु.) १ किसी किस्म का रंग, हिरम- जी, पीसा हुवा किरिमदाना। २ घोटकविशेष, किर उता लोकमे समझ पड़ता है कि प्रागज्योतिष मिनी घोड़ा। निकट ही किरात और चीन था। प्रागज्योतिषका किरमिजी (हिं० वि०) फिरमिनोका रंग रखनेवाला, वर्तमान नाम प्रामाम है। अतएव किरात जनपदका मटमैना करौंदिया। पूर्वदिक ही होना मग्भव है। ममापर्वके अपर स्पन्न किरयात (हिं. पु.) किरात, चिरायता। पर कहा है- किरराना (हिं० कि०) १ दन्तघर्षण करना, दांत पीस. "ये पग हिमसः मृयोदयगिरी नृपाः। ना।२ क होना, गुस्मा पाना । ३ किरकिर करना। कारुपे च महान्तं दीडियममिवय ये 10 किरवंत, किन्तवंत-दक्षिण प्रांतकी एक ब्राह्मण जाति । फसमूडागमा यै च किरातायर्मयाममः । यह चितपावन ब्राह्मणों की एक शाखा है। का रशम्बा: फरहताय पयाम्यहं प्रमोट चन्दनागरकाष्ठानो मारान् कामीयकम्य च । किरवार (हि.पु.) करवान, तनवार । चमग्वमुवा गन्धाना गरयः । १०॥ किरवारा (हिं. पु.) पारग्वध, अमिलतास । कैरामकीनामयुतं दामोनात विशाम्पते । किरांची (हिं. स्त्री०) कटविशेष, कोई गाड़ी। किरांची- पाहस्य रमयोयार्थान् दूरणान् मगपटियः ११॥ में दो या चार पहिये लगते हैं। वह मान असवाब मिचितं पातम्यय हिरन मरिवर्चमम्। ढोने में व्यवहृत होती है। किरांची में प्रायः अनाज और चलित वतुम्नमादाय हरि तिष्ठन्ति वारिताः ॥ १२॥ (ममा०५२ प.) भूसा लादते हैं । रेलगाड़ीके पूरे डब्बे को भी किरांची कहते हैं। वह अंगरेजीके केरोच (Caroche) शब्दका उक्त लोक द्वारा भी ज्ञात होता है कि हिमालयक अपभ्रंश है। पूर्व नोमित्यनदोके आगे किरात रहते थे। पाचात्व किगटिका (सं० स्त्री०) किर पर्यन्त भूमौ प्रति, भौगोलिक टले मिन Cirrhadac नामसे उक्त जाति किर-पटगखु ल-टाप् प्रत इत्वम्। शारिका, सारस । को सल्लेख किया है। उनके मतमें किरात भारतके पूर्व किराड-एक ब्राह्मण नाति । यह पूना निलेमें पायो प्रान्तवासी हैं। पुरातत्त्ववित् टलेमि-वर्णित उक्त -