पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७३२

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किरकिराना--किरणावलौ किरकिराना (हिं. क्रि०) १ पीड़ा करना, दुखाना। मयूख, अंश, गभस्ति, घृणि, वृष्णि, भानु, कर, २ अच्छा न लगना, बुरा मालूम पड़ना। ३ किट-| मरीचि, दोधितित्विट, द्युति, आभा, विभा, प्रभा, किटाना, दांत पीसना। रुक, रुचि, भाः, छवि, दीप्ति, रश्मि, अभीषु, महः, किरकिराहट ( हिं० स्त्री०) १ चक्षुपोडाविशेष, प्रांख ज्योतिः, सह, रोचिः, शोचिः, विषा, पृश्नि, प्रकाश, का दर्द। किरकिराष्ट पांखमें गर्द या तिनका भातप, द्योत, पाद, पालोक, वसु, ऋषि, मास, धर्म, लोक, अर्चि, वीचि, इति, धाम, वर्च, शुष्म, तेजः और छोटा टुकड़ा पड़ जानेसे होती है। २ ढांतके नीचे भोल: है। कंकड़ पड़नेको आवाज । ३ कंकरीलापन। "भवति विरलमतिमामपुप्पोपहार: किरकिरी (हिं० स्त्री.) किरकिटी, गर्ट या तिनके- खकिरणपरिवेषीझे दशून्याः प्रदीपाः।" (र.५०४) का छोटा टुकड़ा। २ अपमान, वैनतो, हेटौ। किरणतन्त्र-माधवाचायने अपने सर्वदर्शनस ग्रहमें इस किरकिल (हिं• पु०) १ ककस्तास, गिरदान्. गिरगिट । नामके एक शैवतंत्रका उन्लेख किया है। (स्त्री०) २ शरीरस्थ वायुविशेष, एक हवा । किर- किल छौंक लाती है। किरणमय (सं० वि०) किरण-मयट । १ किरणस्वरूप । २किरणविशिष्ट । किरकिक्षा (हिं. पु०) पक्षिविशेष. एक चिड़िया। किरणमाती (स पु०) किरणानां माला प्रस्त्यस्य, किरकित्ता पाकाशसे टूट मत्स्यको अाक्रमण करता है। किरणमाता-नि । सूर्य, श्राफताव । किरको (हिं. स्त्री०) अलसार-विशेष, एक गहना । किरणावली (म० पु०) किरणानां प्रावती श्रेणी। किरण- फिरकी (खाड़की) पूने जिलेकी हवेली तहसीलका एक श्रेणी, किरनोंको कतार किरणावली नामक संस्कृत कसबा । यह प्रक्षा० १८३४” उ० और देशा०७३ ५१ भाषामें बहुतसे ग्रन्य हैं। उनमें उदयनाचार्य-विर- पू० पर अवस्थित है। बंबईसे २१६ मान दक्षिणपूर्व और चित वैशेषिकसूत्रके प्रशस्तपादको व्याख्या मुख्य पूनेसे ४ मोम्न उत्तर-पखिम यद पडता है। शोकसंख्या फिर इसके ऊपर भी बहुतसो टोका हैं। जैसे-उझनाम- ग्यारह इमारके करीब है । युद्धास्त्र तयार करनेका कत किरणालीमास्कर, वर्धमानवत दृथकिरणा- यहा बहुत बडा कारखाना है। वन्तीप्रकाश, चंद्रशेखरभारतीकृत व्यकिरणावली. किरच (हिं० स्त्री०) १ अस्त्र विशेष, एक इथियार । किरच सीधी तलवार जैसी रहती है। उसे अग्रभागको शब्दविवरण, महादेवकृत गुणकिरणावतीरससार, ओर सौधे भोंक देते हैं। ३ खण्डविशेष, नोकदार रामभद्रकृत गुणरहस्य, वरदरान और क्कमक्कत टीका आदि। किरणावती को उन टोकापी पर भी पौर टुकड़ा। किरचिया (. हिं० पु०) पक्षिविशेष, एक चिड़िया । बहुतसे विवरण उपलब्ध होते हैं। उनमेंसे कुछके किरचिया बगलेसे छोटा होता है। उसके पंजेकी नाम ये हैं-मेधभगीरथक्वत किरणावसीप्रकाशप्रका- झिलो सुनहलो रहती है। शिका, रुद्रन्यायवाचस्पतिवास रघुनाथीय ट्रष्यकिरणावली- परोक्षा, माधवदेवकृत गुणरहस्यप्रकाश, रघुनाथकृत गुण- किरची (हिं. स्त्री०) १ किसी किस्मका मुलायम रेशम । किरची बंगालमें उपजती है। २ रेशमकी सच्छी। प्रकाशविकृति, मथरानाथ सात गुणप्रकाशदीधिति और किरटा (सं० स्त्री०) कुसुम्भवीज, कुसुमका वीज । गुणप्रकाशदीधितिमंजरी नानो विहतिटीका । इनके 'किरण (सं० पु० ) कौन्ते विक्षिप्यन्त रश्मयोऽस्मात्, | रामकृष्णभट्टाचार्यविरचित गुणप्रकाशविकृतिप्रकाशिक्षा सिवा रुद्रभट्टाचार्यक्वत गुणप्रकाशविकृति-भावप्रकाशिका, क-क्य । क पृढनिमन्दिनिघालः क्युः । उण श८५ ॥ १ सूर्य, सूरन । शीर्यते परितः क्षिप्यते षसौ । २ सूर्यरश्मि, सूरजको और जयरामभट्टाचार्यविरचित दौषितिप्रकाशिका भी किरण । ३ चन्द्ररश्मि, चांदको किरण । ४ रनरश्मि, ३ दादाभाई विरचित सूर्यसिद्धांतटोका। ४ अचधर. जवाहिरको किरण । किरणका सस्कृत पर्याय-अच, कृत एक अलंकार निरूपक अथ। प्रचलित है।